पुस्तक का विवरण (Description of Book of कुल्हड़ भर इश्क़: काशीश्क़ / Kulhad Bhar Ishq: Kashishq PDF Download) :-
नाम 📖 | कुल्हड़ भर इश्क़: काशीश्क़ / Kulhad Bhar Ishq: Kashishq PDF Download |
लेखक 🖊️ | कोशलेन्द्र मिश्र / Koshlendra Mishra |
आकार | 0.49 MB |
कुल पृष्ठ | 107 |
भाषा | Hindi |
श्रेणी | उपन्यास / Upnyas-Novel |
Download Link 📥 | Working |
दवा और प्रसाद उतना ही लेना चाहिए जितना देने वाले देते हैं, अधिक लेने के लिए जबर्दस्ती नहीं की जाती। इश्क की खुराक इतना आतुर करती है कि लोग खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाते और अपनी तबीयत की औकात से ज्यादा ले लेते हैं फिर पढ़ाई पर गाज गिर जाती है। कुल्हड़ भर इश्क : काशीश्क, प्यार की शीशी पर मार्कर से गोला करके खुराक बताने वाला है जिससे ये पता चलता रहे कि कितना इश्क जीना है और कितनी पढ़ाई करनी है।
कुल्हड़-सा सौंधापन है काशी के इश्क में, कुल्हड़ भर कहने से आशय इश्क को संकुचित करने से नहीं बल्कि नियमित और संतुलित मात्रा में सेवन से है।
पुस्तक का कुछ अंश :-
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की कक्षा में तीन वर्ष बीए के गुजारने के बाद भी सुबोध चौबे जी की इच्छाओं की पूर्ति नहीं हो सकी थी। यहाँ भी वही हुआ, जो उनकी दसवीं व बारहवीं की कक्षाओं में होता आया था। सुबोध चौबे जी कक्षा में सबसे आगे वाली बेंच पर बैठते एकदम कोने में दीवार से लगकर, पूरी शांति से। मास्टर के लगभग हर सवाल का जवाब देने का प्रयास करते थे और फिर लड़कियों की पंक्ति पर एक बार दाँत निपोरते हुए नजर फेर लेते कि कहीं कोई प्रभावित हुए बिना तो नहीं रह गई। उन्हें लगता था एक दिन उनकी इस टिपटिपई से खुश होकर कोई लड़की खुद उनके पास आएगी और उनसे प्यार का इजहार करेगी।
परंतु काशी हिंदू विश्वविद्यालय की कक्षाओं में वे ऐसा सोच भी नहीं पाते थे, क्योंकि कला संकाय में छात्र-छात्राओं की एक साथ स्नातक कक्षाएँ नहीं चलती थीं (संशोधन : कला संकाय की स्नातक कक्षाओं में 2017-2018 के सत्र से कुछ पाठ्यक्रमों में देवियों का प्रवेश हो चुका है)। सुबोध जी पहले-पहल तो प्रोफेसरों के कुछ सवालों के जवाब भी
देते थे, पर थोड़े दिन बाद ही तत्वबोध हो गया कि यहाँ जब कोई कायदे का सुनने वाला ही नहीं, तो काहे इतनी मेहनत की जाए, लड़के तो वैसे ही ससुरे जलते रहते हैं।
एक बात तो बताना भूल ही गए, सुबोध जी हिंदी ऑनर्स हैं। ऑनर्स का हिंदी अनुवाद 'प्रतिष्ठा' होता है और सचमुच, यही वो एकमात्र शब्द है जिसे बोलकर वे अपनी छाती फुलाकर बंडी फाड़ देते थे।
जहाँ आजकल के लड़के खुद को आईआईटी, मेडिकल, सीए की तैयारी करने वाला बताकर मुहल्लों में चार-पाँच साल जींस फाड़कर आँख मारते चलते हैं, वहीं सुबोध जी केवल बीए बताकर जवाब में निकलने वाले शब्द बीएएएएएएए से बचने के लिए बिना देर किए ऑनर्स जोड़कर बीएचयू मेन कैंपस से बता देते थे। अगर यहाँ बनारस का बन्दा रहा, तो औकात समझ जाता, लेकिन अगर बाहरी होता, तो दो बार भौहें तानता और मुँह छितराकर कहता बीएचयूयूयूयूय और कामचलाऊ इज्जत भी बख्श देता। सचमुच दिल से एक बात बता दें, सुबोध जी को अपने बीएचयू में पढ़ने का यही गर्व था कि पूरे बनारस में कहीं भी गाड़ी लेकर पकड़े जाओ, तो बीएचयू की आईडी ही डीएल भी है और इंश्योरेंस पेपर भी। बीएचयू के नाम पर इज्जत देने वाले अंकल ऐसे ही इज्जत नहीं बख्शते थे, पूरा शुल्क लेते थे रिव्यू लिखने का! कब किस सोमवार की रात फोन कर दें- "बाबू, हम गाड़ी पकड़ लिए हैं, सुशांत शर्मा को दिखाना है (हम यानी हम लोग, मतलब पाँच से तो किसी कीमत पर कम नहीं)। सुबहे तनी जा के पर्चिया लगा देना, हम लोग गंगा जी….
डाउनलोड लिंक (कुल्हड़ भर इश्क़: काशीश्क़ / Kulhad Bhar Ishq: Kashishq PDF Download) नीचे दिए गए हैं :-
हमने कुल्हड़ भर इश्क़: काशीश्क़ / Kulhad Bhar Ishq: Kashishq PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 0.49 MB है और कुल पेजों की संख्या 107 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक कोशलेन्द्र मिश्र / Koshlendra Mishra हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ कुल्हड़ भर इश्क़: काशीश्क़ / Kulhad Bhar Ishq: Kashishq को जरूर शेयर करेंगे। धन्यवाद।।Answer. कोशलेन्द्र मिश्र / Koshlendra Mishra
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