पुस्तक का विवरण (Description of Book of नास्तिकों के देश में: नीदरलैंड / Nastikon ke desh mein: Netherlands PDF Download) :-
नाम 📖 | नास्तिकों के देश में: नीदरलैंड / Nastikon ke desh mein: Netherlands PDF Download |
लेखक 🖊️ | प्रवीण कुमार झा / Praveen Jha |
आकार | 4 MB |
कुल पृष्ठ | 88 |
भाषा | Hindi |
श्रेणी | यात्रा वृतांत |
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लेखक प्रवीण झा शहरों और देशों के विचित्र पहलूओं में रुचि रखते हैं। आईसलैंड के भूतों के बाद यह अगला सफर नीदरलैंड के नास्तिकों की तफ़्तीश में है। इस सफर में वह नास्तिकों, गंजेड़ियों और नशेड़ियों से गुजरते वेश्याओं और डच संस्कृति की विचित्रता पर आधी नींद में लिखते नजर आते हैं। किताब का ढाँचा उनकी चिर-परिचित खिलंदड़ शैली में है, और विवरण में सूक्ष्म भाव पिरोए गए हैं। यह एक यात्रा-संस्मरण न होकर एक मन में चल रहा भाष्य है। भिन्न संस्कृतियों के साम्य और द्वंद्व का चित्रण है। इसी कड़ी में उनका सफर एक खोई भारतीयता का सतही शोध भी करता नजर आता है।
पुस्तक ‘भूतों के देश में: आईसलैंड’ की शृंखला रूप में ‘नास्तिकों के देश में: नीदरलैंड’ शीर्षक से लिखी गयी है, लेकिन दोनों की शैली में स्वाभाविक अंतर है। ख़ास कर नीदरलैंड की गांजा संस्कृति और वेश्यावृत्ति पर लेखन नवीनता लिए है। इन विषयों पर अनुभव जीवंत रूप से दर्शाए गए हैं। वहीं दूसरी ओर, नीदरलैंड की नास्तिकता पर एक अलग दृष्टिकोण से विवरण है।
किताब की ख़ासियत यह भी है कि नीदरलैंड के भिन्न-भिन्न शहरों और नहरों से उनकी नाव गुजरती है। वह देश की राजधानी एम्सटरडम में सिमटे नहीं रहते, बल्कि एक देश को भटक-भटक कर टटोलते हैं। और इस भटकाव में लेखक के अपने पूर्वाग्रह और अंतर्द्वंद्व भी जुड़ जाते हैं। लेखक सूफ़ियाना हो चलता है, और बह कर किसी द्वीप पर जा बसता है। वान गॉग की आखिरी तस्वीर में खो जाता है। जब वह कुछ दिन गुजारता है- नास्तिकों के देश में।
पुस्तक का कुछ अंश :-
गंजेड़ियों से मेरी मुलाकात भूतों की अपेक्षा अधिक होती है। गंजेड़ियों और नास्तिकों का संबंध है भी और नहीं भी। अगर गंजेड़ी नास्तिक होते तो प्रयाग के कुंभ में धूनी न रमाते; या भीमाशंकर के जंगलों में न भटकते। और गंजेड़ी अगर आस्तिक होते तो यूँ हिप्पी बन कर अपनी तलाश में न भटकते। गंजेड़ी नकुल हैं, निर्मोही हैं। गंजेड़ी औघड़ हैं, अबंड हैं। गंजेड़ी के पैर आसमान में हैं, चेहरे पर लालिगा है, होठों में धुआँ है, उंगलियों में सोंट है, शीश पर जटाएँ हैं और आँखों में अपूर्ण
निद्रा है।
गंजेड़ी मानव-योनि में जन्मे पशु हैं; सजीव संरचना में निर्जीव हैं; भावरंजित हृदयों वाले भावहीन हैं; बुद्धि से लबालब अज्ञानी हैं; सौंदर्य की कुरूप प्रतिमा हैं; विजयघोष करते पराजित हैं। उनकी मुस्कुराहटों में मर्म है और उनके अश्रुपूरित नयनों में हास है। गंजेड़ी एक चलते-फिरते विरोधाभास हैं।
अब तो कुछ मर-खप गए, या कहीं पीछे छूट गए, लेकिन सोचा कि कुछ याद उन गंजेड़ियों को भी कर लूँ। पहले गंजेड़ी मित्र पारसी मूल के अंग्रेज़ी नाम वाले व्यक्ति था दायें से एक बॉलीवुड अभिनेता, बायें से दो दशक पुराने मॉडल और सामने से मेरे मित्रा उनकी आदत थी कि वह कोरेक्स सिरप के साथ गांजा मारते। उनका मानना था कि कोरेक्स सिरप विदेशी शराब से सस्ती और कारगर है। कोरेक्स न मिलता तो कभी-कभार आयुर्वेदिक द्राक्षासव भी पी लेते। अंतर यह था कि ये बोतल वह चम्मच में नहीं, गिलास में उड़ेल कर शराब की तरह ही पीते। यह इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण था कि औषधि एक ख़ास खुराक के बाद ज़हर बनने लगती है। ऐसे विरले ही होते हैं, जो शराब पीकर नहीं दवा खाकर मरते हैं। लेकिन इतिहास गवाह है कि जिमी हेन्ड्रिक्स और मर्लिन मुनरो से गुरुदत्त तक दवाएँ खाकर ही मरे। शराब भी पी होगी, लेकिन दवा खूब खाई और चल बसे। वह गंजेड़ी मित्र भी बस काल के गाल में गुम ही हो गए। यह ठीक से याद नहीं कि वह धर्मनिष्ठ थे या नहीं, किंतु खिलंदड़ स्वभाव के मस्तमौला व्यक्ति।
डाउनलोड लिंक (नास्तिकों के देश में: नीदरलैंड / Nastikon ke desh mein: Netherlands PDF Download) नीचे दिए गए हैं :-
हमने नास्तिकों के देश में: नीदरलैंड / Nastikon ke desh mein: Netherlands PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 4 MB है और कुल पेजों की संख्या 88 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक प्रवीण कुमार झा / Praveen Jha हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ नास्तिकों के देश में: नीदरलैंड / Nastikon ke desh mein: Netherlands को जरूर शेयर करेंगे। धन्यवाद।।Answer. प्रवीण कुमार झा / Praveen Jha
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