सामने देखो / Samne Dekho
‘सामने देखो’ उपन्यास की पृष्ठभूमि भी वास्तविकता के धरातल पर टिकी हुई है, जिसमें सुरनाथ, शिवनाथ, सुनीपा और अमित जैसे पात्र जीवन …
‘सामने देखो’ उपन्यास की पृष्ठभूमि भी वास्तविकता के धरातल पर टिकी हुई है, जिसमें सुरनाथ, शिवनाथ, सुनीपा और अमित जैसे पात्र जीवन …
वह कविता कहाँ गयी, बिटिया शर्मिष्ठा? अरे, वह कविता, जो मैंने लिखी थी और फेंक दी थी? हाँ, बिटिया, तूने उठाकर सहेज …
महाश्वेता देवी के उपन्यास का मतलब ही है, कोई भिन्नतर स्वाद! किसी भिन्न जीवन की कथा! उनकी कथा-बयानी में न कोई ऊपरी-ऊपरी …
‘झाँसी की रानी’ महाश्वेता देवी की प्रथम रचना है। स्वयं उन्हीं के शब्दों में, ‘इसी को लिखने के बाद मैं समझ पाई …