पुस्तक का विवरण (Description of Book of तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी PDF | Tujhse Naraz Nahi Zindagi PDF Download) :-
नाम 📖 | तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी PDF | Tujhse Naraz Nahi Zindagi PDF Download |
लेखक 🖊️ | भानू प्रकाश / Bhanu Prakash |
आकार | 2 MB |
कुल पृष्ठ | 110 |
भाषा | Hindi |
श्रेणी | उपन्यास / Upnyas-Novel, कहानी |
Download Link 📥 | Working |
एक कमजोर इरादों वाला युवक, आलसी युवक, बहानेबाज। जिन्दगी को नकारात्मक नजर से देखने वाला युवक। जिन्दगी जीने के बजाय जिन्दगी क्या है, क्यों है जैसे प्रश्नों में उलझने वाला युवक।पानी की बेपरवाह धार में छोड़े हुए नाव की तरह। जिन्दगी जिधर ले जाए, कोई लक्ष्य नहीं, कोई तमन्ना नहीं। फिर सगाई, इश्क, शादी और बच्चे। क्या उसकी जिन्दगी में ऐसा कोई निर्णायक मोड़ आयेगा जो उसकी सोच और किस्मत को बदल देगा?‘तुझसे नाराज़ नहीं जिन्दगी’ एक ऐसे ही युवक के संघर्ष और जिजीविषा की कहानी है।
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पुस्तक का कुछ अंश
कुछ अपनी बात
कैसा होता होगा वह एहसास जब कोई माँ पहली बार अपने नवजात शिशु को छूती होगी, देखती होगी? कह नहीं सकता। अपने लिखे हुए कागज के पन्नों को किताब की शक्ल में आते देखना कुछ वैसा ही एहसास है शायद। जैसे कोई माँ अपने शिशु को नौ महीने सहेजती है अपने पेट में, वैसे ही लगभग डेढ़ साल सहेजा है मैंने अपनी रचना को अपने मष्तिष्क में। लेखक जब कोई कहानी लिखना शुरू करता है, तब उसके दिमाग में कुछ और कहानी होती है, लेकिन अंत तक पहुँचते-पहुँचते वह कोई और स्वरूप ले लेती है। कहानी के पात्र मानो कागज से निकल-निकल कर खुद अपने संवाद कहने लगते हैं, खुद अपनी मंजिल तय कर लेते हैं। शुरुआत में मैंने चाहा था कि यह एक प्रेम कहानी न हो प्यार मोहब्बत की असंख्य कहानियाँ लिखी जा चुकी हैं, इन पर असंख्य फिल्में बन चुकी हैं। मैं जीवन-दर्शन, आस्तिकता, नास्तिकता जैसे गूढ़ विषयों पर कुछ लिखना चाहता था। लेकिन काल्पनिक पात्रों को गढ़ना मुश्किल होता है। हमेशा यह डर होता है कि कहीं पात्र बनावटी न लगे। कहीं उनके चरित्र में विरोधाभास न झलके अपने आसपास की कहानियाँ चुनना हमेशा सुरक्षित होता है....
