हील योर माइंड / Heal Your Mind PDF Download Free in Hindi Book by Louise L. Hay

पुस्तक का विवरण (Description of Book of हील योर माइंड / Heal Your Mind PDF Download) :-

नाम 📖हील योर माइंड / Heal Your Mind PDF Download
लेखक 🖊️   लुईस हेई / Louise L Hay  
आकार 28.1 MB
कुल पृष्ठ384
भाषाHindi
श्रेणी,
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हममें से अनेक लोग इस बात को लेकर संघर्ष करते रहते हैं कि एक ऐसे संसार में प्रसन्न, शांत और एकाग्रचित्त कैसे रहें, जो हर पल जटिल होता जाता है। हम अपनी सोच को सही दिशा में, अपने मनोभाव को स्थिर तथा स्मृति को ठीक कैसे रखें, जब हमारे मस्तिष्क और शरीर पर हर तरफ से सूचना और प्रभावों की बमबारी-सी होती रहती है? अपनी तरह का यह संसाधन अत्याधुनिक विज्ञान को करुणा तथा बुद्धिमानी के साथ मिलकर ऐसे उत्तर देता है, जिनका इस्तेमाल हम सचमुच कर सकते हैं।
आप यह जानेंगे कि अपने मन और शरीर में क्या चल रहा है, जब—
• आप दुःखी, क्रोधी या भयभीत महसूस करते हैं।
• लत डालने का पदार्थ या व्यवहार आपको अपने वश में कर लेता है।
• आपको एकाग्रता, अध्ययन या याद रखने में कठिनाई होती है।
• अतीत की वेदना वर्तमान में आपके मन को घेर लेती है।
• कोई भावुक स्थिति आपकी शारीरिक व्याधि का एक संकेत होती है।
• और भी बहुत कुछ।
यही नहीं, हर अध्याय में आपको ऑल इज वेल क्लीनिक में केस स्टडी के जरिए ‘वास्तविक उपचार का अनुभव’ प्राप्त होगा।
अपने मन-मस्तिष्क को समझकर स्थिर करने और तनावरहित सुखी जीवन जीने का मार्ग बताने वाली अद्भुत पुस्तक।

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पुस्तक का कुछ अंश

 

परिचय
पूरा जीवन मैंने भेड़ चाल चलने की कोशिश की, एकदम सामान्य बनकर रही। अनेक महिलाओं की तरह मैंने सबकुछ सहा और अपने मन को संतुलित रखा। जब बात क्रोध की आती है, तो मैंने कभी नहीं चाहा कि जब ‘क्रोध’ का मतलब साहसी होने की जरूरत हो, तब मैंने आपा नहीं खोया, बल्कि कभी नहीं चाहा कि जब शांत और संयमी होने की आवश्यकता पड़े, तब मैं भड़क जाऊँ। बात जब ध्यान लगाने की हो, तब परीक्षा देते समय या किसी लेक्चर को सुनते समय भी मुझे ध्यान लगाने और एकाग्र होने की जरूरत पड़ी; बल्कि हमें तो इस प्रकार ध्यान लगाने और अपनी जानकारी को विस्तार देने के लिए कहा गया कि हम संकीर्णता से एकाग्रचित्त हो सकें और फिर आखिर में, जैसे-जैसे मेरी उम्र ढल रही है, मैं बस ‘इसे खोना’ नहीं चाहती। इसका अर्थ भावनात्मक विस्फोटों से बचना नहीं है। इसका मतलब है कि मैं अपना होश बनाए रखना, याददाश्त ठीक रखना, मस्तिष्क को तेज बनाए रखना चाहती हूँ—और यह सब काफी नहीं है। मुझे कुछ और चाहिए। मैं आध्यात्मिक, सहज ज्ञान से संपन्न, संयमित, समानुभूति से पूर्ण बनना चाहती हूँ। क्या यह सब करना और स्वस्थ रहना संभव है? हाँ, बिल्कुल संभव है।
किंतु किसी को यह सबकुछ नहीं मिल सकता। हर इनसान अलग किस्म का होता है। संभव है कि आपके परिवार में ऐसे जीन हों, जो आपको डिप्रेशन या चिंता की ओर ले जाएँ। संभव है कि आपकी जाँच में ए.डी.एच.डी. पाया गया हो या आपके साथ स्मृति या मस्तिष्क कोहरे की समस्या हो अथवा फिर आपके जीवन में यातना या शोषण जैसी कुछ चीज हुई हो, जिससे आप में डिप्रेशन, चिंता या याददाश्त से जुड़ी समस्या की आशंका बढ़ गई हो। यदि ऐसा है भी तो आप दवा, अभिकथनों और सहज ज्ञान से अपने मन को चंगा कर सकते हैं। किंतु कैसे? मैं आपको बताने वाली हूँ, क्योंकि मैंने पूरा जीवन इस दिशा में प्रयास करते हुए बिताया है।[adinserter block="1"]
हम सभी चुनौतियों के बीच पले-बढ़े हैं। हमें किसी समस्या से निपटने में दिक्कत आती है। हम स्कूल जाकर यह समझते हैं कि उस समस्या को दूर करने में किसी और की मदद कैसे की जा सकती है। मेरे मामले में, मुझे मस्तिष्क संबंधी दो रोग हैं—निद्रा रोग और मिर्गी। दोनों ने ही सहज ज्ञान में कॅरियर बनाने में मेरी मदद की और मैं यह मान लेती हूँ कि इन दोनों रोगों के कारण अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम बढ़ गया था, जिसने मेरे मूड को प्रभावित किया। कभी-कभी मैं आपा खो बैठती थी और मेरे लिए ध्यान लगाना एवं एकाग्रता प्राप्त करना कठिन हो जाता था। तो फिर मैंने क्या किया? मैं स्कूल गई, खूब गई। मेरा एक मूल मंत्र है—‘नथिंग सक्सीड्स लाइक एक्सेस’। इसलिए, जहाँ दूसरे लोग ढल रहे थे, शांत और संयत थे (पर अधिकांशतया शांत ही), मैं नहीं थी। मैं एक पुस्तक और एक पेन के साथ—तब, जब टैबलेट और आईफोन नहीं थे—अलग-थलग रहती थी और बस, पढ़ती रहती थी। ब्राउन से बी.ए. किया, एम.डी. किया और पी-एच.डी. भी कर लिया तथा न्यूरोएनाटॉमिस्ट और बोर्ड सर्टिफाइड मनोचिकित्सक बन गई, जिसे न्यूरोसाइकिएट्री में विशेषज्ञता प्राप्त थी। इस पूरी अवधि के दौरान मैंने सीखा कि आप सबकुछ बुद्धि से ही नहीं जान सकते और यह सीखा कि मेरे अंदर चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान की एक क्षमता है—यह समझने की क्षमता कि कैसे हमारे शरीर में कुछ बीमारियाँ हमें यह बताती हैं कि हमारे जीवन में कुछ असंतुलित हो रहा है। इस पर आगे और बात करेंगे।
इतना ही नहीं, मैंने अपनी शिक्षा पर बीस वर्ष से भी अधिक लगाए हैं; जबकि इसमें स्कूल के वर्ष शामिल नहीं हैं। मैंने वर्ष 1978 से 1998 तक उच्च शिक्षा हासिल की, ताकि आपको पढ़ा सकूँ; आखिर में, बता सकूँ कि संपूर्ण बनने की दिशा में अपने मन को आप कैसे चंगा कर सकें। आप मेरे साथ-साथ सीख सकते हैं कि ऐसा कैसे किया जा सकता है।
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मन में संपूर्णता
सदियों से वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक शिक्षकों ने यह भेद खोला है कि हम भावनात्मक रूप से पीड़ित क्यों रहते हैं। इस तरह के अनेक तथ्य हैं, अनेक प्रकार के उद्धरण हैं। हम जानते हैं कि दुःख, उदासी, संकट और आघात बेशक मस्तिष्क और शरीर में विचित्र रूप लेते हैं। आज चिकित्सा जगत् को यह मानना पड़ा कि हर बीमारी हमारी मनोदशा के कारण बदतर या बेहतर हो सकती है।
लुइस हे और मैं दशकों से ऐसे संबंधों पर चर्चा करती आई हैं। लुइस की पहली पुस्तक, ‘हील योर बॉडी : द मेंटल कॉजेज ऑफ फिजिकल इलनेस’, जिसका प्रकाशन पहली बार सन् 1984 में किया गया था, इस क्षेत्र में क्रांति लानेवाली पुस्तक है। अपनी पुस्तक में (जो वास्तव में एक अधिकृत रिपोर्ट है) वे दावा करती हैं कि हमारे जीवन की तंदुरुस्ती व बीमारी विचारों का परिणाम होती है और विचारों से ही हम अनुभव प्राप्त करते हैं। यह दिलचस्प है, क्योंकि इक्कीसवीं सदी में हम समझते हैं कि हमारा मस्तिष्क पूरे जीवन के दौरान हमारी सुनम्यता से अपने आप को नए आकार में ढालता है। हम अपने विचारों और अपनी भावनाओं से प्रभावित होते हैं, चाहे अच्छे के लिए या बुरे के लिए। लुइस ने अपने कॅरियर में कुछ दशकों के दौरान लोगों की मदद उनके विचारों तथा अनुभवों को अभिकथनों से परिवर्तित करने में की है, जिससे उनका स्वास्थ्य बेहतर हुआ है। अब ओषधि और विज्ञान इसी काम को संज्ञानात्मक व्यवहार थेरैपी और द्वंद्वात्मक व्यवहार थेरैपी, तनाव कम करने तथा ‘माइंडफुलनेस’ थेरैपी से कर रहे हैं। लुइस को भी इसके लिए पैसे मिलने चाहिए।
मैंने तीस वर्षों से भी अधिक समय तक चिकित्सा संस्थान के क्षेत्र में कार्य किया है। बस, फोन पर उस व्यक्ति का नाम व उम्र पूछती हूँ और बताती हूँ कि कैसे उनके जीवन के कुछ विशेष भावनात्मक प्रतिमान उनके शरीर के निश्चित अंगों में रोग को बढ़ा देते हैं। मैं बताती हूँ कि उस भावनात्मक प्रतिमान को क्या नाम दें; उस पर तुरंत काररवाई करें और फिर उसे मुक्त कर दें। मैं यह भी समझाती हूँ कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया तो भावना और अनुभूति उनके शरीर में शारीरिक समस्या बनकर घर बना लेंगे। इस प्रक्रिया को सुचारु बनाने के लिए मैं उन्हें शिक्षित करती हूँ कि कैसे अनेक प्रकार के समाधान उनके शरीर के लिए मददगार हो सकते हैं, चाहे वे दवाएँ, जड़ी-बूटियाँ, पोषक आहार, अभिकथन या अनेक प्रकार के सुझाव हों, जो उन्हें चंगा बनाने की प्रक्रिया में सहायक होते हैं। चाहे बात मस्तिष्क की हो या शरीर की, संपूर्ण बनने के लिए हम सभी को पोषक आहारों, जड़ी-बूटियों, पारंपरिक दवाओं, कभी-कभी सर्जरी, अभिकथनों और अपने प्रकार के शारीरिक कार्य की आवश्यकता पड़ती है, जिसमें एक्यूपंक्चर से कीरोप्रैक्टिक की आवश्यकता पड़ती है। यह महत्त्वपूर्ण है कि ग्राहक के रूप में आप यह जान लें कि आपके सामने बफेट के तौर पर क्या-क्या उपलब्ध है। समाधानों की भरमार है, अनेक प्रकार के इलाज हैं, जिनमें से आप और आपके परामर्शदाता को संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए चुनाव करना है।[adinserter block="1"]
बहुत पहले जब मैं ब्राउन में बी.ए. की पढ़ाई पूरी करने का प्रयास कर रही थी, तब मैं अपनी न्यूरोलॉजिकल समस्या को लेकर भटक रही थी। मैं अकसर सो जाया करती थी। आप ही बताएँ, जब कोई सो जाएगा तो सीखेगा कैसे? आखिरकार, ब्राउन के आखिरी वर्ष में उन्होंने मुझे एक आक्षेपरोधी दवा दी, जिसने मुझे जगा दिया। इस दवा ने मेरा जीवन बदलकर रख दिया। बीते पाँच वर्षों तक मेरा औसत 2.2 था, जो अब बढ़कर 4.0 हो गया था। मेरे साथ वही हुआ, जो ‘फ्लॉवर्स फॉर अल्गर्नोन’ में उस चूहे के साथ हुआ था, जिसकी बुद्धि कृत्रिम रूप से बढ़ाई गई थी। हालाँकि, दो हफ्ते बाद जब मैं ग्रेजुएट हो गई तो दौड़ने लगी (जिसे मैं जागे रहने के लिए करती थी) और मैं एक पुल को पार कर गई। पता नहीं क्या हुआ? शायद मैं सो गई थी। शायद मुझे दौरा पड़ा था। मुझे बस, इतना याद है कि मुझे वह ट्रक दिखाई नहीं दिया। ट्रक ने मुझे टक्कर मारी और मुझे 86 फीट दूर फेंक दिया। मुझे कमर के हिस्से में चार फ्रैक्चर हुए थे, कई पसलियाँ टूट गई थीं, फेफड़े ने जवाब दे दिया था और कंधे की हड्डी भी सही-सलामत नहीं थी। मैं आपको विस्तृत जानकारी से पकाऊँगी नहीं। इतना कहना काफी है कि मैं चार दिनों तक आई.सी.यू. में और ग्यारह दिनों तक अस्पताल में थी; किंतु उसके बाद इतना कुछ हो चुका था कि मैंने चंगा होने के लिए कई सारे उपाय किए, जैसा कि मैंने अपने मस्तिष्क के रोग को ठीक करने के लिए किया था। मैंने अपने आप को ठीक करने के लिए जो कुछ संभव था, सब किया। मैंने एक्यूपंक्चर किया। मैंने चीनी हर्ब का इस्तेमाल किया। मैंने क्रैनिओसेक्रल थेरैपी की। मैंने अस्थि रोग की चिकित्सा की और तीन महीने बाद मैं 10,000 मीटर दौड़ी और 5.5 मिनट प्रति मील की रफ्तार से उसे जीत लिया। शायद इस कारण, क्योंकि मुझे इतनी पीड़ा हो रही थी कि मैंने उस दर्द को भुलाने के लिए दौड़ना जारी रखा। यह करना अच्छा लगा; लेकिन मुझे दवा छोड़नी पड़ी, क्योंकि उसके जानलेवा साइड इफेक्ट हो रहे थे। इस तरह मैं जहाँ थी, वहीं पहुँच गई और मुझे अपनी बुद्धि कम होने पर अच्छा नहीं लगा; क्योंकि ‘फ्लॉवर्स फॉर अल्गर्नोन’ के किरदार के साथ ऐसा ही हुआ था—उसे चतुर-चालाक बनाने के लिए इलाज से गुजरना पड़ा, उसकी सूझ-बूझ को चुनौती दी गई; लेकिन उस उपन्यास के अंत में सबकुछ पहले जैसा हो जाता है और वह अपनी बुद्धि खो देता है। मेरे साथ भी वही हुआ। उन्होंने कई दवाओं को आजमाया—डिलैनटिन, मायसोलिन, लेकिन कोई असर नहीं हुआ और मेरे डॉक्टर ने कहा, ‘‘तुम्हें इसके साथ जीने की आदत पड़ चुकी थी। तुम्हें फिर उसी तरह जीना होगा।’’[adinserter block="1"]
