सामने देखो / Samne Dekho

‘सामने देखो’ उपन्यास की पृष्ठभूमि भी वास्तविकता के धरातल पर टिकी हुई है, जिसमें सुरनाथ, शिवनाथ, सुनीपा और अमित जैसे पात्र जीवन की सच्चाई को उजागर करते हुए अपनी-अपनी व्यथा कहते प्रतीत होते हैं। उपन्यास की कथा इन पात्रों के इर्द-गिर्द घूमते हुए पारिवारिक सत्यता को उजागर करती है।

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