3. समय का प्रबंधन
क्या आपके पास यह पुस्तक पढ़ने का समय है? यदि नहीं, तो आपको यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए। जीवन में कितनी बार आपने सोचा है कि दिन व रात और बड़े होते तो आप कितना काम और कर सकते थे। आज के तेजी से उन्नति की ओर अग्रसर युग में जब आपके चारों ओर अनगिनत सूचनाओं एवं अवसरों का जाल बिछा है, तब आपके समय का मूल्य आपके धन से भी अधिक महत्त्वपूर्ण आँका गया है। जिस प्रकार आप अपने धन का सदुपयोग करते हैं, उसी प्रकार आपको अपने समय का सदुपयोग सुनिश्चित करना होगा। इसके लिए समय का प्रभावी प्रबंधन करना अति आवश्यक है। समय के समुचित प्रबंधन से ही आपके कार्यों की गुणवत्ता आँकी जा सकती है।
समय का प्रभावी एवं उपयोगी प्रबंधन धन के प्रबंधन से भी अधिक कठिन है, क्योंकि आप धन तो जमा कर सकते हैं और वह घटता-बढ़ता भी रहता है, लेकिन आप समय को जमा करके नहीं रख सकते हैं। यह तो अपनी निश्चित गति से निरंतर पल-पल चलता रहता है और आपके बिना जाने ही व्यतीत होता रहता है।
समय के प्रभावी प्रबंधन के लिए यह आवश्यक है कि आपका शरीर, दिल व दिमाग भी स्वस्थ रहे और इसके लिए यह आवश्यक है कि आप एक नियमित दिनचर्या का पालन करें, नियमित व्यायाम करें, संतुलित भोजन करें, सुबह जल्दी उठकर बहुमूल्य समय का सदुपयोग करें एवं अपने आपको उपयोगी कार्यों में व्यस्त रखें। यह ध्यान रखें कि समय प्रत्येक व्यक्ति के लिए समान रूप से उपलब्ध है। एक व्यस्त व्यक्ति के पास हर कार्य के लिए उचित समय होता है, जबकि आलसी व्यक्ति के पास किसी भी कार्य के लिए समय नहीं होता और वह प्रत्येक काम को टालता रहता है।
समय-प्रबंधन की आवश्यकता प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक जैसी न होकर अलग-अलग होती है और यह इस पर निर्भर करता है कि आप अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं? क्या बनना चाहते हैं? कितनी उन्नति करना चाहते हैं? इसके लिए आपको अपनी प्राथमिकताएँ निर्धारित करनी होंगी, अपनी स्थिति निश्चित करनी होगी, आपको अपने कार्य की दिशा निर्धारित करनी होगी।[adinserter block="1"]
एक बार यदि आप यह निर्णय कर लें कि आपको क्या-क्या कार्य करने हैं, तभी आप यह निश्चित कर सकेंगे कि किस प्रकार दिन के चौबीस घंटे के समय का उचित उपयोग कर सकते हैं। इस प्रकार आपके सम्मुख उपस्थित अनेक कार्यों की प्राथमिकता तय करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि समय की निश्चित अवधि को तो आप घटा-बढ़ा नहीं सकते। केवल उसका सदुपयोग कार्यों की उनकी प्राथमिकता एवं महत्त्व के आधार पर कर सकते हैं। यही उचित समय-प्रबंधन का मूलमंत्र है।
अपने समय का उपयोग करते समय आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि आपके परिवार, मित्र, सहयोगी आदि भी आपके समय को प्रभावित कर सकते हैं। इसके साथ ही आपको अपने व्यक्तित्व के अनेक पहलुओं का एक-दूसरे के साथ सामंजस्य करना होगा, ताकि आप अपने पास उपलब्ध चौबीस घंटे के समय का अपने व्यवसाय, परिवार, मनोरंजन, स्वास्थ्य जैसी अनेक आवश्यकताओं में बँटवारा कर सकें।
