मनोविज्ञान और शिक्षा / Manovigyan Aur Shiksha PDF Download Free Hindi Book by Dr. Saryu Chaubey

पुस्तक का विवरण (Description of Book of मनोविज्ञान और शिक्षा / Manovigyan Aur Siksha PDF Download) :-

नाम 📖मनोविज्ञान और शिक्षा / Manovigyan Aur Siksha PDF Download
लेखक 🖊️   डॉ. सरयू चौबे / Dr. Saryu Chaubey  
आकार 33.7 MB
कुल पृष्ठ666
भाषाHindi
श्रेणी
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पुस्तक का कुछ अंश

प्रथम संस्करण का प्राकथन

मानव को पूर्णरूपेण समझने के लिये हमारे पूर्वजों ने शताब्दियो तक चिन्तन, अध्ययन तथा परिश्रम किया है। इसी के फलस्वरूप दर्शन-शास्त्र का जन्म हुआ। दर्शन-शास्त्र का क्षेत्र दिन पर दिन वढता ही गया और बढ़ता जा रहा है, क्योकि मानव-सम्बन्धी हमारी जिज्ञासाओ का अभी तक समाधान नहीं हो सका है। इस समाधान के प्रयत्न में दर्शन शास्त्र की छत्रछाया मे मनोविज्ञान का भी बहुत प्रारम्भ से ही हाथ रहा है, और अब तो मनोविज्ञान व्यक्ति को भली प्रकार समझने का दावा करने लगा है। इस जडवादी ससार में मनोविज्ञान ने जो रुख अपनाया है, अर्थात् जिस प्रकार वह व्यक्ति के स्वभाव तथा व्यवहार का अध्ययन कर उसके भविष्य की ओर सकेत करता है उससे कदाचित् प्राचीन भारतीय संस्कृति मे पला हुआ व्यक्ति सहमत न होगा। इतना ही नहीं, वरन् थोडी देर सोचने के बाद पाश्चात्य विद्वान भी मान लेते हैं कि मनोविज्ञान के निष्कर्ष व्यक्ति की सम्भावनाओं की ओर पूर्णत सकेत नही कर पाते, क्योकि मानव पर किसी जड पदार्थ के सदृश प्रयोगशाला में कोई ठीक-ठीक परीक्षण नहीं किया जा सकता। कारण यह है कि उसकी मानसिक स्थिति पर पूर्ण नियन्त्रण कठिन ही नही वरन् असम्भव भी है, क्योकि वह चेतन है। यहाँ दार्शनिक यह भी कह बैठता है कि उसकी सम्भावनाये असीमित है। कदाचित इसी परस्पर झगडे के कारण इस शताब्दी के प्रारम्भ मे ही मनोवैज्ञानिको ने दार्शनिकों से अपना सम्बन्ध तोड़ लिया और अपने विषय का अध्ययन एकदम स्वतन्त्र कर डाला। वस्तुतः मानव को समझने के लिये केवल मनोविज्ञान का ही अध्ययन पर्याप्त नहीं है। प्रत. किसी का यह समझना कि मनोविज्ञान के अध्ययन से मानव को पूर्ण रूप से समझा जा सकता है नितान्त भ्रम है। परन्तु हाँ, यह सत्य है कि उसे समझने के लिये यह वडी ही आवश्यक और प्रथम सीढ़ी है। इसी सीढी को हिन्दी भाषा भाषी व्यक्तियों के लिये सुलभ करने के लिये इम पुस्तक की रचना की गई है।

दर्शन शास्त्र से अलग होने पर अपने दृष्टिकोण के अनुसार मनोविज्ञान की दिन पर दिन उन्नति होने लगी। फलत. थोडे ही दिनों में मनोविज्ञान दर्शन-शास्त्र की दासता से मुक्त हो गया और अब वह विभिन्न उच्च विद्या केन्द्रों में स्वतन्त्र अध्ययन का विषय होने लगा है। इस विषय मे तो पाश्चात्य विश्वविद्यालय बहुत अब हमारे देशीय विश्वविद्यालय भी इसी पथ का अनुसरण करने लगे हैं । यद्यपि मनोविज्ञान के निष्कर्ष व्यक्ति को सम्पूर्णत समझने में हमारे सहायक नही होते, पर उनके सहारे व्यक्ति के बारे में हमें जो कुछ भी पता चलता है उसका.
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[ २ ]

भारी महत्त्व है, क्योकि मनोवैज्ञानिक निष्कर्षों के आधार पर संचालित शिक्षा से हमे आशातीत सफलता मिली है। यही कारण है कि आज का कोई भी सभ्य राष्ट्र मनो विज्ञान की उपादेयता की उपेक्षा नहीं कर सकता। मनोविज्ञान से केवल बालकों के शिक्षा-क्रम मे ही सहायता नही मिलती वरन अन्य क्षेत्रो में भी इसकी उपादेयता अमान्य नही। प्रथम तथा द्वितीय विश्व युद्धों में सैनिको तथा विभिन्न कोटि के अधि कारियो के चुनाव में मनोवैज्ञानिक निष्कर्षों से कितनी सहायता ली गई है यह किसी शिक्षित व्यक्ति से छिपा नही। इन सब कारणो से मनोविज्ञान का अध्ययन किसी भी उन्नतिशील राष्ट्र के शिक्षको, कर्णधारों एवं नागरिकों के लिये अत्यन्त आवश्यक हो जाता है।

शिक्षा क्षेत्र मे मनोविज्ञान का अध्ययन महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है। इसीलिये तो प्रत्येक शिक्षक के लिये मनोविज्ञान का कुछ न कुछ ज्ञान अपेक्षित है। बालक को किसी प्रकार की शिक्षा देने के पूर्व हमे उसके स्वभाव को भली-भांति समझ लेना है, अन्यथा हमारा शिक्षा-श्रम उसी प्रकार निष्फल जायगा जैसे, कुम्हार या बढ़ई का कार्य व्यर्थं जाता है जब वह बिना उपकरण को पहचाने ही इच्छित वस्तु बनाने बैठ जाता है। बाल स्वभाव को समझने मे मनोविज्ञान हमारा एक मात्र सहायक है। मनोविज्ञान हमे यह बतलाता है कि "बालक कोरी पटिया नही कि उस पर जो चाहा लिख दिया।" वंशानुक्रम के अनुसार बालक कुछ गुरणो व अवगुणो अर्थात् सम्भावनाओं को जन्म से ही ले कर आता है। बालक की इन सम्भावनाओ को समझे बिना उसे शिक्षा देने का प्रयत्न करना मानो बिना पेदी के घडे मे पानी डालना है। बालक की शिक्षा....

हमने मनोविज्ञान और शिक्षा / Manovigyan Aur Siksha PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 33.7 MB है और कुल पेजों की संख्या 666 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक   डॉ. सरयू चौबे / Dr. Saryu Chaubey   हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ मनोविज्ञान और शिक्षा / Manovigyan Aur Siksha को जरूर शेयर करेंगे। धन्यवाद।।
Q. मनोविज्ञान और शिक्षा / Manovigyan Aur Siksha किताब के लेखक कौन है?
Answer.   डॉ. सरयू चौबे / Dr. Saryu Chaubey  
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