सच कहूँ तो यह बेहद निराश करनेवाला था। मैंने समाधान की तलाश में कई चीजों को आजमाया, शुरुआत मैक्रोबायोटिक आहार से की। उस समय तक दवा उपलब्ध नहीं थी या ऐसी दवा नहीं थी, जिसका मैं इस्तेमाल कर सकती थी। मैं इस घर में कुछ अन्य लोगों के साथ रह रही थी, जो कुछ हद तक डिप्रेशन से प्रभावित थे, इसलिए मैं घर पर अधिक समय नहीं बिताती थी। इसकी बजाय मैं बुक स्टोर्स में जाती थी—अद्भुत छोटे बुक स्टोर, जहाँ वे क्रिस्टल्स वगैरह रखते थे। मैं बोस्टन के न्यूबरी स्ट्रीट स्थित ट्राइडेंट बुकसेलर्स में गई और जैसे ही एक शेल्फ के करीब झुकी, वह नीले रंग की मार्गदर्शक पुस्तक गिर पड़ी—‘हील योर बॉडी’, जिसे लुइस हे ने लिखा था और उसमें अभिकथनों जैसी चीजें थीं तथा वे कह रही थीं कि यदि आप उन्हें बार-बार बोलेंगे तो अपने सोचने के उन तरीकों को बदल सकते हैं, जो आपके स्वास्थ्य को बिगाड़ सकते हैं, जबकि सोच का नया तरीका आपको बेहतर बना सकता है। यदि आप इसका पालन करना चाहते हैं तो विचारों को स्वास्थ्य की समस्याओं और अभिकथनों को जोड़ने वाला हील योर बॉडी का चार्ट परिशिष्ट ‘ख’ में दिया गया है।
आप इस बात को तो जानते ही हैं कि जिम में वजन उठाने को किस तरह से रिपीट किया जाता है। मैंने तय किया मैं अभिकथनों को रिपीट करूँगी। इस प्रकार एक रिपीट करनेवाली बात यह थी, ‘मैं जैसी हूँ, उसी रूप में अपने आप से प्यार करती हूँ।’ मैं इसे दिन में पाँच बार लिखती थी—‘मैं जैसी हूँ, उसी रूप में अपने आप से प्यार करती हूँ। मैं जैसी हूँ, उसी रूप में अपने आप से प्यार करती हूँ। मैं जैसी हूँ, उसी रूप में अपने आप से प्यार करती हूँ। मैं जैसी हूँ, उसी रूप में अपने आप से प्यार करती हूँ। मैं जैसी हूँ, उसी रूप में अपने आप से प्यार करती हूँ।’ मेरे पास एक रोजनामचा था और मैंने अभिकथनों की शुरुआत कर दी तथा तीन से चार महीने के भीतर मैं जाग उठी। मैंने धीरे-धीरे अनेक बातों को सीखा, जो या तो मेरे दौरे को बिगाड़ते थे या सुधारते थे। अभिकथनों को मैक्रोबायोटिक दवा तथा हर्ब के साथ प्रयोग कर मैं धीरे-धीरे जागने लगी।
हर किसी की एक कहानी है। यदि आप इस पुस्तक को पढ़ रहे हैं, आप बीमारियों से ग्रस्त थे और आपने समाधान की तलाश की है। आपने दवाओं को आजमाया, आपने हर्ब आजमाए, आपने पोषक आहारों को आजमाया, आपने दुनिया भर की चीजों को आजमाया। आपको डिप्रेशन हो सकता है, आपको चिंता हो सकती है, ध्यान लगाने में दिक्कत हो सकती है। आपको याददाश्त, लत की समस्या हो सकती है। आपके व्यक्तित्व से जुड़े तत्त्व, हो सकता है, जिन्हें थोड़ा तराशने की जरूरत होती है, हम में से सभी को होती है या नहीं? और मैं आपको यह सिखाने में मदद देने  वाली हूँ कि अपने मन को चंगा कैसे करें, जो अंत में आपके शरीर को समस्या-दर-समस्या, मस्तिष्क के एक-एक क्षेत्र की समस्या को सुलझाकर आखिरकार आपके शरीर को स्वस्थ कर देगी। मैं आपको सिखाने वाली हूँ कि संपूर्णता कैसे प्राप्त करें। यही इस पुस्तक का उद्देश्य है।
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चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान और मन व शरीर का नेटवर्क
सदियों से हम चक्र प्रणाली नाम के एक नेटवर्क की बात करते रहे हैं। चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान के क्षेत्र में कुछ भावनात्मक केंद्र होते हैं। मैं इस शब्द का प्रयोग क्यों कर रही हूँ? इस कारण से, क्योंकि मैं एक शरीर-रचना विज्ञानी और एक फिजीशियन हूँ तथा मस्तिष्क की रचना यह बताती है कि भावनाओं का ताना-बाना मस्तिष्क और शरीर के बीच बुना गया है। आप चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान रखनेवालों के पास जाएँगे तो ऊर्जा केंद्रों के बारे में सुनने को मिलेगा। मैं भावनात्मक केंद्रों की बात करती हूँ; लेकिन मैं ऊर्जा को भी उसमें शामिल करती हूँ। प्रत्येक केंद्र, चाहे आप उसे कोई भी नाम दें, शरीर की रचना के संबंधित क्षेत्र को निरूपित करता है। प्रत्येक केंद्र जीवन की एक परिस्थिति तथा एक भावना से जुड़ा होता है, जो शरीर के उस अंग को प्रभावित करता है। यह एक नक्शा है, जो आपको आपके स्वास्थ्य की रचना में सहायता करेगा। हाँ, मैं ठीक कह रही हूँ।
इस भावनात्मक/ऊर्जा केंद्र प्रणाली में सात क्षेत्र होते हैं। एक पेपर ले लीजिए और उन्हें लिख डालिए। आप जब इस पुस्तक को पढ़ रहे होंगे, तब उन क्षेत्रों को घेर दीजिए, जिनमें आपको समस्या है। ऐसा क्यों? क्योंकि आप अपना पहला चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान संबंधी अध्ययन स्वयं अपने ऊपर कर रहे होंगे। हो सकता है कि आप चाहें कि परिशिष्ट ‘क’ में दिए गए चार्ट को मार्गदर्शक के तौर पर इस्तेमाल करें।
ये रहे वे सात क्षेत्र—
1. पहला केंद्र : अस्थियाँ, रक्त, प्रतिरक्षा प्रणाली, त्वचा, जोड़ एवं मांसपेशियाँ। यह शारीरिक क्षेत्र हमारे परिवार या अन्य जन-समूहों से प्रभावित होता है।
2. दूसरा केंद्र : जननांग जैसे—गर्भाशय, अंडाशय, योनि, प्रोस्टेट, वृषण, पीठ के निचले हिस्से, कूल्हे और मूत्राशय। यह क्षेत्र प्रेम और धन से संबंधित होता है।
3. तीसरा केंद्र : पाचन नली, घेघा, जिगर, पित्ताशय की थैली, पेट, मलाशय, चयापचय, अग्न्याशय, शरीर की छवि। यह क्षेत्र आत्मसम्मान, कार्य, बहुत अच्छा महसूस करने से प्रभावित होता है।
4. चौथा केंद्र : हृदय, स्तन, फेफड़े। इस क्षेत्र का संबंध स्वास्थ्य, पालन-पोषण और साझेदारियों से होता है।
5. पाँचवाँ केंद्र : गला, थायरॉइड, मुँह, दाँत, जबड़ा। यह क्षेत्र संवाद शैली तथा समय के प्रबंधन में हमारी क्षमता से प्रभावित होता है।
6. छठा केंद्र : सिर, आँखें, कान, मस्तिष्क। यह क्षेत्र सोच, विचार तथा मौलिक मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित होता है।
7. सातवाँ केंद्र : प्राणघातक बीमारियाँ या हमारे जीवन की ऐसी घटनाएँ, जो हमारे घुटने टिका देती हैं। यह शरीर का कोई एक छिपा हिस्सा नहीं होता, लेकिन इस क्षेत्र का संबंध आध्यात्मिकता एवं जीवन के उद्देश्य से होता है।
आप जब उन क्षेत्रों पर एक नोट तैयार कर लेते हैं, जहाँ समस्या है, तब आप अपने चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान पर एक अध्ययन कर चुके होते हैं। शरीर के किस क्षेत्र में समस्या है, उसे लिख लेने के बाद आप जानने लगेंगे कि आपकी अधिकांश भावनाएँ किस प्रकार की हैं। [adinserter block="1"]
चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान क्या है? चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान में आपके शरीर के कुछ क्षेत्र आपको उसी समय बता देते हैं, जब आपके जीवन के किसी क्षेत्र में कोई भावना पैदा होती है। वे बता देते हैं कि भावनात्मक रूप से जो बातें आपको परेशान कर रही हैं, उनके लिए कुछ करना होगा। इसलिए, यदि यह किसी परिवार के सदस्य को लेकर डिप्रेशन है, किसी संबंधी व साथी को लेकर क्रोध, पैसे को लेकर हताशा या काम को लेकर चिंता वगैरह-वगैरह है तो शरीर के कुछ हिस्से भुनभुनाएँगे, कुछ कहेंगे या जोर से चीखेंगे कि आपके भावनात्मक जीवन में बदलाव की आवश्यकता है।
चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान हमें इन सात केंद्रों के साथ-साथ मस्तिष्क की क्रिया पर मन-शरीर के व्यापक नेटवर्क को लेकर एक तसवीर दिखाता है। आपका दायाँ मस्तिष्क आधा आपकी भावनाओं और आधा आपके अंतर्ज्ञान से बना होता है। आपका दायाँ मस्तिष्क भाषा के लिए है, यानी अपनी भावनाओं को शब्दों और कार्यों से आप कैसे व्यक्त करते हैं। इसलिए स्वास्थ्य के लिए यदि आप दाएँ हिस्से से अपनी भावनाओं को नहीं ले पाते, नाम नहीं बता पाते, तुरंत प्रतिक्रिया नहीं करते और उन्हें मुक्त नहीं करते तो आपका स्वास्थ्य यह बात आपको चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान से बता देगा। आपके दाएँ मस्तिष्क से भावना और अंतर्ज्ञान आपके शरीर के उन सात केंद्रों में से एक या अधिक में जाएँगे और रोग के लक्षणों के जरिए आप से बात करेंगे।
भावना शरीर में कैसे परिवर्तित होती है
इस प्रकार, आप अब यह जान चुके हैं कि जब आपके परिवार, संबंध, पैसा और कार्य में सबकुछ अच्छा चलता है, तब आपका शरीर स्वास्थ्य के लक्षणों के जरिए आपको बता देता है या अंतर्ज्ञान से, शरीर के संबंधित हिस्से की स्वास्थ्य समस्या से आप जान लेते हैं कि जीवन के किस पहलू में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। आप यह सीख सकते हैं कि अपने दाएँ मस्तिष्क में अपनी भावनाओं की शुरुआत को कैसे सुनें, क्योंकि वही अंतर्ज्ञान का क्षेत्र है। उस उदासी का पता कैसे लगाएँ कि वह आगे चलकर डिप्रेशन का रूप न ले सके। उस भय का पता कैसे लगाएँ, जो आगे चलकर आतंक या चिंता का रूप ले सकता है। उस क्रोध को कैसे पहचानें, जो हताशा या मंदी का रूप ले सकता है। इससे पहले कि इन भावनाओं का आपके स्वास्थ्य, आपके ध्यान और आखिरकार आपके मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े, इन्हें पहचान लें।
तो चलिए, अब एक काल्पनिक अध्ययन (जो इतना भी काल्पनिक नहीं होगा, क्योंकि ऐसी समस्याएँ हम सबके साथ होती हैं) करते हैं— [adinserter block="1"]
• अपने अध्ययन के क्षेत्रों पर गौर करें : क्या आपने पहले केंद्र को घेरा है और क्या आप प्रतिरोधी क्षमता संबंधी रोगों, जैसे एलर्जी या संक्रमण से पीड़ित हैं? यदि हाँ, तो खुद से पूछिए—मेरा परिवार कैसा है? क्या मेरे कई सारे दोस्त हैं? क्या मैं इस संसार में सुरक्षित और अच्छा महसूस करता हूँ?