समय-प्रबंधन के संदर्भ में दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अपने कार्यक्षेत्र में अचानक आनेवाली बाधाओं से निपटने के लिए भी अपने आपको तैयार रखें, क्योंकि यह निश्चित है कि आपके जीवन में अनेक बार अचानक बाधाएँ आएँगी। उन्हें आप टाल नहीं सकते हैं, लेकिन उनसे निपटने के लिए तैयार रह सकते हैं। इस तरह की बाधाओं से निपटने में लगने वाले समय को नष्ट होना न मानें।
इस संदर्भ में तीसरी महत्त्वपूर्ण बात यह है कि भिन्न-भिन्न कार्य-क्षेत्रों में आपके लक्ष्य व उद्देश्य अलग-अलग दिशा में न हों, क्योंकि दैनिक कार्यों में लक्ष्य-प्राप्ति ही आपके साप्ताहिक, मासिक, वार्षिक और अंततः जीवन के लक्ष्य व उद्देश्य प्राप्त करने में सहायक होगी। जब आप अपने दैनिक कार्यों में लक्ष्य-प्राप्ति का निश्चित ध्येय बनाकर, अनुशासनपूर्वक समय का सदुपयोग करते हुए आगे बढ़ेंगे, तभी आप अपने जीवन का लक्ष्य सफलतापूर्वक प्राप्त कर सकेंगे।
समय-प्रबंधन के संदर्भ में चौथी महत्त्वपूर्ण आवश्यकता अपने आपको आलस्य से दूर रखने की है। काम को टालते रहने की आदत बचपन से ही पड़ जाती है और फिर आज के काम को कल पर टालने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है। इस प्रकार बहुत से ऐसे काम जमा हो जाते हैं, जिन्हें आप किसी-न-किसी कारणवश टालते रहते हैं।
एक सीमा पर आकर अनेक कार्य आपकी पहुँच से बाहर हो जाते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए आपके पास समय ही नहीं होता। इस प्रकार अनेक कार्यों में असफल रहने पर आपको आत्मग्लानि होने लगती है। इससे बचने के लिए यह आवश्यक है कि आप अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर निर्धारित कार्यों को योजनानुसार संपन्न करते रहें। उन्हें कल पर न टालें और इन पंक्तियों को याद रखें—
‘‘काल करै सो आज कर, आज करै सो अब।
पल में परलय होई है, बहुरि करैगौ कब॥’’
इस संदर्भ में पाँचवीं महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जीवन में दिन-प्रतिदिन अचानक आने वाली छोटी-छोटी आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए भी कुछ समय देना होगा। बच्चों के लिए, परिवार के लिए, रिश्तेदारों के लिए, अचानक मिले निमंत्रण के लिए, मित्रों से मिलना-जुलने, घर-बाहर के छोटे-मोटे काम करने, कार्यालय में अचानक आनेवाले व्यक्तियों से मिलने, टेलीफोन संदेश जैसे कार्य करने, आपके अधिकारी, साथी एवं मातहत कर्मचारी इत्यादि सभी की कुछ-न-कुछ समस्याओं को हल करने के लिए भी कभी-न-कभी आपको थोड़ा-बहुत समय देना होगा।
आप समाज से अलग-थलग होकर नहीं रह सकते हैं। आप कार्यालय में भी अलग-थलग नहीं रह सकते। आप अपने परिवार और बच्चों को भी उनके भाग्य पर नहीं छोड़ सकते। उनका भविष्य आपको ही सँवारना है। आवश्यक कार्यों के लिए अपना समय अवश्य ही लगाइए, लेकिन अनावश्यक कार्यों के लिए निश्चित रूप से मना कर दीजिए। अपना आपा न खोइए, लेकिन हर काम करने के लिए तैयार होकर न बैठे रहिए। अपने समय का सुचारु रूप से नियमन व नियंत्रण केवल आप ही कर सकते हैं, कोई अन्य व्यक्ति नहीं।
चित्र 3.1 : समय आपके नियंत्रण में
