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पुस्तक का विवरण (Description of Book जाति का विनाश | Jati Ka Vinash PDF Download) :-
नाम : | जाति का विनाश | Jati Ka Vinash Book PDF Download |
लेखक : | डॉ० भीमराव अम्बेडकर / Dr. Br Ambedkar |
आकार : | 3.1 MB |
कुल पृष्ठ : | 133 |
श्रेणी : | दलित साहित्य / Dalit Sahitya, भाषण / Speech |
भाषा : | हिंदी | Hindi |
Download Link | Working |
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बाबासाहेब डा. आंबेडकर की कालजयी कृति ‘एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट’ का भारत की लगभग सभी भाषाओं में अनुवाद हुआ है. हिंदी में ही इसके अनेक अनुवाद हुए हैं. पर वे काफी हद तक संक्षिप्त हैं. किन्तु, प्रस्तुत अनुवाद, ‘जाति का विनाश’, जिसे यशस्वी पत्रकार राजकिशोर जी ने किया है, इस दोष से मुक्त है. इसमें मूल कृति के एक भी पैराग्राफ को न तो कम किया गया है, और न संक्षिप्त. इस अनुवाद की मुख्य विशेषता यह है, जो अन्य अनुवादों में लगभग नहीं है, कि इसमें उन स्थलों, विद्वानों, ऐतिहासिक घटनाओं, उद्धरणों और धर्मग्रंथों के बारे में, जिनका सन्दर्भ डा. आंबेडकर ने अपने व्याख्यान में दिया है, फुटनोट में उनका विवरण भी स्पष्ट कर दिया गया है. इस अनुवाद में उस पत्राचार और विवाद को भी पूर्णरूप में शामिल किया गया है, जो व्याख्यान को लेकर डॉ. आंबेडकर का संतराम बीए और महात्मा गांधी से हुआ था. एक और विशेषता इस पुस्तक की यह है कि डा. आंबेडकर ‘एनिहिलेशन ऑफ़ कास्ट’ के साथ अपने जिस प्रथम शोधपत्र ‘भारत में जातियां : उनका तंत्र, उत्पत्ति और विकास’ को शामिल करना चाहते थे, राजकिशोर जी ने उसे भी अनुवाद करके इसमें शामिल कर दिया है, जिससे इसका पाठकीय महत्व और भी बढ़ गया है. – कंवल भारती
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Babasaheb Dr. Ambedkar’s classic work ‘Annihilation of Caste’ has been translated into almost all the languages of India. There have been many translations of it in Hindi only. But they are very brief. But, the presented translation, ‘destruction of caste’, which has been done by famous journalist Rajkishore ji, is free from this defect. In this, not a single paragraph of the original work has been reduced or shortened. The main feature of this translation, which is almost absent in other translations, is that it also includes footnotes to the places, scholars, historical events, quotes and scriptures referred to by Dr. Ambedkar in his lectures. has been clarified. In this translation, the correspondence and controversy that Dr. Ambedkar had with Santram BA and Mahatma Gandhi regarding the lecture has also been fully included. Another feature of this book is that Dr. Ambedkar wanted to include his first research paper ‘Castes in India: Their Mechanism, Origin and Development’ along with ‘Annihilation of Caste’, Rajkishore ji has also translated and included it in it, which increases its textual importance even more. Has gone. – Kanwal Bharti
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पुस्तक का कुछ अंश ( जाति का विनाश | Jati Ka Vinash PDF Download)
फिर भी, एक बात हैं जो आपके ध्यान में लाने के लिए हम बाध्य हैं। आपको याद होगा कि जब मैंने आप से धर्म परिवर्तन के बारे में आपकी घोषणा पर अपने कुछ लोगों में गलतफहमी होने की ओर इशारा किया था, तब आप ने मुझसे कहा था कि यह नि:संदेह मंडल के दायरे से बाहर हैं और इस बारे में हमारे प्लेटफॉर्म से कुछ भी कहने का आप का इरादा नहीं हैं। जब आप के व्याख्यान की पांडुलिपि मुझे सौंपी गयी, उस समय आप ने मुझे आश्वासन दिया था कि वह आप के व्याख्यान का मुख्य भाग हैं और आप केवल दो या तीन समापन पैराग्राफ जोड़ना चाहते हैं। आप के व्याख्यान की दूसरी किस्त की प्राप्ति पर हम आधर्यचकित हैं कि यह इतना लंबा है कि हमें लगता है कि बहुत कम लोग इसे पूरा पढ़ेंगे। इसके अलावा आप ने अपने व्याख्यान में एक से ज्यादा बार कहा है कि आप ने हिंदू धर्म का परित्याग करने का फैसला कर लिया हैं और एक हिंदू के रूप में आपका यह आखिरी व्याख्यान हैं।