पुस्तक का विवरण (Description of Book of लौंडे शेर होते है / Launde Sher Hote Hain PDF Download) :-
नाम 📖 | लौंडे शेर होते है / Launde Sher Hote Hain PDF Download |
लेखक 🖊️ | कुशल सिंह / Kushal Singh |
आकार | 3.7 MB |
कुल पृष्ठ | 119 |
भाषा | Hindi |
श्रेणी | उपन्यास / Upnyas-Novel |
Download Link 📥 | Working |
क्या होगा जब कैरियर की चिंता में घुलते हुए लड़के प्रेम की पगडंडियों पर फिसलने लग जाएँ? क्या होगा जब डर के बावजूद वो भानगढ़ के किले में रात गुजारने जाएँ? क्या होगा जब एक अनप्लांड रोड ट्रिप एक डिजास्टर बन जाए? क्या होगा जब लड़कपन क्रिमिनल्स के हत्थे चढ़ जाए?
‘लौंडे शेर होते हैं’ ऐसे पाँच दोस्तों की कहानी है जो कूल ड्यूड नहीं बल्कि सख्त लौंडे हैं। ये उन लोगों की कहानी है जो क्लास से लेकर जिंदगी की हर बेंच पर पीछे ही बैठ पाते हैं। ये उनके प्रेम की नहीं, उनके स्ट्रगल की नहीं, उनके उन एडवेंचर्स की दास्तान है जिनमें वे न चाहते हुए भी अक्सर उलझ जाते हैं। ये किताब आपको आपके लौंडाई के दिनों की याद दिलाएगी। इसका हर पन्ना आपको गुदगुदाते हुए, चिकोटी काटते हुए एक मजेदार जर्नी पर ले जाएगा।
डाउनलोड लिंक (लौंडे शेर होते है / Launde Sher Hote Hain PDF Download) नीचे दिए गए हैं :-
हमने लौंडे शेर होते है / Launde Sher Hote Hain PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 3.7 MB है और कुल पेजों की संख्या 119 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक कुशल सिंह / Kushal Singh हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ लौंडे शेर होते है / Launde Sher Hote Hain को जरूर शेयर करेंगे। धन्यवाद।।Answer. कुशल सिंह / Kushal Singh
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लौंडे शेर होते हैं..!
जी हां बेशक लौंडे शेर होते हैं, लौंडाई वाली उम्र में सभी लड़के शेर होते हैं क्योंकि उनमें लौंडाई होती है पर ये लौंडाई लौंडे से कुछ भी करवा सकती है
एक लौंडे की चाहे कितनी भी क्यूं ना फटी हो लेकिन उसमें जब तक लौंडाई जिंदा है तब तक लौंडे कुछ भी कर सकते हैं फिर चाहे भानगढ़ के किले में रात ही क्यूं ना रुकना हो।
हर लौंडा अपनी ज़िंदगी में एडवेंचर चाहता है लेकिन जब ये एडवेंचर मिलता है ना बाबू तब समझ में आता है रियलिटी और रील में सिर्फ “L” का फर्क होता है और इस “L” का फुलफॉर्म आप जानते ही हैं ।
लौंडे भोले जरूर होते हैं लेकिन चूतिये नहीं।
लौंडे किसी भी लड़की के चक्कर में अपना कटवा सकते हैं लेकिन लौंडे जब अपनी पे आ जाए तो लड़की का पर्दाफाश और बड़े से बड़े क्रिमिनल की लंका लगा सकते हैं।
अगर आप(पाठक) लौंडे हैं तो आप इस किताब को पढ़ेगें नहीं बल्कि जिएंगे और भाषा को लेकर सेंटी मत होना लौंडे असलियत में यही भाषा बोलते हैं लौंडाईगिरी में।
कहानी में 6 किरदार हैं जी हां 5 दोस्त और 6 वीं है लौंडाई। इनका ग्रुप जैसे हर लौंडो के ग्रुप जैसा। एक तुनकमिजाज,एक गालिब की नाजायज औलाद,एक पढ़ाकू,एक बिजनेस माइंड,और एक महाज्ञानी।
दिलचस्प ये है कि पांचों का एक ही लड़की काटती है और फिर पांचों मिलके लाते हैं बवाल अपनी लौंडाईगिरी से।
ये किताब नहीं अपितु सजीव चित्रण हैं अगर आप लौंडे हैं तो,भाषा और किरदारों का एक दूसरे को संबोधन इतना सटीक है कि बूढ़े इन्सान को भी अपनी लौंडाई के दिन याद आ जाएं।
बोर होने जैसी कोई चीज़ नहीं रोमांच ऐसा की दुआ करेंगे कि किताब खत्म ही ना हो कुल मिलाकर दिल गार्डन गार्डन हो जाएगा।
लौंडाई को समर्पित इस किताब का सार लेखक के ही शब्दों में – अगर आदमी के जीवन में लौंडाई कायम रहे तो उम्र बीत जाने पर भी वह एवरेस्ट फतह कर सकता है,क्योंकि लौंडे शेर होते हैं,बब्बर शेर।
“श्री किट्टम किट्टू की जय”
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