समय-प्रबंधन के संदर्भ में छठी मुख्य बात—पार्किंसन का नियम है। इस नियम की मूल अवधारणा के अनुसार आपके पास जितना समय होगा और आप किसी काम को करने में जितना समय लगाना चाहेंगे, वह काम उतना ही बढ़ता जाएगा। कई बार आपने देखा होगा कि जिस काम को आप टालते आ रहे थे, उसे करने की समय सीमा समाप्त होने को आ गई है और आप हड़बड़ी में उसे जैसे-तैसे पूरा करके छुटकारा पाते हैं। तब क्यों न पहले से ही सुनियोजित ढंग से काम करते हुए कम-से-कम समय में उसे पूरा करें, ताकि आप उसे सफलतापूर्वक पूरा करने का संतोष प्राप्त कर सकें।
सातवीं महत्त्वपूर्ण बात—योजना बनाकर कार्य करते समय 80/20 का नियम भी ध्यान में रखने योग्य है। इस नियम के अनुसार आपके द्वारा व्यय किए गए केवल 20 प्रतिशत समय का आपके उत्पादक तथा उपयोगी कार्यों से सीधा संबंध रहता है, बाकी 80 प्रतिशत समय आप छोटे-छोटे अनुत्पादक एवं अनुपयोगी कार्यों में ही नष्ट कर देते हैं।
इसलिए महत्त्वपूर्ण कार्य आरंभ करने से पहले योजना बनाएँ। सबसे कठिन कार्यों को दिन के आरंभ में करें, जब आप शक्ति से भरपूर रहते हैं। अनेक प्रकार के कार्य आप दूसरे व्यक्तियों को पूरा करने के लिए सौंप सकते हैं। आपको उन पर तथा उनकी कार्यक्षमता पर भी विश्वास करना होगा। अपने साथी, सहकर्मी, कर्मचारी, परिवार के अन्य सदस्य आदि को कुछेक विशिष्ट कार्य सौंपने में हिचकिचाएँ नहीं। यह आपकी अयोग्यता नहीं है। दूसरे व्यक्तियों से काम कराना भी योग्यता है, एक कला है।
समय-प्रबंधन के संदर्भ में आठवीं मुख्य बात—योजनानुसार किए जाने वाले कार्यों के अतिरिक्त भी आपको दिन-प्रतिदिन अपने घर तथा कार्यालय में, डाक से व अन्य आनेवाली अनेक समस्याओं से निपटने के लिए अपना उपयोगी समय लगाना होगा। इस प्रकार अचानक उत्पन्न हुए कार्यों को सफलतापूर्वक संपन्न करना भी एक कला है। इनको संपन्न करने में लगे समय को नष्ट हुआ न समझें।
समय-प्रबंधन के संदर्भ में नौवीं महत्त्वपूर्ण बात यह है कि अपने घर तथा कार्यालय में अपनी सभी वस्तुएँ यथास्थान ही रखें, ताकि जिस वस्तु की जब आवश्यकता हो, आप आँख मूँदकर उसे उठा सकें और उसका उपयोग करने के पश्चात् उसी स्थान पर वापस भी रख सकें। इसे एक अनिवार्य नियम बना लें—
‘प्रत्येक वस्तु का एक निश्चित स्थान हो और उसे उसी स्थान पर रखें।’
समय के मूल्य को सही-सही पहचानकर, उसका नियमन करके उसे सँवारना अपनेधन को सँवारने से कहीं अधिक कठिन है।
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4. समय की निश्चित अवधि
पिछली एक शताब्दी में ही विश्व में अब तक के सबसे अधिक तकनीकी आविष्कार एवं विकास कार्य हुए हैं जिनके कारण एक ओर तो जीवन के अनेक कार्यों को अद्भुत गति मिली है तथा दूसरी ओर असीमित सरलता। कुछ ही समय पहले तक व्यक्ति अनेक प्रकार के कार्य इन तकनीकी आविष्कारों के बिना भी कुशलतापूर्वक संपन्न करते रहे। कड़ी मेहनत भी करते रहे, स्वास्थ्यवर्धक मनोरंजन और पारिवारिक व सामाजिक जीवन का आनंद भी लेते रहे।
