आई लव यू / I Love You Book PDF Download by Kuldeep Raghav

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पुस्तक का विवरण (Description of Book आई लव यू | I Love You PDF Download) :-

नाम : आई लव यू | I Love You Book PDF Download
लेखक :
आकार : 1.4 MB
कुल पृष्ठ : 98
श्रेणी : रोमांटिक / Romanticउपन्यास / Upnyas-Novel
भाषा : हिंदी | Hindi
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प्रेम कहानियाँ आपने खूब पढ़ी होंगी, लैला-मजनूं, हीर-रांझा जैसे अनेक प्रेम के किस्से आपके जेहन में हैं। ‘आई लव यू’ भी ऐसी ही प्रेमकथा है, जिस पर आपको शायद सहसा विश्वास न हो मगर ये आपके जेहन में बस जायेगी। चाहत और मोहब्बत हम पर किस कदर हावी होती है कि, हम उम्र के तमाम बंधनों को दरकिनार कर देते हैं। इस प्रेम कहानी को अविश्वसनीय इसलिए कहा गया है कि एक साथ कॉलेज में पढ़ते हुए, एक साथ स़फर करते हुए, बचपन से एक साथ रहते हुए, दो हमउम्र लोगों के बीच प्यार होना कोई नई बात नहीं है। लेकिन ये कहानी है पच्चीस वर्षीय ईशान और तीस वर्षीय स्नेहा की, जो बिलकुल अलग है। दोनों एक ऑफिस में हैं, लेकिन डिपार्टमेंट अलग हैं। ऑफिस में दोनों कभी नहीं मिले। ईशान अपनी ज़िन्दगी में प्यार तलाश रहा है और स्नेहा प्यार के इस पड़ाव को पार करके आगे बढ़ चुकी है। लव मैरिज और उसके बाद ससुराल की यातनाओं के बाद तलाक। एक बेटी की जिम्मेदारी के अलावा उसकी ज़िन्दगी में कोई रोमांच नहीं है। एक ऑफीशियल इवेंट के लिए दोनों का चंडीगढ़ जाना, इस मोहब्बत की कहानी की शुरूआत है। आगे क्या होता है आप खुद पढ़ लेंगे।

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पुस्तक का कुछ अंश (आई लव यू | I Love You PDF Download)

अप्रैल का महीना शुरू हो चुका था। दिल्ली की गर्मी अपने तेवर दिखा रही थी। जैसे-जैसे दिन चढ़ता, गर्मी तेज होने लगती, इसलिए सुबह जल्दी ऑफिस चले जाना और शाम को देर तक ऑफिस में बैठे रहने का रूटीन बना लिया था। ऑफिस में एसी की ठंडक अब सुकून देने लगी थी।
​ऑफिस से लौटकर कमरे पर पहुँचा ही था, कि पापा का फोन आ गया था।
​‘‘हलो पापा, कैसे हो आप!’’
​‘‘हम अच्छे हैं जनाब, आप कैसे हैं।’’
​‘‘मैं भी अच्छा हूँ और अभी ऑफिस से आया हूँ।’’
​‘‘तो, कल तो संडे है, आओगे न इस बार घर?’’
​‘‘हाँ पापा, रात में ही तीन बजे निकलूँगा।’’
​‘‘ठीक है, आओ; चलते ही फोन करना।’’
​ऑफिस की छुट्टी थी। तीन महीने बाद पहली बार मैं अपने घर ऋषिकेश के लिए निकला था। स्नेहा जब से मिलीं थी, तब से मैं घर ही नहीं गया था। जब भी घर जाने की बात करता था, तो स्नेहा का चेहरा उदास हो जाता था और उन्हें परेशान करके मैं कभी खुश नहीं रह सकता था। तीन महीने से घर पर पापा, मम्मी, छोटा भाई और बहन इंत़जार कर रहे थे मेरे आने का, पर मैं हर संडे किसी न किसी काम का बहाना लगा देता था… यही वजह थी कि पिछले महीने होली पर भी मैं ऋषिकेश नहीं गया था।
​सुबह के तीन बज रहे थे।[adinserter block=”1″]

​कश्मीरी गेट से ऋषिकेश के लिए वॉल्वो में बैठ चुका था, तभी स्नेहा का फोन आया।
​‘‘कहाँ हो ईशान?’’
​‘‘कश्मीरी गेट, वॉल्वो में; पर ये बताओ, अभी एक घंटे पहले ही तो मैंने सुलाया था तुमको… मना किया था कॉल मत करना, आराम से सोना, मैं दिन निकलने पर कॉल करूँगा।’’
​‘‘यार तुम जा रहे हो, वो भी दो दिन के लिए; मुझे बहुत डर लग रहा है… कैसे रहूँगी तुम्हारे बिना?’’- स्नेहा ये बोलते-बोलते रोने लगी थी।
​‘‘स्नेहा…स्नेहा…प्लीज! रोना बंद करो यार।’’
​‘‘ईशान, प्लीज मत जाओ न यार, प्लीज वापस आ जाओ मेरे पास, प्लीज वापस आ जाओ।’’- स्नेहा ये कहते-कहते रोए जा रही थीं। उनके आँसू नहीं थम रहे थे।
​मैंने उन्हें खूब समझाया।
​‘‘मैं जल्दी आऊँगा स्नेहा, बच्चों की तरह ज़िद क्यों कर रहे हो। रोना बंद करो।’’
​‘‘ठीक है, नहीं रोऊँगी; पर वादा करो, मुझे कॉल करते रहोगे और हर पल मुझसे बात करोगे।’’
​‘‘ओके… प्रॉमिस; अब बिलकुल चुप हो जाओ और आराम से सो जाओ, मेरी बस चलने वाली है।’’
​‘‘हम्म… अपना ध्यान रखना।’’
​‘‘हाँ और तुम भी ध्यान रखना अपना; आई लव यू।’’[adinserter block=”1″]