• या फिर आपने दूसरे केंद्र को घेरा है तो क्या आपको पीठ के निचले हिस्से, गर्भाशय, अंडाशय, हार्मोन या जननांग प्रणाली की समस्या है? यदि हाँ, तो खुद से पूछिए—क्या मैं किसी संबंध को लेकर डिप्रेस्ड हूँ? अपनी सेक्स लाइफ को लेकर हताश हूँ और पैसों का क्या होगा? क्या मैं पैसे को लेकर चिंता या तनाव में हूँ?
• या शायद आपने पाचन, वजन, शरीर की छवि, गुर्दों को लेकर तीसरे केंद्र को घेरा है। फिर आपको इत्मीनान से बैठकर खुद से यह पूछना होगा—मेरी नौकरी कैसी चल रही है? मेरे आत्मसम्मान की स्थिति क्या है? क्या मुझे लगता है कि मैं मोटा हूँ? क्या मैं अपने बालों से नफरत करता हूँ? क्या मैं आकर्षक दिखता हूँ?
• या फिर आपको साइनस, ब्रोंकाइटिस, हार्ट, कोलेस्ट्रॉल, हाइपरटेंशन, हार्ट पल्पिटेशन या स्तन में गाँठ से जुड़ी चौथे केंद्र की समस्या है? फिर तो आपको अपने आप से यह पूछना होगा कि आपकी पार्टनरशिप कैसी है? या माँ या अपने बच्चों से संबंध कैसे हैं?
• और फिर हम अगले केंद्र की तरफ चलते हैं। क्या आपको गरदन में दर्द, थायरॉइड की समस्या, टी.एम.जे. की तकलीफ, मसूढ़े या दाँत की बीमारी है? यदि ऐसा है तो मुझे यह कहते हुए बुरा लग रहा है; लेकिन आपके साथ संवाद की समस्या है।
• अब सिर, आँखों और कान की बारी है। क्या आपको चक्कर आने, भ्रम होने, आँखों में नमी की कमी, सिरदर्द या स्वास्थ्य को लेकर चिंता की समस्या है? आपके साथ इस संसार को लेकर नजरिए और परिवर्तन से जूझने को लेकर समस्या हो सकती है।
• और फिर यह रहा सातवाँ केंद्र। हम यहाँ थोड़ा रुकेंगे, क्योंकि इस तरह की स्वास्थ्य समस्याएँ आपके जीवन में आपको रोक देती हैं। असाध्य, दुष्कर इलाज, यहाँ तक कि जीवन को खतरे में डालनेवाली ताकतें आपको इस पर सोचने को मजबूर कर देती हैं कि आपके जीवन का उद्देश्य क्या है, या फिर आपका जीवन बेमकसद हो गया है, आप फोकस खो चुके हैं और आपके आध्यात्मिक जीवन की क्वालिटी कैसी है? [adinserter block="1"]
चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान का अभिकथनों से साथ मेल करना
इसलिए, जब बात चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान और अभिकथनों को मिलाने की आती है तो हम उस पर काम करते हैं, जिसे मैं प्यार से मन-शरीर का बरमूडा ट्रिएंगल कहती हूँ। एक साथ तीन पहलू शामिल रहते हैं। हम जीवन में (परिवार, संबंधों, कार्य वगैरह) किसी एक परिदृश्य की पहचान करते हैं, भावना (क्रोध, भय, उदासी, चिंता इत्यादि) का पता लगाते हैं और उससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्या की पहचान करते हैं। यह किसी त्रिकोण के तीन कोण हैं।
हालाँकि कमोबेश सिर्फ चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान और अभिकथनों का प्रयोग कारगर नहीं होता। कभी-कभी हम चिंताग्रस्त या हताशा से ग्रस्त रहते हैं, ध्यान नहीं दे पाते और याददाश्त भी कमजोर हो जाती है। साथ ही, कोई स्वास्थ्य समस्या उस परिस्थिति में भी हमें परेशान कर सकती है, जब हम यह पता लगा लेते हैं कि मन या शरीर की वह समस्या जीवन के किस पहलू से जुड़ी है। इसका कारण यह है कि हमें अपने मन और शरीर के क्षेत्रों को शरीर विज्ञान, आहार तथा संभवतः दवा के इस्तेमाल से चंगा करना भी सीखना है।
लुइस हे के साथ मैंने जो पहली पुस्तक लिखी थी—‘ऑल इज वेल : अपने शरीर को दवा, अभिकथनों तथा अंतर्ज्ञान से चंगा करें’, उसमें आपने सीखा था कि अभिकथनों और अंतर्ज्ञान का प्रयोग ही पर्याप्त नहीं है। हमें स्वस्थ होने के सारे उपायों का प्रयोग करना होगा। यह पुस्तक उस शृंखला की दूसरी कड़ी है। यह आपको अपने मन को चंगा करने तथा दवाओं, अभिकथनों एवं अंतर्ज्ञान से पूर्णता प्राप्त करने में मदद करेगी। यह इस बात को स्वीकार करती है कि हमें स्वस्थ होने के लिए इन तीनों की आवश्यकता है।
हमें न सिर्फ रोगों के निदान के लिए लुइस हे के तरीके को चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान के साथ मिलाना है, बल्कि इनसे हम सोचने के उन तरीकों को भी बदल सकते हैं, जो स्वस्थ मनोभाव, चिंता और हताशा से मुक्त रहने की क्षमता को प्रभावित करते हैं तथा अपने मस्तिष्क को किसी सुई की तरह पैना बनाने में मदद करते हैं। हम किसी आघात पर एक नया नजरिया अपना सकते हैं, जो हमारे संबंधों तथा संसार में हमारे घुलने-मिलने को प्रभावित कर सकता है; और जब बात लैंगिकता एवं शरीर की छवि व पहचान की आती है, तब हम अपने आत्म-मूल्य और आत्म-सम्मान को अभिकथनों के साथ भी बदल सकते हैं। [adinserter block="1"]
इस पुस्तक का इस्तेमाल कैसे करें
‘ऑल इज वेल’ में, लुइस तथा मैंने शरीर से जुड़े समीकरणों पर हल सुझाया था। यह पुस्तक बताती है कि आप अपने मन को कैसे चंगा करें। आगे आनेवाले अध्यायों में आप आपकी अपनी या अपने प्रिय जनों की उदासी, हताशा और क्रोध, चिंता, लत, ध्यान एवं सीखने की समस्याओं, स्वस्थ आयु वृद्धि तथा याददाश्त के साथ ही रहस्यवाद जैसे असाधारण उपहारों समेत मस्तिष्क की व्यापक ‘शैलियों’ के बारे में जानेंगे, जो हमारे सोचने और जीने के तरीके को आकार देते हैं।
आप यह समझ लेंगे कि कैसे मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य के इन पहलुओं का प्रभाव आपके स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। आप जब मस्तिष्क और शरीर की किसी विशेष चिंता से ग्रस्त रहते हैं, तब ऑल इज वेल क्लीनिक में उस अध्याय की मदद से जा सकते हैं, जो आपकी विशेष समस्या का वर्णन करता है। यह आपके लिए लुइस हे तथा मेरे वास्तविक मन-शरीर क्लीनिक में एक क्लाइंट बनने का अवसर है। आप शरीर और मन की समस्याओं को उनके लक्षणों की सूची में से देखकर पहचान सकेंगे। उदाहरण के तौर पर, किसी क्लाइंट की समस्या पर एक संक्षिप्त वर्णन होगा और फिर अनेक प्रकार की सलाह, रणनीतियाँ होंगी, जिन्हें आप स्वस्थ होने के लिए इस्तेमाल में ला सकते हैं। इस प्रकार, इस पुस्तक की मदद से आपको अपने घर पर बैठे-बैठे स्वस्थ होने का एक सच्चा अनुभव मिलता है, जिसमें दवाओं, पोषक आहारों, जड़ी-बूटियों तथा लुइस हे और मेरे अपने अनुभवों से आपको पूरे शरीर के लिए परामर्श की जानकारी मिलती है। आपको एक ऐसा अवसर मिलेगा, जिसमें आप इलाज के विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल कर अपनी ही उपचार करनेवाली टीम को अपने घर ला सकते हैं, जो आहारों से लेकर नए व्यवहारों की थेरैपी, सोच के नए तरीके इत्यादि का इस्तेमाल करती है।
कृपया यह समझ लें कि आप जो भी उपाय अपनाते हैं, उसे उपचार की साझेदारी का हिस्सा होना चाहिए। पालन-पोषण भी उपचार का हिस्सा है और उपचार को उसे अनदेखा कर नहीं किया जा सकता। इस पुस्तक में दी गई जानकारी को लें; एक कुशल, जाने-माने, समानुभूति रखनेवाले परामर्शदाता, यहाँ तक कि किसी हीलर के पास जाएँ और उसके साथ बैठकर एक योजना बनाएँ। साथ मिलकर आप इस पुस्तक के साधनों के प्रयोग से अपने मस्तिष्क, अपने मन तथा अपनी भावना को मजबूत बना सकते हैं, जिससे आप जीवन में अपनी इच्छा से परिवर्तनों को कर सकेंगे।
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आभार
ह पुस्तक इस उद्देश्य से लिखी गई है कि हम किस प्रकार अपने मस्तिष्क को स्वस्थ बनाकर संपूर्ण स्वास्थ्य को प्राप्त कर सकते हैं। हम अपने आप में कोई अकेले द्वीप नहीं हैं; हम में से हर एक अनोखी बुद्धि का स्वामी है और उसके साथ ही हम सभी के मस्तिष्क में कुछ कमजोरियाँ भी होती हैं। इसलिए, हम में से किसी के पास भी सही मायने में एक ‘पूर्ण’ मस्तिष्क नहीं होता है। जीवन जीने, स्वस्थ रहने, खुश रहने और कुछ करते रहने के लिए हमें मदद लेनी पड़ती है, शादी करनी पड़ती है या लोगों को दोस्त बनाना पड़ता है, ताकि वे हमें मस्तिष्क के वैसे हिस्से से मदद कर सकें, जो हमारे पास नहीं है। मैं उन सभी लोगों के सहयोग की आभारी हूँ, जो अपनी उत्कृष्टता व बौद्धिकता से मुझे रास्ता दिखाते हैं। इसलिए आप अब तैयार हो जाइए। यह रही उन लोगों की सूची। मैंने मस्तिष्क के क्षेत्रों के अनुसार उन्हें स्पष्ट कारणों से एक क्रम में सजाया है।
ललाट पालि कार्यकारी क्षेत्र
लुइस हे, एक्जीक्यूटिव-इन-चीफ। मन-शरीर की चिकित्सा के क्षेत्र में वे एक महान् हस्ती हैं। चाहे वह स्काइप के जरिए केस स्टडी का अध्ययन कर रही हों या अपने व्याख्यानों और पुस्तकों से जुड़ी हों। वे मनोचिकित्सा और संज्ञानात्मक व्यवहार थेरैपी की ऐसी हस्ती हैं, जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। मैंने अपनी शिक्षा में 35 वर्ष लगाए और धीरे-धीरे भावना, अंतर्ज्ञान, मस्तिष्क, शरीर और स्वास्थ्य के बीच संबंधों की कड़ी को एक-एक कर जोड़ा व समझा। दूसरी तरफ, उन्होंने अपने कमरे में बैठकर मरीजों के जीवन की कहानियों को सुना और उन्हीं जानकारियों को जुटा लिया। अब आप इसी बात से अंदाजा लगाइए कि ऐसी महान् महिला के साथ मिलकर काम करने पर मुझे कितना गर्व हो सकता है।