[9] आप ने वेदों और हिंदुओं की अन्य धार्मिक पुस्तकों की नैतिकता और तर्कसंगतता पर अनावश्यक हमला किया है, और हिंदू धर्म के तकनीकि पक्ष पर विस्तार से विचार किया हैं, जिसका वर्तमान मुद्दे से कोई संबंध नहीं है- यह अंश इतना ज्यादा है कि आप के व्याख्यान के कुछ अंश अप्रासंगिक और मुठे से हट कर अलग हो गये हैं। हमें बहुत प्रसन्नता होती, अगर आप ने अपना व्याख्यान उसी अंश तक सीमित रखा होता, जो मुझे दिया गया था| अथवा कुछ जोड़ना जरूरी था, तो आप ने ब्राह्मणवाद वगैरह पर जो लिखा था, वहीं तक सीमित रखते। व्याख्यान का आखिरी भाग, जिसमें हिंदू धर्म के संपूर्ण विनाश और हिंदुओं की पवित्र पुस्तकों की नैतिकता पर संदेह की चर्चा हैं, और साथ ही हिंदुत्व के दायरे से बाहर आने की आप की इच्छा के बारे में संकेत है, मुझे प्रासंगिक प्रतीत नहीं होता है।
इसलिए मैं अधिवेशन के लिए जिम्मेदार लोगों की ओर से आप से अत्यंत विनम्रतापूर्वक अनुरोध करता हूं कि उपर्युक्त अंशों को आप हटा दें और अपने व्याख्यान का समापन नहीं करें, जहां उस प्रति में किया गया था जो मुझे दी गयी थी, या ब्राह्मणवाद पर कुछ पैराग्राफ जोड़ दें। इस व्याख्यान को अनावश्यक रूप से उत्तेजक और चुभनदार बजाने की बुद्धिमता पर हमें संदेह हैं। हम में से कई आप की भावनाओं के हिस्सेदार हैं और हिंदू धर्म को नया स्वरूप देने के लिए आप के बैनर तले आने के लिए बहुत इच्छुक हैं। यदि आपने अपने पंथ के लोगों को एक साथ लाने का निर्णय किया होता, तो मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि पंजाब के लोग सुधारकों की आप की सेना में बड़ी संख्या में शामिल हो जा
वास्तव में, हमने सोचा था कि आप जाति व्यवस्था की बुराई को खत्म करने में हमारा नेतृत्व करेंगे, खासकर इसलिए कि आपने इस विषय का विस्तृत अध्ययन किया है, और एक क्रांति लाकर तथा अपने को इस विराट प्रयास के केंद्र में रखकर, हमारे हाथ मजबूत करेंगे, लेकिन आप ने जो घोषणा की है उसका स्वभाव ऐसा है कि दोहराये जाने पर उसकी…
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Nevertheless, there is one thing we feel obliged to bring to your attention. You will remember that when I pointed out to you the misunderstandings of some of your people on your announcement about religious conversion, you told me that it was undoubtedly outside the purview of the Mandal and that our You do not intend to say anything from the platform. When the manuscript of your lecture was handed over to me, you assured me that it was the main part of your lecture and that you only wanted to add two or three concluding paragraphs. We are surprised to receive the second installment of your lecture, it is so long that we think very few people will read it completely. Also you have said more than once in your lectures that you have decided to give up Hinduism and this is your last lecture as a Hindu.[9] unnecessary on the morality and rationality of
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डाउनलोड लिंक (जाति का विनाश | Jati Ka Vinash PDF Download) नीचे दिए गए हैं
हमने जाति का विनाश | Jati Ka Vinash PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए Google Drive की link नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 3.1 MB है और कुल पेजों की संख्या 133 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक डॉ० भीमराव अम्बेडकर / Dr. Br Ambedkar, हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ जाति का विनाश | Jati Ka Vinash की PDF को जरूर शेयर करेंगे।
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