पुस्तक का विवरण (Description of Book) :-
नाम / Name | अक्टूबर जंक्शन PDF / October Junction |
लेखक / Author | |
आकार / Size | 0.78 MB |
कुल पृष्ठ / Pages | 120 |
Last Updated | April 30, 2022 |
भाषा / Language | Hindi |
श्रेणी / Category | उपन्यास / Upnyas-Novel |
चित्रा और सुदीप सच और सपने के बीच की छोटी-सी खाली जगह में 10 अक्टूबर 2010 को मिले और अगले 10 साल हर 10 अक्टूबर को मिलते रहे। एक साल में एक बार, बस। अक्टूबर जंक्शन के ‘दस दिन’ 10/अक्टूबर/ 2010 से लेकर 10/अक्टूबर/2020 तक दस साल में फैले हुए हैं।
एक तरफ सुदीप है जिसने क्लास 12th के बाद पढ़ाई और घर दोनों छोड़ दिया था और मिलियनेयर बन गया। वहीं दूसरी तरफ चित्रा है, जो अपनी लिखी किताबों की पॉपुलैरिटी की बदौलत आजकल हर लिटरेचर फेस्टिवल की शान है। बड़े-से-बड़े कॉलेज और बड़ी-से-बड़ी पार्टी में उसके आने से ही रौनक होती है। हर रविवार उसका लेख अखबार में छपता है। उसके आर्टिकल पर सोशल मीडिया में तब तक बहस होती रहती है जब तक कि उसका अगला आर्टिकल नहीं छप जाता।
हमारी दो जिंदगियाँ होती हैं। एक जो हम हर दिन जीते हैं। दूसरी जो हम हर दिन जीना चाहते हैं, अक्टूबर जंक्शन उस दूसरी ज़िंदगी की कहानी है। ‘अक्टूबर जंक्शन’ चित्रा और सुदीप की उसी दूसरी ज़िंदगी की कहानी है।
किसी किताब के किरदार जब कहानी खत्म करने के बाद भी आपके साथ रहने लगें तो लगता हैकि कहानी आपके आस पास ही लिखी गई थी, जैसे किरदारों से दोस्ती हो जाती है, कुछ सवाल आप भी पूछना शुरू कर देते हैं, नाराज़ होना शुरू कर देते हैं। हैं, जैसे लगता है कि कुछ शिकायतें करने का हक़ तो आपके पास भी आ गया है किताब पढ़ने के बाद।
किताब पढ़ने का मज़ा तब बहुत आता है जब उसे पढ़ने में दिमाग ना लगाना पड़ जाता है, पढ़ते ही दिल तक होना, दिमाग लगाकर आज तक भी किताबे पढ़ी गई हैं, वो अक्सर जब तक या ताउम्र याद नहीं रहती, हमारे सेलेबस की किताबें शायद यह जीता जता उदाहरण हैं।
किताब खत्म करके मैं बड़ी देर तक शांत था, जैसे कि कुछ और करूँगा तो इसका टेस्ट खत्म हो जाएगा, बिल्कुल उसी तरह जैसे अपनी फेवरेट डिश खाकर बड़ी देर तक उसका स्वाद फील करते रहते हैं।
कहानियाँ बीती हुई होती हैं, लेकिन सुनने या पढ़ने के बाद फिर से जिंदा हो जाती है हमेशा के लिए और यही इस किताब की खूबसूरती है।
पुस्तक का कुछ अंश
इतने में पीछे से कुछ लड़के-लड़कियों का एक ग्रुप एक साथ चिल्लाता है,
“Chitra, we love you।”
चित्रा का मैनेजर बीच में आकर सबको चुप रहने के लिए कहता है। चित्रा माइक को अपने पास खींचकर कहती है, “मुझे आप लोगों से एक कन्फेशन करना है।”
चित्रा कभी कन्फेशन जैसा कमजोर शब्द बोलेगी इस बात का यकीन कर पाना मुश्किल है। चित्रा ने जो भी किया है डंके की चोट पर किया है। हॉल में बैठे लोगों की आँखों में सवाल-ही-सवाल हैं जिनके जवाब केवल चित्रा के पास हैं।
चित्रा के सामने बैठे एक बुजुर्ग की आँखों में देखती है। ये बुजुर्ग चित्रा के साथ ही हॉल में आए थे। वे बुजुर्ग चित्रा की ओर देखकर हामी में अपना सिर हिलाकर जैसे चित्रा को हिम्मत देते हैं।