हे हाउस जैसे संगठन को चलाने में उसके लिए योजना बनाने, समस्याओं को सुलझाने और भविष्य को लेकर सोच रखने के लिए हे हाउस के सी.ई.ओ. रीड ट्रेसी और सी.ओ.ओ. मार्गरेट नील्सन का शुक्रिया, जो मुझे लगातार बेहतरीन अवसर उपलब्ध कराते रहते हैं। संपादकीय विभाग के उपाध्यक्ष पैटी गिफ्ट इस क्षेत्र की एक हस्ती हैं। मैं श्रद्धापूर्वक आपके सामने सिर झुकाती हूँ। जहाँ तक निर्णय लेने के कौशल और जन-संपर्क की बात है, तो लिंडसे मैक्गिंटी मेरे ‘सोशल फोबिया’ से निपटने के लिए धन्यवाद। मर्लिन रॉबिंसन का भी बहुत-बहुत धन्यवाद, जिनकी भूमिका प्रचार-प्रसार में अनमोल है। पैंटन कलर्स, कोई जानता भी था क्या? मुझे यह जानकार खुशी होती है कि लारा ग्रे मेरे ऑनलाइन कोर्स को सँभालती हैं। वे इतनी सुलझी हुई हैं कि शायद वे अपनी ही पुस्तक लिख डालें। उस मशीन का भी शुक्रिया, जो ‘आई कैन डू इट!’ के हे हाउस कॉन्फ्रेंस को पूरे अमेरिका में बड़ी कुशलता से ले जाने का काम करती है। साल-दर-साल मुझे सफर पर ले जाने के लिए शुक्रिया।
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बायाँ मस्तिष्क
एनी बार्थेल मेरी भरोसेमंद संपादक हैं। उन्होंने मेरे शब्दों का अनुवाद इस तरह किया कि उन्हें समझा जा सके। आप मेरे बोस्टन, रोड आइलैंड और छद्म-न्यूयॉर्क के उच्चारणों को समझ लेती हैं। आखिर आप ऐसा कैसे कर पाती हैं? मैंने आपका नाम वेटिकन में संत की उपाधि के लिए दे दिया है। ठीक यही बात मेरी ट्रांसक्रिप्शनिस्ट कैरेन किनी पर लागू होती है। मैं आपके बिना कैसे जी सकूँगी? आपकी आवाज मेरे मस्तिष्क में छप जाती है।
कृपालु और सूजी ‘डेबी’ अर्नेट आपका शुक्रिया। आप मेरे कॅरियर पर इस प्रकार नजर रखती और उसे दिशा देती हैं, जिसे बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। चाहे कॉन्फ्रेंस हों या टी.वी. प्रोडक्शन, आप मेरे कॅरियर के प्रसारण में काफी मदद करती हैं और हम जब प्रसारण कर रहे होते हैं, तब हे हाउस रेडियो का भी शुक्रिया। आप कमाल के हैं और जबरदस्त तरीके से छा जाते हैं! डिएन रे, रिशेल और पूरा क्रू कमाल का है। हर हफ्ते दस वर्षों से भी अधिक समय से आप सब इस काम में जुटे हैं और इसलिए मैं कह पाती हूँ, ‘‘इनट्यूटिव हेल्थ विद डॉ. मोना लिसा। कैन आई टेक द नेक्स्ट कॉलर?’’
अब मैं मस्तिष्क के सीखने और स्मृति के क्षेत्र की ओर बढ़ती हूँ। मुझे मस्तिष्क और शरीर से उसके संबंधों के बारे में निम्नलिखित लोगों ने शिक्षा दी थी। मैं अपने पूर्व गुरुओं को धन्यवाद देती हूँ। इन लोगों के साथ बिताए हर पल का इस पुस्तक को लिखने में योगदान रहा है। डॉ. मार्गरेट नेसर, एम. मार्सेल मेसुलम, एम.डी.; दीपक पांड्या, एम.डी.; एडिथ कैपलान, पी-एच.डी.; नॉर्मन गेशविंड, एम.डी.; क्रिश्चिएन नॉर्थरप, एम.डी. और जोआन बोरिसेंको, पी-एच.डी.।
दायाँ मस्तिष्क
तंत्रिका मनोविज्ञान समीक्षा के बाद मैंने एक डबल-ए फ्रंटल लोब का पता लगाया, जिसके कारण मेरे साथ इतने सारे लोगों का सहयोग है, जिनके नाम ऊपर और नीचे दिए गए हैं। मेरे कमजोर बाएँ गोलार्ध को मेरी संपादक के ज्ञान की जरूरत है। भगवान् का लाख-लाख शुक्रिया कि मेरे पास एक डबल-डी मस्तिष्क है, इसलिए मैं देवताओं का धन्यवाद करती हूँ, जिन्होंने मुझे ऐसी क्षमता दी कि मैं महत्त्वपूर्ण जानकारी जुटाकर इस पुस्तक को लिख सकूँ। ईश्वर के बिना मैं कुछ भी नहीं। सच में, आपके सहारे के बिना मैं जीवित नहीं रहती। सच में।
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शरीर
अगर हमारे पास संपूर्ण मस्तिष्क होता तो शरीर हमारे मस्तिष्क को परास्त नहीं कर सकता था। इन लोगों के साथ ही मेरा परिवार मुझे एक अच्छी स्थिरता देता है। वे आगे बढ़ने में और शायद रोजमर्रा की जिंदगी में यहाँ-वहाँ घूमने में मदद करते हैं। बेशक, एक चिकित्सा अंतर्ज्ञानी होने के नाते मैं भावनात्मक केंद्रों या ऊर्जा केंद्रों के अनुसार अगर आप चाहें तो उनके नामों को व्यवस्थित करूँगी।
सातवाँ केंद्र : मुझे अध्यात्म से जोड़े रखने में एविस स्मिथ मेरी मदद करती हैं, जो एक हिब्रू शिक्षक और तोराह की विद्वान् हैं। मुझे उन्हें अपना साथी कहने पर गर्व है। डिज्नी वर्ल्ड, मैजिक किंगडम, एपकॉट, एनिमल किंगडम और हॉलीवुड स्टूडियोज के स्टाफ को इस बात के लिए धन्यवाद कि आप सभी ने मेरे ऊपर हद से ज्यादा बार आने के लिए रोक नहीं लगाई, जबकि अपना होश सँभाले रखने के लिए मैं बीते साल कई बार यहाँ आई। वैसे, मैं एक बार फिर से अपना सालाना लाइसेंस रिन्यू कराने वाली हूँ।
छठा केंद्र : सहकर्मी और दोस्त। जिप्सी हैंड्स के साथ सारा शोटिल ग्रिसकॉम, जेसिका और स्टाफ का शुक्रिया। ये सारे नॉक्सविल हीलर्स मेरे लिए मूँगफली पर जेली की तरह हैं। दुष्ट डेनियल पेराल्टा और उसकी साथी गुक्की एफिसिओनाडो। आप डेनियल से प्यार किए बिना कैसे रह सकते हैं? हीदर डेन, जिनका मस्तिष्क पोषण को लेकर किसी इनसाइक्लोपीडिया से कम नहीं है, आपको उनके गेहूँ-मुक्त, डेयरी-मुक्त समोसे का स्वाद लेना चाहिए।
पाँचवाँ केंद्र : मेरी आवाज। जे. हॉफमैन और मार्शल बेलोविन, आपकी एक्सपर्ट, संतुलित, कानूनी सलाह के लिए शुक्रिया। आप मेरे पेरी मैसंस हैं। वेबसाइट मास्टर जेफ्री सदरलैंड पर दया आती है, जो कभी-कभी मस्तिष्क को पका देनेवाली इंटरनेट की रुकावटों में भी अपना ब्लड प्रेशर स्थिर रखते हैं।
चौथा केंद्र : यहाँ शुक्रिया उन लोगों का, जिन्होंने मेरे दिल को धड़कता और स्वास्थ्य को स्थिर रखा। डॉ. कुमार ककरला, डॉ. रोजमैरी डूडा, डॉ. फर्न त्साओ, डॉ. डीन डेंग, डॉ. स्टीवेन डोबिएस्की और मेयो क्लीनिक। मैं आपके आगे सिर झुकाती हूँ। आप सब कमाल के हैं! मेरे बिल चुकाने के लिए एंथम ब्लू क्रॉस और ब्लू शील्ड, आपका शुक्रिया।
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तीसरा केंद्र : रूप। चलिए, सबसे पहले बालों की बात करते हैं, जो हमेशा नजर में रहते हैं। अकारी स्टूडियोज, पीटर जॉन (द कट) और जेफ्री (कलर)। थैंक यू! लाजवाब माइक ब्रुअसर का भी शुक्रिया। वह लॉन, गार्डन और मेरी छुट्टियों को बेहतरीन बना देते हैं। क्यू.सी.एस. की हीथर और अनीता का भी धन्यवाद। मेरा घर कभी इतना साफ नहीं रहता था। खाना, बैंक्वेट और कॉन्फ्रेंस—खाने की समस्या हो सकती थी, बशर्ते मैं मेन के फ्रीपोर्ट स्थित हैरासीकेट इन नहीं गई होती। अपने ऑर्गेनिक भोजन से वे मुझे जीवंत बनाए रखते हैं। इसके मालिक रॉडनी, चिप ग्रे, नैंसी ग्रे, बारकीपर रोंडा रियल, शेफ मैरीएन मैकएलिस्टर, मैनेजर मार्शा, जीन-मैरी, बैंक्वेट्स और सारे वेटर स्टाफ का शुक्रिया। अगर आप पाठकों में से किसी को भी वहाँ जाने का सौभाग्य मिले तो ग्लुटेन-फ्री एपल और ब्लूबेरी पाई जरूर चखिएगा। उनसे कहिएगा, मैंने आपको भेजा है, लेकिन बार में मेरी सीट पर मत बैठिएगा।
दूसरा केंद्र : पैसा। मेरे पैसों का हिसाब रखनेवाली टीम के जॉर्ज होवार्ड, पॉल चाबोट और अकाउंटेंट पीटर का शुक्रिया। मैं जब काबू में नहीं रहती, तब यही लोग सबकुछ सँभाल लेते हैं।
पहला केंद्र : मैं सबसे बेहतरीन दोस्तों और परिवार के प्रति हृदय से आभारी हूँ। आप लोग जब यहाँ दी गई सूची पर गौर करें तो उसके क्रम को लेकर नाराज होने की जरूरत नहीं। आप सभी को पहले स्थान पर रखना असंभव है। इसलिए मैंने आप सभी को एक ही वाक्य में हाइफन के साथ रखा है। कैरोलीन मिस-जेनी और जेरी लेमोलनाओमी-जुडलैरी स्ट्रिकलैंड-हेलेन और रॉय स्नो-लॉरा डे-जॉयस बोवर्स। हाइफन से अलग कर बनी यह सूची आप सभी को मेरे जीवन के एक बड़े परिवार का हिस्सा बनाती है और आप सभी को मैं अलग-अलग भी प्यार करती हूँ; लेकिन मुझे वर्णक्रम की विपरीत दिशा से शुक्रिया अदा करने दीजिए।
कैरोलीन मिस, जो मेरी शरीर से जुड़ी जुड़वाँ है, जिसे जन्म के समय अलग कर गोद लिये जाने के लिए छोड़ दिया गया। फोन पर हम खिलखिलाए भी और रोए भी। मॉण्ट ब्लैंक पेन, एनिमेटेज आर्ट और जीवन की ऐसी कई सारी बातों को लेकर हमारे अंदर समान ऑटोसोमल डोमिनेंट जीन है, जिनकी पूरी सूची यहाँ देना संभव नहीं है। तुम मुझे हर वक्त प्यार का एहसास कराती हो। ओह, मैं तो सोच भी नहीं सकती कि इस संसार में तुम्हारे बिना मैं कैसे जी पाती!
