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पुस्तक का विवरण (Description of Book तुम्हारे बारे में | Tumhare Baare Me PDF Download) :-
नाम : | तुम्हारे बारे में | Tumhare Baare Me Book PDF Download |
लेखक : | मानव कौल / Manav Kaul |
आकार : | 2.1 MB |
कुल पृष्ठ : | 174 |
श्रेणी : | यात्रा वृतांत / Yatravaratanat |
भाषा : | हिंदी | Hindi |
Download Link | Working |
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पुस्तक का कुछ अंश (तुम्हारे बारे में | Tumhare Baare Me PDF Download)
मैं अब वैसा नहीं रह गया हूँ, जैसा तुमने मुझे छोड़ा था। मैं वहीं हूँ, पर उस पगडंडी पर अब डामर की सड़क बिछ गई है। आस-पास का सारा हरा स्याह हो गया है। लगातार गिरने का डर बना रहता है, सो मेरी जड़ें निकल आई हैं। पर जहाँ हम मिला करते थे, वे कुछ जगहें अब भी हरी हैं। तेज़ धूप में जब भी उन छायाओं से गुज़रता हूँ तो हिचकी आ जाती है।
क्या तुम कभी प्राग गई हो? अगर जाओ तो वहाँ काफ़्का की क़ब्र पर ज़रूर जाना और वहाँ सुनना उस ख़ामोशी को जो बहुत थककर चूर हो जाने से, गहरी नींद के बाद बिस्तर की सलवटों में रह जाती है। वहाँ सपने नहीं हैं, वहाँ बस एक ठंडी चुप है। तुम उस क़ब्र पर कुछ छोड़ आना।
सुना है छूटी हुई चीज़ों की जड़ें उग आती हैं![adinserter block=”1″]
तुम कहना कि सारा कुछ एक दिन बदल जाएगा और मैं मान लूँगा। फिर कहना कि उस सारे बदलाव के बावजूद आसमान गहरे नीले रंग का ही होगा और उसमें सफ़ेद बादलों में हमें अपनों का चेहरा कभी भी दिख जाएगा, जिन्हें हम खो चुके हैं। क्या तुम कह पाओगी कि हर खो जाने को हम पा लेने से बदल सकेंगे?
जब कुछ बहुत बुरा अपने चरम पर घट रहा होगा, क्या तब तुम सिरहाने आकर अपने कोमल हाथ माथे पर फेरकर जगा दोगी?
क्यों हम किसी के खो जाने के ठीक पहले तक उसे बता नहीं पाते हैं कि हम उन्हें कभी खोना नहीं चाहते हैं।
अगर हम सब क्षणिक हैं तो तुम जीवन हो! क्या कभी मिलोगी नहीं, इस घड़ी के बंद होने से पहले?[adinserter block=”1″]
क्या यह अंत है? बहुत दूर जा चुकी हो। सुनो, तुम रुक जाना कहीं पर, पर यह न कहना कि थक गई हो… कहना कि तेज़ धूप में मैं छाया तलाशना चाहती हूँ। मैं कहानी के उस हिस्से में फँसा हुआ हूँ, जहाँ ख़ाली घर में धूप घुस आई है और मेरे हाथों में झाड़ू है। तुम छाया की तलाश में बरगद चुनना और सुनना देर तक मेरे झाड़ू से धूप बुहारने के क़िस्से को। मुझे पता है कि तुम्हें बहुत हँसी आएगी, पर हमारी कहानी का अंत किसी बरगद की छाया में पल रही दरगाह में है।
सुनो तुम छाया मत तलाशना, तुम दरगाह ढूँढ़ना… वहाँ तुम्हें छाया, बरगद और कहानी का अंत ख़ुद ही पड़ा मिलेगा।[adinserter block=”1″]
इस गहरी रात में आज कुछ बेहद नीरस है, जैसे तुम्हारे शरीर के वे बारह तिल। बारह तिल, बारह महीनों की तरह मुट्ठी में दबोची रेत से रिसते चले जाते थे। मैं हर बार साल बचाने की छिछली कोशिश करता हूँ। मैं उस कोशिश में मुट्ठी और ज़ोर से बाँधता था। पर फिर भी दो उँगलियों के बीच से हर माह हँसता हुआ फिसल जाता था। साल ख़त्म होने पर अपनी ख़ाली मुट्ठी खोलता था, तो ग्यारह तिल छूट चुके होते थे, पर एक दिसंबर हथेली की रेखाओं में कहीं फँसा रह जाता था। वह आख़िरी तिल हर बार अपने पूरे साल से छिटककर चिपका रह जाता था हथेलियों पर।
तुम्हें याद है न, वह दिल्ली में दिसंबर की ठंड थी, तुमने मफ़लर पहना हुआ था और हमने आख़िरी बार गले लगकर एक-दूसरे को विदा कहा था? उस धुँध में तुम्हारे मफ़लर से झाँकता हुआ, तुम्हारी गर्दन पर बैठा वह दिसंबर का तिल! तुम्हारे चले जाने के बाद, रह गया था मेरे पास। साल आसानी से ख़त्म हो जाते हैं, पर दिसंबर हाथ नहीं छोड़ता है। आज भी।
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डाउनलोड लिंक (तुम्हारे बारे में | Tumhare Baare Me PDF Download) नीचे दिए गए हैं
हमने तुम्हारे बारे में | Tumhare Baare Me PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए Google Drive की link नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 2.1 MB है और कुल पेजों की संख्या 174 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक मानव कौल / Manav Kaul हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ तुम्हारे बारे में | Tumhare Baare Me की PDF को जरूर शेयर करेंगे।
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