समय का महत्त्व और सदुपयोग करने के लिए हम एक साधारण गृहिणी की दिनचर्या का ध्यान करें, जो बहुत सवेरे उठकर नित्यकर्म, स्नान-ध्यान के उपरांत बच्चों व पति के लिए नाश्ता तैयार करना, उन्हें स्कूल व ऑफिस भेजना, साबुन घिसकर व पीट-पीटकर कपड़े धोना, घर की साफ-सफाई करना, कपड़े प्रेस करके सहेजकर रखना, पालतू एवं दुधारू पशुओं की देखभाल करना, स्कूल व ऑफिस से बच्चों व पति के लौटने पर नाश्ता-चाय आदि तैयार करना, बाग-बगीचे, फुलवारी की देखभाल करना, अड़ोस-पड़ोस में मेलजोल रखना, शाम के खाने की तैयारी करना, कुछ पढ़ाई-लिखाई, सिलाई-बुनाई करना आदि सभी कार्यों को उचित समय पर पूरा करती है। तात्पर्य यह कि दिन भर के सभी कार्यों को यथासमय संपन्न करती है। आवश्यकतानुसार इनमें पति व बच्चों की मदद लेना भी सम्मिलित है।
क्या आपने कभी सोचा है कि एक साधारण गृहिणी इतने सब काम दिन-प्रतिदिन इतने सुव्यवस्थित ढंग से कैसे कर लेती है। आवश्यकता पड़ने पर पति व बच्चों की क्षमतानुसार उन्हें कुछ काम सौंपकर संपन्न कराती है। निश्चय ही इन सबमें सामान्य-प्रबंधन एवं समय-प्रबंधन से संबंधित सभी नियम लागू होते हैं। एक साधारण गृहिणी के लिए समय-प्रबंधन जैसा कोई विषय भी नहीं था। आज भी ऐसी कोई शिक्षा गृहिणियों को उपलब्ध नहीं है। सभी बातें अपने-आप सीखकर आदत में ढाली जाती हैं। यही समय प्रबंधन का मूलमंत्र है।
मनुष्य की यह एक अद्भुत अभिव्यक्ति है कि प्रत्येक व्यक्ति अलग-अलग तरीके से सोचता व कार्य करता है। अलग सोचने व अलग कार्य करने का तरीका यह निर्धारित करता है कि एक व्यक्ति समयानुसार अनेक कार्य करते हुए भी प्रसन्न रहता है और दूसरा व्यक्ति कोई भी कार्य करते समय यही सोचता रहता है कि उसके पास समय ही नहीं है।
संभवतः आप अपने जीवन का तथा अपने समय का शत-प्रतिशत नियंत्रण तो नहीं कर सकते, लेकिन प्रभावी ढंग से समय का सदुपयोग करने की आदत तो डाल ही सकते हैं। समय नष्ट न करने जैसी छोटी सी उपलब्धि से आप संतोष अनुभव करेंगे और प्राथमिकता के अनुसार अनेक कार्य सफलतापूर्वक संपन्न कर सकेंगे।
इसके लिए आपको केवल अपने समय नियमन व नियंत्रण का अभ्यास करने की आवश्यकता है। समय का महत्त्व पहचानकर एवं उसका मूल्य आँककर, उसे व्यर्थ नष्ट न करने अथवा नष्ट न होने देने का प्रण करना होगा। आपको यह निश्चय करना है कि आप अपने समय का सदुपयोग करना चाहते हैं या नहीं? यदि हाँ, तो क्या आप इसके लिए समयानुसार परिवर्तन करने के लिए तैयार हैं? आपको इसके लिए अपने जीवन, जीवन-शैली, कार्य-शैली, घर-परिवार, मित्र, मनोरंजन आदि के तौर-तरीकों में परिवर्तन करने होंगे, ताकि आप अपने समय का प्रभावी ढंग से सदुपयोग कर सकें। यदि आप अपनी साधारण सी आदतों को नहीं बदल सकते, तो आप वही पाएँगे जो आप हमेशा पाते रहे हैं।
समय के संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि जीवन में प्रत्येक कार्य करने से पूर्व सोच-विचारकर, योजना बनाकर करने की आदत डालिए, लेकिन सोचने और योजना बनाने में ही सारा समय नष्ट न कर दें।
एक बार जब आप अपने जीवन में अनावश्यक अवधारणा व आदतों का निराकरण करने का निश्चय कर लें तब आपको निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सोचने हैं—
1. आप अपने समय का उपयोग किस प्रकार करते हैं?