डॉ. जेनी और डॉ. गेराल्ड लेमोल का एरिजोना के फोनिक्स में उस समय होने के लिए, जब सही मायने में मैं कह सकती हूँ कि मेरा बचना असंभव था। आपने मेरी जिंदगी बचाई और फिर से मुझे अपने पैरों पर खड़ा किया। आपका शुक्रिया!
मिस नाओमी और मिस्टर लैरी, कई नस्लों के कुत्ते, पीसफुल वैली में रहनेवाले अन्य भी। हेलेन और रॉय स्नो समेत लीपर्स फोर्क का एक-एक सदस्य। आप सभी ने मेरे लिए प्रार्थना की। बाढ़ में, कार दुर्घटना में और देश पर आई आपदा के दौरान हम साथ हँसे, रोए। आपने मेरे लिए प्रार्थना की। अच्छे समय में हमेशा ही आप सभी ने हौले-हौले कहा है, ‘‘हनी, हम सब तुम्हें चाहते हैं।’’
मेरी सेफर्डिक बहन लॉरा डे, भले ही वह इनकार करती है कि वह सेफर्डिक है। मेसेज, इ-मेल, फोन से न्यूयॉर्क में उसके अपार्टमेंट तक से एक संबंध बन गया है। मैं तुम्हें अपने सामान से भी ज्यादा चाहती हूँ और ऐसा कहने का साहस मैंने जुटाया है।
मेरे दक्षिण-पूर्व फ्लोरिडा के परिवार के लिए—द बॉवर्स फैमिली, खासकर जॉयस बॉवर्स, जो अपने न्यूयॉर्कवाले एक्सेंट और पाँच फीट ग्यारह इंच की लंबाई के साथ ही अपनी धौंस से मुझे हँसा देती है। वह मुझे जज जूडी की याद दिलाती है, जिसे मैंने वफादारी के साथ बीस साल तक देखा है। आप मुझे आगे बढ़ाती हैं और बेहतर होने के लिए धकेलती भी हैं और जब भटकती हूँ तो रोकती हैं। थैंक यू।
मेरी बेशकीमती बच्चियों—लोरेटा लिन, कॉनवे ट्विटी, टैमी वायनेट। हाँ, दक्षिणी प्रभाव को लेकर एक स्वीकृति है और बेशक, होराटियो। मैं तुम सभी को चाहती हूँ, यार।
और आखिर में, आप सभी पाठकों की मैं आभारी हूँ। अगर आप न होते तो कोई पुस्तक भी नहीं होती। मेरा साथ देने के लिए शुक्रिया।
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डिप्रेशन
क्या डिप्रेशन ने आपके जीवन की तरक्की का रास्ता रोक लिया है? क्या उदासी और हताशा पूरी क्षमता से अपने काम को करने के रास्ते की बाधा बन गई है? क्या भावनात्मक पीड़ा और संवेदनशीलता ने आपके संबंधों को बिगाड़ दिया है?
इस दुनिया में सबसे आम भावनात्मक समस्या भावनात्मक पीड़ा है। उदासी, हताशा, विह्वल होना—इन सभी में वैसी ही मस्तिष्क ऊर्जा या केमिस्ट्री या आप जो कुछ कहिए, वह होती है। इन सभी को डिप्रेशन के अंतर्गत रखा जाता है।
आखिर डिप्रेशन होता क्या है? हद से ज्यादा उदासी ही डिप्रेशन है। अधिकांश लोगों को इसका एहसास होता है। कई लोग यह नहीं समझ पाते कि यह प्रेम और खुशी का अभाव भी है। हम सभी के जीवन में अकेला छोड़ दिए जाने, धोखा देने और ठुकरा दिए जाने की भावना पैदा होती है। हालाँकि, यदि आपकी उदासी लंबे समय तक रहती है तो आपके साथ एक ऐसी भावनात्मक समस्या पैदा होती है, जो शारीरिक संकट का रूप ले लेती है।
उदासी, हताशा, डिप्रेशन की भावनात्मक पीड़ा का कारण क्या होता है? कभी-कभी आपको लगता है कि आप किसी को हमेशा के लिए खो चुके हैं। कभी-कभी आपको लगता है कि आप व्यर्थ हैं। काम की जगह पर आपको लगता है कि आपको सम्मान नहीं मिल रहा, आपके साथ अन्याय हुआ है। आप चिड़चिड़े हो जाएँगे, यह सोचकर कि चीजें दूसरी तरह से होनी चाहिए। आपकी यह दिक्कत बढ़ जाएगी। यह रूखापन, अकेलापन और चिड़चिड़ापन उदासी के ही रूप हैं। और फिर, आपका शरीर इसे महसूस करता है। आपको भूख लगती है, आप थक जाते हैं, आपकी चाल धीमी हो जाती है। आप दरवाजों को पटकते हैं, दूसरों की आलोचना करते हैं और जब आप आईने में खुद को देखते हैं तो कहते हैं, ‘मैं खुद को नापसंद करता हूँ।’ आप समझ नहीं पाते कि आप दुःखी हैं या गुस्से में हैं। यह समझ पाना कठिन होता है कि उदासी खत्म कहाँ होती है, चिड़चिड़ापन शुरू कहाँ से होता है और कब क्रोध फूट पड़ता है।
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डिप्रेशन को देखने के तरीके
हमारी भावनाएँ हमारे स्वस्थ होने के अंतर्ज्ञान का हिस्सा हैं, जो बताती हैं कि कुछ जरूरतें पूरी नहीं हो रही हैं। हम जब दुःख या क्रोध को महसूस करते हैं तो यह हमें वश में कर सकता है, हमारी जान ले सकता है और हमारे संबंधों को युद्धक्षेत्र में बदल देता है। हम खाने, पीने, खराब संबंधों से अपने आप को तबाह कर सकते हैं। अकसर हमारा ‘मूड’ खराब रहता है। हमें लगता है, हम ‘अच्छे’ नहीं हैं; क्योंकि डिप्रेशन, क्रोध और चिड़चिड़ापन बस, खराब मूड की बात नहीं होती। उनका संबंध पर्याप्त खुशी और प्रेम न होने से है। हम लुइस हे की रचना से सीख सकते हैं कि स्वयं से प्रेम करने से अच्छे भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य की शुरुआत होती है।
डिप्रेशन और चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान
चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान में दुःख और क्रोध आपके भावनात्मक मार्गदर्शन प्रणाली का हिस्सा होते हैं, जो आपको बताते हैं कि कुछ है, जिसे बदलना होगा। भावनाएँ अपने आप में समस्या नहीं होतीं। दुःख और क्रोध को अकसर नकारात्मक माना जाता है। क्यों? क्योंकि वे अच्छा एहसास नहीं कराते। हालाँकि क्रोध और उदासी जैसी कठिन भावनाएँ फायर अलार्म की तरह होती हैं। फायर अलार्म कभी सुनने में अच्छा नहीं लगता। वह आपके कान फाड़ देता है और आप उसे गुजरते समय सुनना नहीं चाहते। आप जब डिप्रेस्ड रहते हैं या किसी डिप्रेस्ड के साथ रहते हैं, तब यह अंतर्ज्ञान के बजते सायरन की तरह होता है। डिप्रेशन या उदासी अंतर्ज्ञान के एक संकेत की तरह है, जो बताती है कि आपके आसपास कुछ है, जो बहुत बुरा करनेवाला है। आपको जब वश में कर लेनेवाले भय का एहसास होता है, तब आपके अंदर की उस अनाम बेचैनी में आपको लगता है कि आप कुछ खो देने वाले हैं।
इसलिए, अगली बार जब आपका मन बैठ जाता है, तब वहीं रुक जाइए, उसके विषय में सोचिए। यह पता लगाने की कोशिश कीजिए कि अंतर्ज्ञान का वह अलार्म क्यों बजा? क्या कोई संबंध तबाह होनेवाला है? क्या किसी की सेहत गिरने वाली है? जब कोई भावना डिप्रेशन या चिड़चिड़ेपन में जाने लगती है, तब अंतर्ज्ञान से ही हमें रुकना है और खुद से पूछना है कि हमारे जीवन में क्या गलत हो रहा है?
यदि आप अपने भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर करना चाहते हैं तो आपको अपने मनोभावों के पीछे छिपे अंतर्ज्ञान के संदेश को समझना होगा। पहले उस भावना को लिखें, फिर नाम दें और तब उस पर काररवाई करें। चलिए, डिप्रेशन को ही लेते हैं। पहले यह आपके दाएँ मस्तिष्क में प्रकट होता है। यह भावना तथा अंतर्ज्ञान का क्षेत्र है। हमें डिप्रेशन और चिड़चिड़ेपन की उस भावना को अपने दाएँ मस्तिष्क से, उसके सबसे शुद्ध और गहन रूप में लेना है और अपने बाएँ मस्तिष्क में भेजना है। अपने बाएँ मस्तिष्क से इसे बता सकते हैं, पता लगा सकते हैं कि उस भावना का कारण क्या है, और प्रभावी काररवाई तय कर सकते हैं। [adinserter block="1"]
उदाहरण के लिए, आप काम कर रहे हैं और अचानक आपको लगता है कि आप डिप्रेस्ड हो गए हैं। इससे पहले कि आप उस स्निकर बार तक पहुँचें या आपका सहकर्मी आपको फाइल दे और आप भड़क जाएँ, आप अपने आप को रोक लीजिए। उस मनोभाव के पीछे छिपे अंतर्ज्ञान के संदेश को समझें। यह डिप्रेशन को बढ़ने से और आपके मन व शरीर पर उसकी पकड़ बनाने से रोकेगा। आपके रुक जाने से, उसे क्या कहें, यह पता लगाने तथा उस पर प्रभावी काररवाई करने से, उस मनोभाव के जैव-रासायनिक विनाश से पहले ही आप उस उदासी और चिड़चिड़ेपन से अपने आप को मुक्त कर सकते हैं। डिप्रेशन में गोते लगाते रहने से ऐसा जैव-रासायनिक विनाश होता है, जो आपके शरीर के अनेक अंगों में लक्षणों के रूप में दिखेगा। हम यहाँ इसकी व्याख्या शुरू करेंगे और बाद में इसी अध्याय में आपको प्रत्येक जटिल भावना के विशेष रसायनों के बारे में सीखने का अवसर मिलेगा।
चलिए, उदाहरण के लिए, क्रोध पर नजर डालते हैं। क्रोध क्या है? आप घर पर किसी के जोर से दरवाजा बंद करते ही जब चीखने वाले होते हैं, या जब कोई हाइवे पर आपको आर-पार कर रोक देता है, तब जो भावना पैदा होती है, वह क्या होती है? यह क्रोध है। क्रोध इस तरह की महत्त्वपूर्ण भावना होती है। इसका मतलब है, किसी ने आपका अपमान किया या किसी ने आपको धमकी दी। अगली बार जब आप एयरपोर्ट पर या राशन की दुकान पर या कहीं भी कतार में हों तो अपने आप पर काबू रखिएगा। आप जब उतावला या चिड़चिड़ा महसूस करें, यहाँ तक कि चीखने की हद तक पहुँच जाएँ, तब ध्यान रखिएगा कि आप उस भावना को, क्रोध को रोक सकते हैं, इससे पहले कि क्रोध का जैव-रसायन मन व शरीर पर हावी होनेवाली स्वास्थ्य समस्या का रूप ले ले।
उस हताशा, चिड़चिड़ेपन, नाराजगी के बावजूद एक या दो सेकंड तक चुपचाप बैठे रहिए। मन-ही-मन सोचिए कि आप उसे अपने मस्तिष्क के दाएँ हिस्से से बाईं ओर भेज रहे हैं। उस भावना के पीछे अंतर्ज्ञान के संतोष का पता लगाएँ, किंतु उससे भी बेहतर यह पता लगाएँ कि किस विचार के कारण क्रोध का वह बटन आपके मस्तिष्क में अटक गया है। आम तौर पर इसके लिए सोच का तरीका—जैसे मैं सही हूँ, वे गलत हैं—जिम्मेदार होता है और इसी परिस्थिति को बदलना है। यह सही है कि उन्हें आपका रास्ता नहीं रोकना चाहिए, कतार में धक्का नहीं देना चाहिए। सच्चाई यही है कि ‘ऐसा, वैसा, यह नहीं, वह नहीं होना चाहिए’, जैसी सोच बस, आपके मन और शरीर में क्रोध को बढ़ाती है।
यह अध्याय आपको पागलपन के ऐसे पलों को बदलने में मदद करेगा, जो सामान्य जीवन के भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य का हिस्सा होते हैं।1 [adinserter block="1"]
मनोभाव चिकित्सकीय हो जाता है : दूरगामी भावनात्मक प्रभाव
उदासी या क्रोध जैसी नकारात्मक भावनाएँ आपके शरीर में लक्षणों का रूप कैसे ले लेती हैं? रसायनों के दूरगामी प्रभाव से मनोभाव एक बीमारी बन जाते हैं।