​‘‘लव यू टू… आई विल मिस यू माई डियर।’’ – स्नेहा ने इतना बोलते ही फोन रख दिया।
​जैसे-जैसे बस दिल्ली को छोड़ती जा रही थी, वैसे-वैसे स्नेहा का ख़याल बढ़ता जा रहा था। उनसे पहली बार दूर जा रहा था। अब तक हर एक दिन उनसे ही शुरू होता था और उन पर ही खत्म होता था… लेकिन आज ये पहला दिन था, जो उनकी आँखों में आए आँसुओं से शुरू हुआ था।
​यहाँ मेरे जाने से स्नेहा जितना परेशान थी, उतनी ही खुशी ऋषिकेश में मेरे आने की थी।
​दिल्ली से बस निकली ही थी और पापा ने फोन कर दिया था।
​‘‘हाँ बेटा, निकले?’’- पापा ने फोन पर बोला।
​‘‘हाँ पापा, निकल चुका हूँ; गाजियाबाद पार कर चुकी है वॉल्वो।’’
​‘‘चलो, अपना ध्यान रखना।’’
​गाजियाबाद से आगे बढ़ते ही स्नेहा के बारे में सोचते-सोचते मेरी आँख लग गई थी। मेरठ से आगे एक ढाबे पर बस रुकी हुई थी। बस के शीशे के बाहर छाया रात का अँधेरा छँट चुका था। सूरज निकलने को बेताब था।
​‘‘ओ हलो… मिस्टर…”- बराबर वाली सीट पर बैठी एक लड़की ने मुझे उठाने की कोशिश की थी।
​मैंने अपनी भारी आँखों को खोलने की कोशिश की, तो देखा कि साथ वाली सीट पर बैठी एक 23-24 साल की बहुत खूबसूरत लड़की मेरी तरफ देखकर मुस्करा रही है।
​‘गुड मार्निंग!’- उसने कहा।
​‘गुड मार्निंग'[adinserter block=”1″]

​‘‘बस रुकी हुई है, सब लोग नीचे टी-ब्रेकफास्ट ले रहे हैं; तुम नहीं चलोगे?’’
​‘‘चलता हूँ यार, आई रियली वांट ए टी।’’
​वो मेरे साथ ही बस से उतरी थी। मैं मुँह धोकर वॉशरूम से वापस आया, तब तक उसने कॉफी ऑर्डर कर दी थी।
​‘‘आई एम ईशान एंड थैंक्स मुझे उठाने के लिए।’’
​‘‘माई सेल्फ अनन्या एंड इट्स ओके; तुम सो रहे थे, मुझे लगा जगा देना चाहिए; वैसे ऋषिकेश जा रहे हो या हरिद्वार?’’
​‘‘आय एम गोइंग टू ऋषिकेश।’’- उसके सवाल का जवाब देते हुए मैंने स्नेहा को मैसेज कर दिया था कि मैं मेरठ पहुँच चुका हूँ।
​‘‘ओके… यू आर फ्रॉम दिल्ली ऑर ऋषिकेश?’’- यह उसका अगला सवाल था।
​‘‘आय एम फ्रॉम ऋषिकेश एंड वर्किंग इन दिल्ली। एंड वॉट अबाउट यू?’’
​इतने में ही स्नेहा का मैसेज आ गया था- ‘‘ओके, टेक केयर… घर पहुँचकर मुझे तुरंत कॉल करना, आई रियली वांट टू टॉक टू यू।’’
​‘‘आई एम फ्रॉम दिल्ली; ऋषिकेश में मेरी मौसी रहती हैं, सो वीकेंड पर जा रही हूँ।’’- अनन्या ने मुस्कराते हुए बताया।
​‘‘ओह! अच्छा… दिल्ली में कहाँ से?’’
​‘‘मयूर बिहार।’’
​‘‘ओह, गुड; मैं भी वहीं रहता हूँ।’’
​‘‘कहाँ, मयूर विहार में?’’
​‘हाँ।’
​‘‘दैट्स ग्रेट।’’
​‘‘और तुम्हारा ऑफिस…?’’

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हमने आई लव यू | I Love You PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए Google Drive की link नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 1.4 MB है और कुल पेजों की संख्या 98 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक कुलदीप राघव / Kuldeep Raghav हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ आई लव यू | I Love You की PDF को जरूर शेयर करेंगे।

Q. आई लव यू | I Love You किताब के लेखक कौन है?
 

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