यह कहानी काल्पनिक होते हुए भी लेखक के जीवन से प्रेरित है। कहानी को रोचक बनाने के लिए नाटकीयता का सहारा लिया गया है। कुछ जगहों, संस्थाओं और व्यक्तियों के नाम मूल रूप में लिए गए हैं। लेकिन इसे सिर्फ एक कम्पनी की तरह लिया जाना चाहिए, अन्यथा नहीं।
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इस कहानी की लेखन यात्रा इस कहानी की तरह ही उतार-चढ़ाव वाली है। फेसबुक पर मेरी कुछ पोस्ट्स पढ़कर एक मित्र ने मेरे लेखकीय कौशल को पहचाना था। लेकिन खुद मुझे अपनी प्रतिभा पर संदेह था। फिर भी एक दिन में कागज-कलम लेकर बैठ गया। सोचना जितना आसान होता है, लिखना उतना ही मुश्किल। शुरुआती दिनों में घंटों की मेहनत के बाद भी एकाध पने ही लिख पाता था। साथ में मेरे कार्यक्षेत्र (बैंकिंग) की चिंता परेशानियाँ। ऊबकर मैंने लेखन कार्य को ठंडे बस्ते में डाल दिया और हिंदी साहित्य के सभी नामचीन कथाकारों को पढ़ना शुरू किया। बीच-बीच में मेरी दबी हुई प्रतिभा उछाल मारती और इस प्रकार लगभग डेढ़ साल में मेरी यह मैराथन रचना पूरी हुई।
निस्संदेह किसी लेखन कार्य में सबसे बड़ा त्याग लेखक की पत्नी का होता है। मैंने जरूर सैकड़ों घंटे सफेद कागजों और काले अक्षरों के बीच गुजारे, दिमाग को दही की तरह मथा, लेकिन अपनी पत्नी का बहुत सारा समय उससे छीना साथ ही उसे सबसे पहले मेरे लेखन को पढ़ना पड़ा। अपने खुद के हिस्से को वह चाव से पढ़ती, बाकी को सिर्फ मेरा मन रखने के लिए। इसलिए श्रीमती सोनी पाठक को धन्यवाद। मेरा परिवार, विशेषतः मेरी माँ जिन्होंने विशेष रुचि दिखाई थी इस लेखन के दौरान मेरे कॉलेज के मित्र अजय, अमर, ब्रजेश, अनीस और सुशांत जो इस कहानी में आए हैं, उनका आभार लेकिन जिस शख्स ने मेरे लेखकीय गुण को पहचाना और मुझे कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया, श्री जयकिशन साहू, उन्हें विशेष धन्यवाद और 'हिंद युग्म' को अनेकानेक धन्यवाद मुझ जैसे नए लेखक पर भरोसा जताने के लिए।
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उपक्रमणिका
नवंबर के महीने में इतनी बारिश का होना वाकई आश्चर्यजनक था। लगातार तीन दिनों की बारिश के बाद आज थोड़ी-सी राहत है। बादल छंट जाने से आसमान साफ नजर आ रहा है और चौदहवीं के चाँद की रोशनी अँधकार में डूबे गाँव को रोशन करने के लिए पर्याप्त साबित हो रही है। बरसात में भीगे घास पर फच फच की ध्वनि निकालते हुए प्रकाश चुपचाप चला जा रहा है। दोनों हाथों से पायजामे को ऊपर खींचे हुए, एकांतप्रिय प्रकाश रोज की भाँति अपने गंतव्य पर पहुँचकर रुकता है। आज तो पक्की (सीमेंट की बनी आयताकार पट्टी, जो शायद बच्चों के खेलने के लिए बनाई गई थी) पूरी गीली हो गई है। कुछ देर तक वह चुपचाप किंकर्तव्यविमूढ़ खड़ा रहता है, फिर चप्पल निकालकर उस पर बैठ जाता है। चाँदनी रात, मंद-मंद शीतल हवाएँ, चारों ओर फैली खामोशी किसी नीरस इंसान को भी शायर बना देती, लेकिन प्रकाश के लिए यह रोज की बात थी। बरगद के झुरमुटों में छिपे चंद्रमा को देखते-देखते जब वह ऊब गया, तो जेब से मोबाइल निकालकर पेरने लगा। अपनी ही खींची तस्वीरों को देखता जाता और जो नापसंद होती, उसे डिलीट कर देता। यह पंकज की फोटो मेरे मोबाइल में स्साला मतलबी आदमी! डिलीट । यह सोनू की शादी का वीडियो? मेरी शादी में मिलने भी नहीं आया। डिलीट कंचन! अचानक उसका हाथ रुक जाता है।... लेकिन अब क्या फायदा? मेरी भी शादी हो चुकी है और वो भी न जाने अब कहाँ होगी! डिलीट "अरे छोटू अकेले बैठे क्या कर रहे हो?" संध्याकालीन शौच से लौटते पड़ोसी बिशुन की आवाज ने उसे चौंका दिया। "बस ऐसे ही बिजली नहीं है, इसलिए यहाँ बैठा हूँ।"
डाउनलोड लिंक (तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी PDF | Tujhse Naraz Nahi Zindagi PDF Download) नीचे दिए गए हैं :-
हमने तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी PDF | Tujhse Naraz Nahi Zindagi PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 2 MB है और कुल पेजों की संख्या 110 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक भानू प्रकाश / Bhanu Prakash हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी PDF | Tujhse Naraz Nahi Zindagi को जरूर शेयर करेंगे। धन्यवाद।।Answer. भानू प्रकाश / Bhanu Prakash
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