पहला : किसी बात पर आपको गुस्सा आ जाता है, चाहे बिल में काफी देर लग रही हो या कोई आपसे आगे निकल जाए या किसी बात पर आप दुःखी हो जाते हैं। शायद कोई प्यारा पालतू जीव मर जाए या आपको पता चले कि कोई दोस्त देश छोड़कर जा रहा है। कुछ भी हो सकता है; लेकिन आप इससे उबर नहीं पाते। आपको लगता है कि दिन बीतने के साथ ही आपका ‘मूड’ बिगड़ा ही रहता है या फिर आप ‘गम’ में डूबे हैं। दिन बीतते जाते हैं और बिगड़ा हुआ वह मूड या गम एक ऐसी तकलीफ बन जाता है, जिसे बयाँ नहीं किया जा सकता; लेकिन आगे जाकर वह उग्र लक्षण का रूप ले लेता है। ऐसी भावनाएँ, क्रोध, उदासी आपके दाएँ मस्तिष्क से आती हैं। वहाँ से विशुद्ध भावनाएँ आपके हाइपोथेलेमस (हाइपोथेलेमस हमारे मस्तिष्क का एक छोटा सा हिस्सा होता है, जो पिट्यूटरी ग्रंथि के पास अवस्थित होता है। यह हार्मोन्स के स्राव तथा शरीर के तापमान को नियमित बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।) तक जाती हैं।
बिल्कुल ठीक। हाँ, हाइपोथेलेमस वही क्षेत्र है, जहाँ हार्मोन्स रहते हैं, जो भूख और नींद को नियंत्रित करते हैं। यही कारण है कि जब आपका मूड खराब होता है और खराब मूड लंबे समय तक बना रहता है, तब यह आपकी नींद, आपके भोजन और आपके हार्मोन्स में खलल डालता है। फिर यह उदासी और क्रोध पीयूष ग्रंथि में जाता है। हार्मोन्स, भोजन तथा सोने से संबंधित परिवर्तन बढ़ जाते हैं और फिर आखिर में, जैसे-जैसे दिन और महीने गुजरते हैं, उस प्रकार के रासायनिक लक्षण मस्तिष्क के स्टेम से आपकी अधिवृक्क ग्रंथि तक जाते हैं, जो आपके पूरे शरीर में भावनाओं का संचार करती है।
दूसरा : आप जब हताश या अवसाद को महसूस करते हैं, तब आपका ब्रेन स्टेम एपिनेफ्रीन रिलीज करता है, जो एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जो आपको चोटिल और चिड़चिड़ा बना देता है। आपकी अधिवृक्क ग्रंथि भी ‘कॉर्टिसोल’ नाम का स्ट्रेस हार्मोन्स रिलीज करती है, जो आप में अधिक भूख पैदा करता है। यह अच्छी बात है।
तीसरा : वह स्ट्रेस हार्मोन्स कॉर्टिसोल प्रतिरक्षा प्रणाली की कुख्यात समस्याओं को शुरू कर देता है। पहले जो हताशा और उदासी थी, वह दूरगामी सड़ाँध या डिप्रेशन बन जाती है। ‘बॉडी’ डिप्रेशन की शुरुआत हो जाती है, जिसमें चिड़चिड़ापन, नींद लानेवाले और दर्द बढ़ानेवाले साइटोकिंस होते हैं। साइटोकिंस शरीर में हर तरफ सूजन पैदा कर देते हैं।
चौथा : ऐसे साइटोकिंस के कारण आपके सफेद रक्तकोष, आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली की कोशिकाएँ, प्रोटीन रिलीज करती हैं, जो आपको कमजोर, थका और दर्द से चूर महसूस कराती हैं। आपको लगता है जैसे आपको फ्लू, फीवर या गठिया है। [adinserter block="1"]
पाँचवाँ : साइटोकिंस आपके मूड के न्यूरोट्रांसमीटर को ‘खा’ जाते हैं, जिससे आप और डिप्रेस्ड हो जाते हैं। नोरेपिनेफ्रीन और सेरोटोनिन, जो आपके मूड को बेहतर बनाते हैं, में गिरावट आती है, जिससे आप और भी डिप्रेस्ड, अधिक क्रोधी और अधिक चिड़चिड़ा महसूस करते हैं।
छठा : कई महीने बाद आपका डिप्रेशन और गुस्सा आपके शरीर तथा अंग प्रणाली, विशेष रूप से आपके हृदय, आपके ब्लड प्रेशर तथा आपके ब्लड शुगर में अधिक ठोस हो जाता है। अगर आप अपने डॉक्टर से मिलें तो वह इस पर गौर करेगा या करेगी कि आपके ब्लड होमोसिस्टीन का लेवल बढ़ने लगा है, जो आपको इस बात से आगाह करेगा कि आपको हृदय रोग का खतरा है। आपका डिप्रेशन अब एक टूटे दिल के तौर पर आपके चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान को दर्ज कर रहा है।
सातवाँ : अब नोरेपिनेफ्रीन और सेरोटोनिन के न्यूरोट्रांसमीटरों में परिवर्तन से शरीर में दर्द और कहीं भी होनेवाला दर्द पैदा हो रहा है। पहले यह आपके सिर में, फिर आपकी पीठ में होगा। यह हर जगह महसूस होगा। आपको लगेगा कि आप अपने शरीर को ढो रहे हैं।
आठवाँ : दूरगामी उत्तेजना और डिप्रेशन आपको रात में भी परेशान करने लगेगा। आप सो नहीं पाते। दिन में आप जागे नहीं रह पाते।
नौवाँ : जब कई महीने बीत जाते हैं तो वे जैसे बुरे नहीं थे कि आपको लगने लगता है कि वजन बढ़ता जा रहा है या फिर आपका वजन कम होता है, जो आपके जीन पर निर्भर करता है। अगर आपका वजन बढ़ रहा है, तब आपको लगेगा कि आप ज्यादा कार्बोहाइड्रेट—पास्ता, चावल, मिठाई खा रहे हैं और इस कारण आपका वजन बढ़ता जा रहा है। आखिरकार आप सोने के लिए अधिक शराब पीने लगते हैं। ये दोनों ही अधिक खतरनाक स्वास्थ्य समस्याओं का एक कुचक्र शुरू कर देते हैं।
दसवाँ : जैसे-जैसे आपका वजन बढ़ता जाता है, आपका कोलेस्ट्रॉल बढ़ता जाता है, जिससे आपको हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
ग्यारहवाँ : आप अब भी मेरे साथ हैं? क्योंकि यह बेहद डिप्रेसिंग होता जा रहा है। अपना वजन बढ़ने के साथ ही आपको अधिक इंसुलिन और बढ़े ब्लड प्रेशर की समस्याएँ झेलनी पड़ती हैं। इनके साथ ही सूजन बढ़ जाती है और कोलेस्ट्रॉल आपकी रक्त वाहिकाओं में तैरने लगता है।
बारहवाँ : कोलेस्ट्रॉल के साथ ही डिप्रेशन फ्री रैडिकल कहे जानेवाले अणुओं को पैदा करता है, जो समय के साथ जंग की तरह आपकी याददाश्त के रास्तों को जाम कर देते हैं। आप गौर करते हैं कि मतलब समझने के लिए किसी पुस्तक के एक ही पन्ने को आपको बार-बार पढ़ना पड़ रहा है। आपको लगता है कि जो कुछ सेकंड पहले आपने कहा, वह आपको याद नहीं है। आपको लोगों के नाम याद नहीं रहते। क्या आप उसे याद कर रहे हैं, जो आपने अभी-अभी यहाँ पढ़ा है?
तेरहवाँ : ओमेगा-3 वसा-युक्त अम्ल कम होने लगते हैं और सूजन के साथ इसके मिल जाने से दशकों बाद आपके पागल होने की आशंका को भी बढ़ा देता है, जिसके बारे में सोचकर ही आप और अधिक डिप्रेस्ड हो जाते हैं। [adinserter block="1"]
इसलिए, आप जैसे-जैसे इस पुस्तक को पढ़ेंगे, आपको लगेगा कि जब आप किसी मूड के पीछे अंतर्ज्ञान के संदेश का पता लगाने में महारत हासिल कर लेते हैं, तब आपको सिर्फ असाध्य डिप्रेशन और चिड़चिड़ापन (इस अध्याय में) तथा चिंता (अध्याय-2) से ही राहत नहीं मिलेगी, बल्कि लत से बचने की बेहतर क्षमता (अध्याय-3), सीखने की बेहतर क्षमता (अध्याय-4) और जिसे सीखा था, उसे याद रखने तथा उम्र के बावजूद न भूलने (अध्याय-5) की क्षमता बढ़ जाती है। आपके पास अपने जीवन की सबसे बड़ी इच्छा तथा इस संसार में आध्यात्मिक क्षमता (अध्याय-6) को पूर्ण करने के लिए अधिक भावनात्मक नियंत्रण भी प्राप्त हो जाता है।
दुःख और क्रोध का मन-शरीर नेटवर्क
टी.वी. ऑन कीजिए। आपको डिप्रेशन पर अगर कुछ सुनने को मिलेगा तो वह होगी—दवा, दवा, दवा। आप को प्रोजैक मिलेगा, लेक्साप्रो मिलेगा, इसी तरह की अलग-अलग दवाएँ सुनने को मिलेंगी। क्या यही डिप्रेशन का इलाज है? क्या यह प्रोजैक की कमी है? वास्तव में, बिल्कुल भी नहीं। डिप्रेशन आपके मस्तिष्क और शरीर में उदासी के नेटवर्क में आनेवाली खराबी है।
उदासी के लिए मस्तिष्क-शरीर नेटवर्क क्या है? चलिए, पहले मस्तिष्क पर नजर डालते हैं। मस्तिष्क का सीमांत क्षेत्र, विशेष रूप से टेंपोरल लोब, भावना और अंतर्ज्ञान के लिए महत्त्वपूर्ण है। यह क्षेत्र हमारी भावनाओं तथा हमारे अंतर्ज्ञान को हमारे मस्तिष्क तथा शरीर की स्मृति के साथ जोड़ता है। [adinserter block="1"]
मूल रूप से हमारी पाँच भावनाएँ होती हैंक्रोध, उदासी, भय, प्रेम और खुशी। वास्तव में, डिप्रेशन में बहुत अधिक उदासी और क्रोध होता है तथा प्रेम और खुशी बहुत कम होती है। मैं कहना चाहूँगी कि प्रोजैक, जोलोफ्ट और लेक्साप्रो जैसी दवाएँ डिप्रेशन को सिर्फ कम करती हैं; क्योंकि वे एंटीडिप्रेसेंट होती हैं। उनसे प्रेम और खुशी नहीं मिलती। अभिकथनों, संज्ञानात्मक व्यवहार संबंधी थेरैपी और जीवन को अच्छी तरह जीने की बातें सीखकर आप प्रेम और खुशी पा सकते हैं।
मस्तिष्क का एक अन्य हिस्सा होता है—फ्रंटल लोब। कुछ लोग अपने जीवन में सदमा झेल चुके होते हैं। जब फ्रंटल लोब उस सदमे की तसवीर बार-बार उनके सामने ले आता है, तब उन्हें डिप्रेशन का सामना करना पड़ता है। उन्हें लगता है, वे बेकार हैं। कोई कभी उनसे प्रेम नहीं करेगा। सबकुछ निरर्थक है, या मैं सही हूँ, वे गलत हैं। चीजों को अलग होना चाहिए था। फ्रंटल लोब का एक दूसरा हिस्सा होता है, जो हमें इससे बाहर निकलने में मदद करता है, जब हम खुशी को महसूस करते हैं या फिर असाध्य रूप से डिप्रेस्ड हो जाते हैं, जब जड़ स्थिति में फँस जाते हैं।
क्रोध क्या है? क्रोध परिवर्तनकारी हार्मोन्स का पहला लक्षण हो सकता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और गाली-गलौज भरे संबंध या पुराने भयंकर उत्पीड़न की बात भी शामिल रहती है। वैज्ञानिक अब यह मानने लगे हैं कि क्रोध तथा डिप्रेशन की संरचना काफी हद तक समान और एक-दूसरे से मिलती-जुलती सी होती है।2
आपको जब क्रोध आता है, तब उसका मतलब क्या है? यह कि आप जो चाहते थे, वह आपको नहीं मिला। आपने जो उम्मीद लगाई थी, पूरी नहीं हुई। क्रोध निश्चित रूप से कनपटी के इलाके से संबंधित होता है; लेकिन इसका संबंध फ्रंटल लोब (ललाट पालि) से भी होता है, जो केंद्रीय अकंबंस, यानी इनाम का क्षेत्र होता है। यदि आप जो चाहते थे, वह नहीं मिला तो आप हताश हो जाते हैं और फिर यह क्रोध का रूप ले लेता है और यह लूप गोल-गोल घूमती चली जाती है। जैसा कि आप देख सकते हैं, मस्तिष्क में उदासी का नेटवर्क काफी हद तक क्रोध के नेटवर्क से मेल खाता है। यही कारण है कि इस अध्याय की शुरुआत में हमने कहा था कि हम कहते हैं, ‘मैं निराश हूँ’, ‘मैं हताश हूँ’, और ‘फिर मैं घबराया हुआ हूँ।’ जहाँ कहीं भी उदासी और क्रोध की शुरुआत होती है, वे दोनों घबराहट में तब्दील हो जाते हैं। [adinserter block="1"]
