मौन मुस्कान की मार / Maun Muskaan Ki Maar PDF Download Free : Books by Ashutosh Rana

पुस्तक का विवरण (Description of Book of मौन मुस्कान की मार / Maun Muskaan Ki Maar PDF Download) :-

नाम 📖मौन मुस्कान की मार / Maun Muskaan Ki Maar PDF Download
लेखक 🖊️   आशुतोष राणा / Ashutosh Rana  
आकार 5.8 MB
कुल पृष्ठ124
भाषाHindi
श्रेणी
Download Link 📥Working

मैंने और अधिक उत्साह से बोलना शुरू किया, ‘‘भाईसाहब, मैं या मेरे जैसे इस क्षेत्र के पच्चीस-तीस हजार लोग लामचंद से प्रेम करते हैं, उनकी लालबत्ती से नहीं।’’ मेरी बात सुनकर उनके चेहरे पर एक विवशता भरी मुसकराहट आई, वे बहुत धीमे स्वर में बोले, ‘‘प्लेलना (प्रेरणा) की समाप्ति ही प्लतालना (प्रतारणा) है।’’ मैं आश्चर्यचकित था, लामचंद पुनः ‘र’ को ‘ल’ बोलने लगे थे। इस अप्रत्याशित परिवर्तन को देखकर मैं दंग रह गया। वे अब बूढ़े भी दिखने लगे थे। बोले, ‘‘इनसान की इच्छा पूलती (पूर्ति) होना ही स्वल्ग (स्वर्ग) है, औल उसकी इच्छा का पूला (पूरा) न होना नलक (नरक)। स्वल्ग-नल्क मलने (मरने) के बाद नहीं, जीते जी ही मिलता है।’’ मैंने पूछा, ‘‘फिर देशभक्ति क्या है?’’ अरे भैया! जरा सोशल मीडिया पर आएँ, लाइक-डिस्लाइक (like-dislike) ठोकें, समर्थन, विरोध करें, थोड़ा गालीगुप्तार करें, आंदोलन का हिस्सा बनें, अपने राष्ट्रप्रेम का सबूत दें। तब देशभक्त कहलाएँगे। बदलाव कोई ठेले पर बिकनेवाली मूँगफली नहीं है कि अठन्नी दी और उठा लिया; बदलाव के लिए ऐसी-तैसी करनी पड़ती है और की पड़ती है। वरना कोई मतलब नहीं है आपके इस स्मार्ट फोन का। और भाईसाहब, हम आपको बाहर निकलकर मोरचा निकालने के लिए नहीं कह रहे हैं; वहाँ खतरा है, आप पिट भी सकते हैं। यह काम आप घर बैठे ही कर सकते हैं, अभी हम लोगों ने इतनी बड़ी रैली निकाली कि तंत्र की नींव हिल गई, लाखों-लाख लोग थे, हाईकमान को बयान देना पड़ा। मैंने कहा कि यह सब कहाँ हुआ, बोले कि सोशल मीडिया पर इतनी बड़ी ‘थू-थू रैली’ थी कि उनको बदलना पड़ा। प्रसिद्ध सिनेमा अभिनेता आशुतोष राणा के प्रथम व्यंग्य-संग्रह ‘मौन मुस्कान की मार’ के अंश|.

[adinserter block="1"]

 

पुस्तक का कुछ अंश

बात उस समय की है, जब न मैं ठीक से बड़ा हुआ था और न ही मेरी गिनती छोटों में आती थी। मैं अपने एक मित्र के साथ अपने कस्बे गाडरवारा में 'टेढ़ मुहल्ला के घाट' से उतर रहा था।
गोधूलि वेला का समय था, हम दोनों मित्र अपने कंधों पर बस्ता लटकाए पैदल ही स्कूल से घर की ओर बढ़ रहे थे, ढलान होने के कारण हमारी रफ्तार अपेक्षाकृत अधिक थी कि तभी मेरी दाई तरफ पैदल चलते हुए मेरे मित्र, जो
मुझे स्कूल में पढ़ाई गई 'चारु चंद्र की चंचल किरणें' कविता का अर्थ समझा रहे थे, अचानक पीछे से आती हुई एक साइकिल के अगले पहिए में फंसे हुए बहुत तेजी के साथ मुझसे दूर जाते हुए दिखाई दिए। मैं कुछ समझ पाता
इससे पहले ही मेरे मित्र, वह साइकिल और साइकिल सवार तीनों ही सड़क के किनारे ढलान पर लगे आम के पेड़ से जा भिड़े।
यह असोचित और अवांछनीय घटना पलक झपकते ही घटित हो गई थी, मैं बदहवास सा दौड़कर उनके करीब पहुँचा तो देखा कि मेरे मित्र श्री मैथिलीशरण गुप्तजी की कविता को भूलकर उस साइकिल सवार की कॉलर से झूमे हुए स्कूल से बाहर सीखे गए 'अशिष्ट अनुप्रास' अलंकारों का चीखते हुए प्रयोग कर रहे थे।[adinserter block="1"]

वे दोनों धूल में गुत्थमगुत्था थे, मैं उनको अलग करके सुलझाने की कोशिश करने लगा, किंतु उन उलझे हुओं को सुलझाना उतना ही मुश्किल था, जितना गीले उलझे हुए लंबे बालों को सुलझाना। मेरे मित्र गुस्से से लाल और धूल से पीले पड़े हुए तार सप्तम में ब्रेथलेस की पैटर्न पर चीख रहे थे—'कनवा (काणा) सारे अंधरा (अंधा) कहीं
का जब सायकल चलात नई बने तो चला काय खों रए हो? एक आँख पहलउँ से फूटी है, कनवा कहीं का अपशगुनी, सारे हम दूसरी भी फोड्ड डाल हैं।'
दूसरी तरफ साइकिल सवार भी अपने शरीर की चोट को भूल, स्वयं को कनवा (काना) कहे जाने से बुरी तरह
आहत होकर प्रतिआक्रमण कर रहे थे, 'सारे तुमाय बाप की आँखें नहीं हैं, हमरी आँख है हम एक आँख से देखें
चाय दोई से तुमाय बाप को का जा रओ।'

हमने मौन मुस्कान की मार / Maun Muskaan Ki Maar PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 5.8 MB है और कुल पेजों की संख्या 124 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक   आशुतोष राणा / Ashutosh Rana   हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ मौन मुस्कान की मार / Maun Muskaan Ki Maar को जरूर शेयर करेंगे। धन्यवाद।।
Q. मौन मुस्कान की मार / Maun Muskaan Ki Maar किताब के लेखक कौन है?
Answer.   आशुतोष राणा / Ashutosh Rana  
Download

_____________________________________________________________________________________________
आप इस किताब को 5 Stars में कितने Star देंगे? कृपया नीचे Rating देकर अपनी पसंद/नापसंदगी ज़ाहिर करें।साथ ही कमेंट करके जरूर बताएँ कि आपको यह किताब कैसी लगी?
Buy Book from Amazon

Other Books of Author:

1 thought on “मौन मुस्कान की मार / Maun Muskaan Ki Maar PDF Download Free : Books by Ashutosh Rana”

Leave a Comment