बहुजन साहित्य की प्रस्तावना / Bahujan Sahitya Ki Prastaawanaa
साहित्य की दुनिया में निष्कर्ष से अधिक महत्वपूर्ण निष्कर्ष तक पहुंचने की प्रकिया होती है। जब हम कोई उपन्यास पढ़ रहे होते …
साहित्य की दुनिया में निष्कर्ष से अधिक महत्वपूर्ण निष्कर्ष तक पहुंचने की प्रकिया होती है। जब हम कोई उपन्यास पढ़ रहे होते …
“बहुजन साहित्य की प्रस्तावना” शीर्षक यह किताब हिन्दी और भारतीय भाषाओं में बहुजन साहित्य की अवधारणा पर विमर्श प्रस्तुत करती है। एक …
शक्ति के विविध रूपों, यथा योग्यता, बल, पराक्रम, सामर्थ्य व ऊर्जा की पूजा सभ्यता के आदिकाल से होती रही है, न केवल …
एक मशहूर अफ्रीकन कहावत है, “जब तक शेरों के अपने इतिहासकार नहीं होंगे, इतिहास शिकारी का ही महिमामंडन करता रहेगा।” पुस्तक, ‘महिषासुर …
जिस समय हमारी ट्रेन महोबा स्टेशन पर लगी, उस समय तक रात गहरी हो चुकी थी। दिल्ली तो आठों पहर जागती रहती …
प्रमोद रंजन के सम्पादन में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पुस्तक ‘महिषासुर : मिथक व परम्पराएं’ प्रकाशित हुई है, जिसमें दुर्गा और महिषासुर के …