आपने सुना भी होगा कि डिप्रेशन ऐसा क्रोध है, जो अंदर की तरफ मुड़ जाता है। शायद आपने इसे किसी पॉप मनोविज्ञान की पुस्तक में देखा हो। वास्तव में, यह पॉप मनोविज्ञान नहीं है। इसकी चर्चा कैरेन हॉर्नी नाम के मनोविश्लेषक ने काफी पहले की थी। (वास्तव में, यह उनका अंतिम नाम है—मैंने जब पहली बार सुना था तो यकीन नहीं हुआ था।) कैरेन हॉर्नी डिप्रेशन को अंदर की तरफ मुड़नेवाला क्रोध, यानी अपने ऊपर क्रोध बताती हैं। इस तरह के डिप्रेशन के शिकार लोग ऐसे माहौल में पैदा होते हैं, जो अप्रत्याशित और भयावह होता है, जहाँ वे असहाय महसूस करते हैं। उस भयंकर माहौल में ढलने के लिए अपने आसपास के लोगों पर क्रोधित होने की बजाय वे अपने आप पर क्रोधित होते हैं। यह मानवता का एक विचित्र पहलू है कि हम ऐसा करते हैं; लेकिन ऐसा होता है, यह सोचने की बजाय कि ‘हे भगवान्! ये लोग पागल हैं। मैं इनके बीच क्यों हूँ? मैं इनसे कैसे प्रेम कर सकता हूँ?’ वे कहते हैं, ‘‘मुझे कोई प्यार नहीं करेगा। मैं बुरा व्यक्ति हूँ।’’ यातना से बचने के लिए, कष्ट से बचने के लिए वे शरमीले और दब्बू हो जाते हैं। यह पुरानी सोच कि ‘मैं ऐसा बन जाऊँगा कि तुम मुझे प्रेम करो और शायद कष्ट न पहुँचाओ’ अकसर कारगर नहीं होती है। अकसर यदि आप इस तरह के शोषण करनेवाले घरों में पैदा होते हैं, तब आप ‘प्यार किए जाने’ की कोशिश करते हैं। आप सभी के लिए कुछ-न-कुछ करते हैं और फिर जब वे आप से प्यार नहीं करते, आपको लगने लगता है कि आप किए जाने योग्य नहीं हैं, तो आप डिप्रेस्ड हो जाते हैं। इस प्रकार, एक तरीके से अंदर की तरफ मुड़े क्रोध से भी डिप्रेशन होता है। आखिर यह किसका क्रोध है? मैं फिर कहती हूँ, क्या यह क्रोध उन लोगों पर है, जिन्होंने आपका शोषण किया और आप इस कारण इसे व्यक्त नहीं करते, क्योंकि ऐसा करने से वे आपको चोट पहुँचा सकते थे या फिर उनके माहौल में रहने के कारण उनके गुस्से को अंदर-ही-अंदर पी जाते हैं? मैं कहूँगी कि ये दोनों ही बातें होती हैं; क्योंकि अब हम जानते हैं कि डिप्रेशन और क्रोध का संबंध सिर्फ आपकी भावनाओं से नहीं होता है, बल्कि उस माहौल के प्रति अंतर्ज्ञान से प्रतिक्रिया करने से भी होता है।
लक्षण का पता लगाने पर संक्षिप्त जानकारी
प्रशिक्षण के दौरान मेरा काफी समय एंटीडिप्रेसेंट के साथ-साथ साइकोथेरैपी से उदासी का इलाज करने में बीता। मैंने जब मनोरोग रेजिडेंसी की शुरुआत की, हमने लोगों की मनोदशा, चिंता तथा मन के अन्य रोगों का इलाज निम्नलिखित तरीके से किया—
1. हमने उनकी मनोदशा और स्वास्थ्य के बारे में उनकी समस्याएँ सुनीं।
2. हम देखते थे कि वे कैसे खाते, सोते और व्यवहार करते हैं। [adinserter block="1"]
3. मानो या न मानो, हमने लक्षणों को गिना और एक मैनुअल की नैदानिक श्रेणियों में दिए लक्षणों से मैच किया, जो मनोचिकित्सा की गाइड बुक है, जिसे डी.एस.एम.-IV कहते हैं।
कुछ लोगों को भारी डिप्रेशन था, कुछ को हलका डिप्रेशन था। कुछ लोगों को बाइपोलर I, बाइपोलर II था। यह सूची और भी लंबी थी। याद रहे, कोई स्कैन नहीं किया गया, न एक्स-रे या रक्त जाँच, जिससे बीमारी का पता लगाया जा सके, जैसा कि स्त्री रोग, कैंसर या अन्य इंटरनल मेडिसिन में किया जाता है। फिर यह सब इक्कीसवीं सदी में कैसे किया गया? हमने एक और पुस्तक निकाली, जिसमें नैदानिक लक्षणों के अलग नाम थे। यह पुस्तक है डी.एस.एम.-V.
’80 के दशक में हो सकता है कि आपको बताया गया हो कि आपको ADD है—मतलब अटेंशन डेफिसिट डिसऑर्डर। फिर ’90 के दशक में किसी ने एस्परगर्स के बारे में सोचा होगा। 2000 के दशक में वे कह सकते थे कि आपको बाइपोलर II है। वर्ष 2020 या 2030 तक, डायग्नोसिस किस तरह की होगी और किस तरह की दवा दी जाएगी? मस्तिष्क फिर भी वही है!
इस समय मानसिक रोगों की चिकित्सा इस पर आधारित है कि आप कितने निराश या कितने खुश या चिंतित हैं और भले ही हम यह देखते हैं कि मरीज कितना जल्दी क्रोध में आ जाते हैं, लेकिन अफसोस कि क्रोध की कोई डायग्नोसिस नहीं है; लेकिन मनोदशा में परिवर्तन को लेकर कई डायग्नोसिस हैं—बाइपोलर, बॉर्डरलाइन वगैरह-वगैरह। इतना कहना पर्याप्त होगा कि यह पुस्तक आज की तारीख में उपलब्ध हर विकल्प से आपको आपके मन को स्वस्थ करने में सहायता करती है। डायग्नोसिस जैसे लेबल पर जोर नहीं दिया जाने वाला, क्योंकि वे सदैव परिवर्तित होते रहते हैं। मस्तिष्क नहीं बदलता, लेबल और डायग्नोसिस भले बदल जाएँ।
डिप्रेशन, क्रोध और स्वयं से प्रेम करना
लुइस हे मनोदशा से जुड़ी समस्याओं के समाधान पर एक नजर डालती हैं। वे बताती हैं कि उदासी और डिप्रेशन तथा क्रोध को प्रेम एवं खुशी को शामिल कर कैसे दूर किया जा सकता है। इस पर विचार करने की बजाय कि हम-आप स्वयं से प्रेम क्यों नहीं करते, चाहे इस कारण; क्योंकि किसी ने आपको चोट पहुँचाई या आप ऐसे माहौल में थे, जो घृणा से भरा था, वह आप से इतना ही कहती हैं कि आप जैसे हैं, उसी में स्वयं से प्रेम कीजिए। वे कहती हैं कि आप जहाँ हैं, वहीं स्वयं से प्रेम कीजिए। लुइस जब स्वयं से प्रेम करने को कहती हैं तो वे आपकी कमर के साइज या आपके कूल्हे या आपके बालों के रंग से जुड़ी बात नहीं है। वह प्रेम नहीं, अभिमान की बात है और वे कहती हैं कि यह भय की बात है। लुइस कह रही हैं कि हम में से हर एक अद्भुत चमत्कार है और हम उसका ही सम्मान करें और उसे सँजोकर रखें। हम जब स्वयं से प्रेम करते हैं, तब हम देवत्व से प्रेम करते हैं, जो जीवन की शानदार अभिव्यक्तियाँ हैं। हम जब स्वयं से प्रेम करते हैं, तब हम जानते हैं कि संसार के साथ तालमेल बिठा रहे हैं और इस जीवन में बसा प्रेम उमड़ पड़ता है। लुइस ने देखा है कि क्रोध और उदासी अभिन्न हैं और ऐसे लोग, जो मनोविज्ञान को वस्तु संबंधों का नाम देते थे, वे भी उनसे सहमत हैं।3 यह आश्चर्यजनक है, क्योंकि लुइस ने कभी पी-एच.डी. या दूसरों की तरह साइक रेजिडेंसी नहीं की। [adinserter block="1"]
आखिर हमें स्वयं से प्रेम करने में कठिनाई क्या है? चलिए, पहले यह पूछते हैं कि हम अपने आप से प्रेम करना कैसे सीखते हैं? आप जब जन्म लेते हैं, तब आप देखते हैं कि आपको जन्म किसने दिया। आप उन्हें देखते हैं, फिर वे आपको देखते हैं और आप सोचते हैं, यही प्रेम है। आप उसी लिम्बिक, अपने मस्तिष्क के फ्रंटल लोब नेटवर्क में बसा लेते हैं। दुर्भाग्य से, यदि वह व्यक्ति सबसे प्रिय व्यक्ति नहीं है तो आप यह मान लेते हैं कि शायद आप सबसे प्रिय नहीं हैं और आपके मस्तिष्क में एक गड़बड़ी पैदा हो जाती है। दुर्भाग्य से, वह गड़बड़ी आपके फ्रंटल लोब में ऐसे विचारों की शैली का रूप ले लेती है, जो बढ़ती चली जाती है—मैं प्रिय नहीं हूँ, मैं इच्छित नहीं हूँ। कोई मुझसे प्रेम नहीं करेगा। इस प्रकार आपके मस्तिष्क में यह छोटी सी अपूर्णता घुस जाती है, जो आपके मस्तिष्क व शरीर से जुड़ जाती है और वही आपकी आत्म-छवि बन जाती है, जो आपके भावनात्मक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।
क्या आपके साथ ऐसा ही हुआ है? क्या आपका पूरा जीवन उसी अंदर बन चुकी छवि से परिभाषित है? नहीं, ऐसा नहीं है। कुछ ‘सिद्धांत प्रतिपादक’ ऐसे हैं, जो कहते हैं कि आपकी आत्म-छवि स्थिर होती है। यह सही नहीं है। आप अपना प्रोफाइल बदलते हैं। कॉन्फिडेंस कोड जैसी पुस्तकें अपने सारे अलग-अलग पहलुओं में आपके आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास को लेकर दिलचस्प जानकारी उपलब्ध कराती हैं।4 चाहे यह अभिकथनों, संज्ञानात्मक व्यवहार थेरैपी या अन्य रणनीतियों से हो, आप सदैव अपने मन व शरीर के स्मृति-कोष में अपनी मनोदशा को बदलकर उस भ्रष्ट हो चुकी फाइल को ठीक कर सकते हैं, जिसमें व्यायाम से अपनी ताकत की भावना को बढ़ा सकते हैं, आध्यात्मिकता का सहारा ले सकते हैं। आप जिसे मनोदशा कहते हैं, उस उच्च शक्ति से जुड़ सकते हैं। उसे आप चाहे कुछ भी कहें, लेकिन उसे बदल सकते हैं। आप स्वयं से प्रेम कर सकते हैं। यदि अपनी मनोदशा को चंगा करना चाहते हैं तो आप किसी थेरैपिस्ट की मदद लेकर अपने शुरुआती जीवन की क्षति और क्षोभ को दूर कर सकते हैं।
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डिप्रेशन और क्रोध
काश, मेरे पास हर उस व्यक्ति को देने के लिए एक डॉलर होता, जो मेरे पास चिकित्सकीय अंतर्ज्ञान के अध्ययन के लिए आता और जिसे डिप्रेशन तथा क्रोध के मन-शरीर नेटवर्क की बीमारी होती, लेकिन कहता कि वह डिप्रेस्ड, क्रोध में या नाखुश नहीं है। इस तरह के लोगों में माइंड डिप्रेशन नहीं होता। उनमें बॉडी डिप्रेशन होता है। बॉडी डिप्रेशन क्या है? लोगों को उदासी और क्रोध का अनुभव होता है और वे उस भावना को लेकर बात कर सकते हैं, फिर भी ऐसा नहीं करते। वे थके होने के लिहाज से बात करते हैं। वे अपने सीने पर एक बोझ महसूस करते हैं, जिसके चलते साँस नहीं ले पाते। उनके पैर काँपते हैं। वे सो नहीं पाते। वे सोकर भी नहीं सो नहीं पाते। उनके शरीर की मांसपेशियाँ अकड़ जाती हैं। उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, कोलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। उन्हें अल्सर हो जाता है, वगैरह-वगैरह। यह कैसे हो सकता है? ये लोग उस तबाही के कारण होनेवाले न्यूरोकेमिकल प्रभावों के लक्षणों को बताते हैं। साइटोकिंस ने जब सूजन की स्थिति पैदा कर दी, तब संभव है कि उस व्यक्ति को डिप्रेशन और क्रोध के कारण उस तबाही से जुड़ी पूरी नहीं, सिर्फ आधी समस्या का अनुभव होता है। डिप्रेशन और क्रोध के न्यूरोट्रांसमीटरों ने लक्षणों की जमीन तैयार कर दी है, जो मस्तिष्क की तुलना में शरीर में अधिक प्रभावी होते हैं। याद रखिए, यदि हम उदासी या क्रोध जैसी भावना को व्यक्त नहीं करते, यदि हम उसे अपने दाएँ मस्तिष्क से बाएँ मस्तिष्क में ले जाते हैं और उस पर काररवाई नहीं करते तो यह हमारे शरीर में भी चला जाएगा।
चिकित्सा अंतर्ज्ञान असल में वह प्रणाली है, जो मन की समस्याओं के कारण सामने आनेवाली शरीर की समस्याओं को दूर करने में लोगों की मदद करती है। जब भी हमारे जीवन में ऐसी भावना पैदा होती है, जिससे हम निपट नहीं पाते, तब हमारा शरीर हमें किसी खास क्षेत्र में लक्षणों के जरिए उसे बता देता है। इसलिए, उदाहरण के तौर पर, हम उन सात में से किसी भी एक केंद्र में समस्याओं को देख सकते हैं, जिनकी चर्चा हमने पहले की है—
• यदि आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली, खून, त्वचा, मांसपेशियों और जोड़ों या एनीमिया या मोनोन्यूकिलोयोसिस के पहले केंद्र में समस्या है, तब आप स्वयं से पूछिए, ‘‘मैंने परिवार में क्या या किसे खो दिया है?’’