चित्रा चाय का एक सिप लेकर बोलना शुरू करती है— “मैं हर 10 अक्टूबर को अपनी नयी किताब के बारे में अनाउन्स करती हूँ। आज भी मैं एक नयी किताब के बारे में आप सबको बताने वाली हूँ लेकिन… वो किताब मेरी नहीं बल्कि सुरभि पराशर की है। एक सच जो आज पहली बार दुनिया के सामने आ रहा है वो ये कि सुरभि पराशर और चित्रा पाठक एक ही हैं।”
चित्रा के इतना बोलते ही पूरे हॉल में सन्नाटा पसर जाता है। उन बुजुर्ग ने चैन की साँस ली और अपनी पीठ कुर्सी पर पीछे टिका दी। चित्रा आगे बोलना शुरू करती है।
“लेकिन सुरभि पराशर और चित्रा पाठक केवल किताब के पार्ट-3 में एक हैं। मैंने सुरभि की किताब के पहले दो पार्ट नहीं लिखे हैं। सुरभि को कोई नहीं जानता, मैं भी नहीं जानती थी। जब मैंने यह सच बता ही दिया है तो आपलोग ये भी जान लीजिए कि मैंने केवल किताब के पार्ट-3 का आधा हिस्सा लिखा है। मैं यह भी बता देना चाहती हूँ कि सुरभि पराशर नाम का कोई व्यक्ति नहीं है बल्कि सुरभि पराशर के नाम से सुदीप यादव ने सारी किताबें लिखी हैं।”
कमरे में खुसुर-फुसुर शुरू हो जाती है, लेकिन चित्रा अपना बोलना जारी रखती है।
“सुदीप कौन है ये आप सब लोगों को पता है। आप थोड़ा-सा जोर डालेंगे तो आपको याद आएगा कि सुदीप यादव जिसने आज से दस साल पहले अपनी कंपनी बुक माइ ट्रिप डॉट कॉम से धूम मचा दी थी। सुदीप के टि्वटर पर 50 लाख फॉलोवर थे। सुदीप दुनिया के Wonder under 30 की लिस्ट यानी तीस साल से कम उम्र में जो सबसे ज्यादा प्रभावी लोग थे उस लिस्ट में अपनी जगह बना ली थी। अपनी कंपनी के अलावा वह दूसरों के बिजनेस में इन्वेस्ट भी करता था। सुदीप यादव के साथ एक मिनट लिफ्ट में जाने के लिए भी लोग बेचैन रहते थे। एक-दो बार उसने लिफ्ट में मिले हुए किसी लड़के के आइडिया में तुरंत इन्वेस्ट कर दिया था।
क्रिकेट में जो जगह सचिन की थी, वो स्टार्टअप की दुनिया में सुदीप यादव की थी। किसी भी कॉलेज का कोई लड़का अपना स्टार्टअप शुरू करने का सपना देखता था तो वह सुदीप यादव को अपना आइडल मानता था। देश की बड़ी-से-बड़ी मॉडल और हीरोइन सुदीप यादव के साथ डेट करने के लिए तैयार थी। यह वही सुदीप यादव है जो सुरभि पराशर के नाम से किताब लिख रहा था।”
चित्रा ने इतना कहकर पानी पिया।
“सुदीप ने किताब का थर्ड पार्ट खुद क्यों नहीं पूरा किया?”
“आप सुदीप को कैसे जानती हैं?”
“ये किताब के लिए पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं है?”
“आप सुरभि पराशर से चिढ़ती हैं?”
“सुदीप यादव आज यहाँ क्यों नहीं आया?”
“सुदीप यादव कहाँ है?”
“क्या सुदीप यादव किसी सुरभि पराशर नाम की लड़की से प्यार करता था?”
“सुदीप और आपके बीच अफेयर है?”
चित्रा के इतना बोलने के बाद कमरे में सवाल कम नहीं हुए थे बल्कि सवाल और बढ़ गए थे। सब सवालों के जवाब केवल चित्रा के पास थे। आज जो चित्रा लोगों के सामने थी वह अभी तक की अपनी पब्लिक अपीयरेंस से बिलकुल अलग थी। आज बड़े से कॉन्फ्रेंस हॉल में बैठी चित्रा और दस साल पहले की चित्रा में कोई फर्क नहीं था। वह चित्रा जो आज से ठीक दस साल पहले बनारस गई थी।
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