2. किन पुरानी आदतों में बदलाव लाकर आप समय बचा सकते हैं?
3. आपका सबसे अच्छा, प्रभावी एवं उत्पादक समय दिन में कौन सा है—सुबह, दोपहर, शाम अथवा रात्रि?
4. समय का सदुपयोग करके आप क्या प्राप्त करेंगे?
5. कम समय में अधिक उपयोगी कार्य करके आप क्या प्राप्त करेंगे?
6. बिना सोचे-विचारे व बिना किसी योजना के कार्य करके आप कितना समय व्यर्थ नष्ट करते हैं?
7. आपके जीवन का उद्देश्य क्या है?
8. आप अपने जीवन में क्या करना चाहते हैं?
9. आप अपने जीवन में कितनी उन्नति करना चाहते हैं?
10. आप कौन सा लक्ष्य प्राप्त करना चाहते हैं?
11. आप जीवन में किस प्रकार कार्य करना चाहते हैं?[adinserter block="1"]
12. आप अपने जीवन में सफलता किस प्रकार प्राप्त करना चाहते हैं?
13. क्या आप हर समय सभी व्यक्तियों से संपर्क रखते हुए अनेक कार्य करते रहना चाहते हैं?
14. क्या इस प्रकार सभी व्यक्तियों से संपर्क रखने के लिए आप अपना बहुमूल्य समय नष्ट करते रहते हैं और कोई भी कार्य पूरा नहीं कर पाते हैं?
15. क्या आप कोई भी कार्य अंतिम समय तक टालते रहते हैं?
16. क्या आप समय न होने का बहाना बनाकर आवश्यक परंतु कठिन कार्यों को समय पर पूरा नहीं कर पाते हैं?
17. क्या आप किसी भी काम को करने के लिए दूसरे व्यक्तियों को सौंपने से पहले उनकी क्षमता का आकलन कर सकते हैं?
18. क्या आप किसी काम को करने के लिए सही दिशा-निर्देश दे सकते हैं?
19. क्या आप अपनी इच्छानुसार दूसरे व्यक्तियों से काम संपन्न करा सकते हैं?
20. क्या आपको अपनी क्षमताओं पर पूर्ण विश्वास है?
21. क्या आप विश्वास करते हैं कि अपने जीवन एवं अपनी आदतों में आवश्यक परिवर्तन करने में सक्षम हैं?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर बहुत कठिन हैं। इसके लिए आपको आत्म-मंथन व मनन करके सही-सही उत्तर ढूँढ़ने होंगे। यदि आप इन्हें लिखते जाएँ तो पाएँगे कि आप अपना अधिकांश समय व्यर्थ के कामों में नष्ट करते हैं और इस प्रकार कोई भी कार्य पूरा नहीं कर पाते हैं। अपनी असफलताओं के बारे में चिंता न कर तथा अनावश्यक कार्यों को छोड़कर अपना समय बचा सकते हैं।