पुस्तक का विवरण (Description of Book of सुनो लद्दाख / Suno Laddakh PDF Download) :-
नाम 📖 | सुनो लद्दाख / Suno Laddakh PDF Download |
लेखक 🖊️ | नीरज मुसाफ़िर / NEERAJ MUSAFIR |
आकार | 24 MB |
कुल पृष्ठ | 217 |
भाषा | Hindi |
श्रेणी | यात्रा वृतांत |
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सुनो लद्दाख! एक यात्रा-वृत्तान्त है, जिसमें लेखक द्वारा लद्दाख में की गई पैदल-यात्राओं, अर्थात ट्रैकिंग का वर्णन है। किताब के मुख्यत: दो भाग हैं – पहला, चादर ट्रैक, और दूसरा, जांस्कर ट्रैक। चादर ट्रैक, सर्दियों में, खासकर जनवरी और फरवरी में ही होता है। नीरज, इस ट्रैक के द्वारा यह देखना चाहते थे, कि सर्दियों में लद्दाख कैसा होता है, और वहाँ लोग कैसा जीवन यापन करते हैं। जांस्कर ट्रैक में पदुम-दारचा ट्रैक का उल्लेख है, और लद्दाख के भी सुदूरवर्ती इलाके, जांस्कर के जीवन में झाँकने की छोटी-सी कोशिश की गई है। ये यात्राएँ केवल साक्षीभाव से की गई हैं; अर्थात वहाँ जाकर अपने आसपास को देखना; बस। जो दिखा, वही लिख दिया। वहाँ के बारे में लेखक की बहुत सारी धारणाएँ थीं; कुछ खण्डित हुर्इं, कुछ मजबूत हुर्इं। किताब की भाषा-शैली रोचक और सरल है। इसे पढ़ते हुए आपको महसूस होगा कि आप स्वयं ही इन यात्राओं में लेखक के सहयात्री बन गए हैं। इस सहयात्रा के दौरान जैसा मनोभाव आपका होता, वैसा ही मनोभाव पुस्तक में पढ़ने को मिलेगा।
पुस्तक का कुछ अंश
:-
1.जनवरी में लद्दाख और चादर ट्रैक
i. लद्दाख यात्रा की तैयारी
पता नहीं क्या हुआ, कैसे हुआ कि मुझे जनवरी में लद्दाख जाना पड़ गया।
कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसा हो जायेगा। हवाई जहाज से जाना पड़ता है जनवरी में वहाँ। कहाँ हवाई जहाज, कैसा हवाई जहाज - इधर तो कुछ पता ही नहीं था। लद्दाख जाऊँगा अवश्य, लेकिन जनवरी में? ना जी ना। फिर एक दिन अख़बार में पेंगोंग झील का फोटो देखा जिसमें जमी हुई झील पर
एक गाड़ी खड़ी थी और लोग मजे से फोटो खींच रहे थे। इस फोटो ने तो रोंगटे खड़े कर दिये। अच्छी-खासी ठण्ड होती है, यह तो पता था, लेकिन ऐसी भी ठण्ड होती है, इसका कोई अन्दाजा नहीं था। हम जब तक इन चीजों का सामना नहीं कर लेते, कभी भी इनकी वास्तविकता नहीं जान सकते। मुझे कभी एहसास ही नहीं हुआ कि शून्य से नीचे भी कोई ठण्ड होती है। मेरे लिये शून्य डिग्री ही सीमा थी; बस, इससे कम नहीं। इससे कम तापमान के बारे में विज्ञान की किताब में पढ़ा था, लेकिन वो प्रयोगशालाओं की बात लगती थी। मैं शर्त लगा बैठता था कि शून्य डिग्री ही अन्तिम सीमा है; शून्य डिग्री पर पानी जम जायेगा और बात खत्म। इस झील में पानी जमा हुआ है, तो बस शून्य डिग्री है।
अब इधर हमने भी दसवीं तक की भौतिकी अच्छी तरह पढ़ रखी थी। बर्फ पानी के ऊपर तैरती है, नीचे पानी होता है। इसका अर्थ है कि झील में जो बर्फ दिख रही है, वो पानी पर तैर रही है और उसके नीचे पानी है। चार डिग्री पर पानी का घनत्व सर्वाधिक होता है तो शून्य डिग्री की बर्फ के नीचे चार डिग्री का पानी विद्यमान है। बर्फ कितनी मोटी है, पता नहीं। कहीं से अगर टूट-टाट गई तो पानी में जा पड़ेंगे और फिर कभी नहीं निकल सकेंगे।
बस, यही सोचता रहता था और दोस्तों से विमर्श करता रहता था। दोस्त भी अपने, मेरे ही जैसे थे; मैं तो केवल पानी में जा पड़ने तक ही सीमित रहता था, वे लोग दो पायदान और ऊपर जा चढ़ते थे - लाश पानी में बर्फ के नीचे दिखती रहेगी, लेकिन कभी निकाली नहीं जा सकेगी; ठण्ड के कारण न सड़ेगी और न गलेगी, अनन्त काल तक। तो जी, मण्डली ने तय कर लिया कि ऐसी जगह जायेंगे ही नहीं। ऐसी जगह कहाँ है? पता नहीं। एक….
डाउनलोड लिंक (सुनो लद्दाख / Suno Laddakh PDF Download) नीचे दिए गए हैं :-
हमने सुनो लद्दाख / Suno Laddakh PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 24 MB है और कुल पेजों की संख्या 217 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक नीरज मुसाफ़िर / NEERAJ MUSAFIR हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ सुनो लद्दाख / Suno Laddakh को जरूर शेयर करेंगे। धन्यवाद।।Answer. नीरज मुसाफ़िर / NEERAJ MUSAFIR
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