महाभारत के पात्रों का आध्यात्मिक प्रतीकात्मक स्वरूप / Mahabharat Ke Patron Ka Adhyatmik Pratikatmak Swarup Download Free PDF

“महाभारत’ को पांचवां वेद माना गया है और ग्रंथ की भूमिका में इसे चारों वेदों से भी अधिक गरिमावान घोषित {किया गया है (1.1.272)। ऋषियों ने इसे पुराण और इतिहास दोनों कहा है। (1.1.17,19) {किन्तु कथा के लगभग सभी प्रमुख पात्रों की उत्पत्ति दैविक अथवा परामानवीय बतलाई गई है जिससे इंगित होता है कि कथा को आध्यात्मिक स्वरूप प्रदान {किया गया है। वस्तुत: हमारे प्राचीन वैदिक और पौराणिक साहित्य में मनुष्य के जीवन को ऊँचा उठाने के लिये , उसे आत्मनिष्ठ / सर्वनिष्ठ बनाने के लिए, कथाओं का स्वरूप इसी प्रकार का रचा गया है। इस हेतु ऋषियों ने कथाओं में पात्रों और घटनाओं को इतिहास, भूगोल, खगोल, अर्थशास्त्र, आयुविज्ञान, मनोविज्ञान आदि विभिन्न क्षेत्रों से लेकर उनका रूपान्तरण इस दॄष्टि से किया है कि कथा पाठक को आध्यात्मिक पथ पर आगे बढ़ाने में सहायक हो।

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