• यदि दूसरे केंद्र श्रोणि क्षेत्र में लक्षण सामने आते हैं, जो आपके शरीर का संबंध से जुड़ा क्षेत्र है, जैसे पी.एम.एस., योनिशोथ आदि, तब आप स्वयं से पूछिए, ‘‘क्या संबंध या पैसे से जुड़ा मेरा कोई नुकसान, उदासी या क्रोध है?’’
• यदि आपके तीसरे केंद्र में लक्षण हैं, जो शरीर का मध्य भाग है—जैसे, मधुमेह या एलर्जी—तो खुद से पूछिए, ‘‘क्या आत्म-सम्मान या कार्य को लेकर मेरे अंदर उदासी है?’’
• आपको चौथे केंद्र हृदय, स्तन तथा फेफड़े में समस्या है तो उसका संबंध साथी या बच्चों से जुड़े शोक से हो सकता है।
• पाँचवें केंद्र में हाइपोथायरॉयडिज्म की समस्या दरकिनार किए जाने से उत्पन्न क्रोध के कारण हो सकती है।
• छठे केंद्र में मोतियाबिंद का कारण सामने की खुशी को देख न पाना हो सकता है।
• सातवें केंद्र में वह क्रोध या दुःख या लंबे समय से बना असंतोष आप में कैंसर के खतरे को बढ़ा सकता है।
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दवा से शरीर के डिप्रेशन और क्रोध का इलाज
पूरी दुनिया से लोग बतौर चिकित्सा अंतर्ज्ञान के तहत अपने मस्तिष्क और शरीर की समस्याओं को लेकर मेरे पास आते हैं। शारीरिक समस्याओं में मददगार अनेक पोषाहार, हर्ब तथा दवाइयाँ भावनात्मक समस्याओं में भी सहायक हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, मनःस्थिति को अच्छा बनानेवाली दवाएँ, जैसे—प्रोजैक, जोलॉफ्ट या 5-एच.टी.पी. या एस.ए.एम. प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ियों को दूर कर सकती हैं। ऐसा क्यों? क्योंकि वे उन प्रतिरक्षा मध्यस्थों को प्रभावित करते हैं। हाँ, वही प्रतिरक्षा मध्यस्थ, जो उन तबाही के प्रभाव का हिस्सा है, जिनके बारे में हमने पहले जाना। वैज्ञानिकों को अब ऐसा लगता है कि न्यूरोमॉडुलेटर, साइटोकिंस अनेक प्रकार की बीमारियों में प्रभाव दिखाते हैं, चाहे वह लिम, लुपस, असाध्य थकान, फाइब्रोमायल्जिया या संधिशोथ हो। इसलिए चाहे आपके साथ डिप्रेशन हो, हताशा या उनके जैसी कोई भी बीमारी, सप्लिमेंट और दवाएँ भी वैसी ही हो सकती हैं। यदि मैं किसी को बताती हूँ कि वे गठिया के लिए रोडियोला ले सकते हैं, तो वे कहेंगे, ‘‘मैं जानता हूँ, रोडियोला किस के लिए है। यह डिप्रेशन के लिए होता है। आपको लगता है कि मैं डिप्रेस्ड और चिंतित हूँ।’’ और मैं कहती हूँ, ‘‘नहीं, मैं आपको बस, इतना कह रही हूँ कि रोडियोला सेरेटोनिन में मदद करता है, लेकिन यह कॉर्टिसोल में भी मददगार है और आपको कॉर्टिसोल की समस्या है।’’ और अकसर वह व्यक्ति कहता है, ‘‘ओके।’’5
ऑल इज वेल क्लीनिक
इस अध्याय का शेष हिस्सा ऑल इज वेल क्लीनिक के प्रति समर्पित है, जहाँ आपको अपने डिप्रेशन, क्रोध तथा मनोदशा की अस्थिरता का इलाज करने का वास्तविक अनुभव होता है।
I. मन-शरीर का डिप्रेशन और क्रोध
इस बात की संभावना है कि अपने जीवन के किसी-न-किसी मोड़ पर हम सभी ने इसका अनुभव किया है; लेकिन क्या इस समय हमारा मस्तिष्क और शरीर डिप्रेशन तथा क्रोध से भरे माहौल में झूल रहा है? नीचे की सूची को देखें और बताएँ कि इनमें से कितनी बातें आपके जीवन पर इस समय लागू होती हैं। आप जब ऐसा कर रहे होंगे, तब आप अपने ऊपर अंतर्ज्ञान अध्ययन कर रहे होंगे।
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मन के लक्षण
• आपको दुःख, दर्द, शोक, अकेलेपन, गुस्से, कड़वाहट, कुंठा या चिड़चिड़ापन महसूस हो रहा है।
• इस तरह की भावनाएँ किसी प्रिय के चले जाने से महसूस हो रही हैं।
• आप जिसकी परवाह करते थे, उसने आपका अपमान किया।
• इस तरह की चिंता का भाव तब पैदा होता है, जब आपने नौकरी या कॅरियर में जिसके लिए काम किया, वह आपको नहीं मिला।
• अंतर्ज्ञान से आप किसी और के डिप्रेशन या उदासी से जुड़ गए हैं।
• आपको लगता है कि जीवन निराशाजनक है।
• आप बेकार महसूस करते हैं।
• आप अपने आसपास हो रही गलत चीजों को जिम्मेदार ठहराते हैं।
• आपको लगता है कि आपके साथ सही व्यवहार नहीं हो रहा है।
• आपको लगता है कि जीवन अलग होना चाहिए।
• आप अपने जीवन को समाप्त करना चाहते हैं।
• आप चाहते हैं कि किसी और का जीवन समाप्त हो जाए।
शरीर के लक्षण
• आप थकान व दर्द महसूस करते हैं। आपको बार-बार इन्फेक्शन होता है।
• आप शरीर को बिस्तर से बाहर नहीं ला पाते। आप सोते ही चले जाते हैं।
• आपको न तो नींद आती है, न ही आप लगातार सो पाते हैं।
• आप जब चलते हैं, तब धीरे-धीरे चलते हैं और अपने कदम को बदलते रहते हैं।
• आपके पैर कमजोर लगते हैं और शरीर की मुद्रा डगमगाई-सी लगती है।
• आपके दाँत और हाथ कस जाते हैं।
• आपका चेहरा लाल और गरम हो जाता है।
• आप दरवाजे पटकने और चीजों को फेंकने लगते हैं।
• आपके हार्मोन में उतार-चढ़ाव आता रहता है। यदि आप स्त्री हैं तो आपके मासिक धर्म या रजोनिवृत्ति के दूसरे हिस्से के दौरान आपकी भावनाएँ बदतर हो जाती हैं।
• यदि आप 50 साल से अधिक के पुरुष हैं तो आप थकान और ऊर्जा की कमी महसूस करते हैं। आपको सेक्स की इच्छा नहीं होती।
• आप या तो सबकुछ खाना चाहते हैं या कुछ भी नहीं खाना चाहते। आपकी भूख मर जाती है।
• आपके पेट में खालीपन का एहसास होता है।
• आप बहुत ज्यादा शराब पीना चाहते हैं।
• आप ऐसी चीजों पर बहुत पैसा खर्च करना चाहते हैं, जो आम तौर पर नहीं करते।
• आपको अपने सीने में चुभने जैसा एहसास होता है।
• आपका ब्लड प्रेशर घटता-बढ़ता है।
• आपका दम घुटता है।
• आपको लगता है, जैसे गले में कुछ अटक गया है।
• आपको कुछ भी याद नहीं रहता है। आप ध्यान नहीं लगा पाते या किसी ऐसी चीज पर ध्यान लगाते हैं, जो आपको चिंताग्रस्त और बोझिल बना देता है।
अगर आपके साथ ऐसा है तो मेरे साथ ऑल इज वेल क्लीनिक में चलिए, जहाँ आपको अनेक प्रकार के समाधान मिलेंगे, जिनका इस्तेमाल आप अपनी हीलिंग टीम के साथ कर सकते हैं। इससे पहले कि हम आपकी समस्या पर आएँ, फेलीसिया की कहानी सुनिए।
फेलीसिया : धीमी गति से बढ़ता डिप्रेशन
फेलीसिया क्लीनिक पर आई, क्योंकि उसके मुताबिक उसे ‘बकवास’ जैसा अनुभव हो रहा था। दुर्भाग्य से, उसके नाम का मतलब है—‘खुशी’।
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अंतर्ज्ञान अध्ययन
मैंने फेलीसिया को देखा। उसका परिवार उससे प्रेम करता था। कोई तकलीफ नहीं, न ही त्रासदी। हालाँकि मुझे फेलीसिया के जीवन में कोई उत्साह या उद्देश्य नजर नहीं आया। ऐसा लगा, जैसे उसके घर की रोशनी कम हो गई थी। उसका मस्तिष्क ऐसा था, मानो वह ध्यान नहीं लगा पा रही हो। उसके अंदर ‘चलो कुछ कर दिखाते हैं’, वाली बात नहीं थी, इसलिए मुझे नहीं लग रहा था कि वह कॅरियर में दिलचस्पी ले रही है। उसे न कोई शौक था, न घर से बाहर निकलने या दोस्त बनाने की इच्छा थी। हालाँकि फेलीसिया के आसपास के लोग सक्रिय और नाटकीय थे और इस कारण ही वह हताश थी। उसे लगता था कि जीवन उसके साथ गलत कर रहा है, क्योंकि दूसरे लोगों को जो खुशी मिल रही थी, उसे वह हासिल नहीं कर पा रही थी।
शरीर
मैंने फेलीसिया के शारीरिक स्वास्थ्य को लेकर अंतर्ज्ञान का अध्ययन किया। मैंने देखा कि उसके मस्तिष्क में ‘बैटरी तरल पदार्थ’ का अभाव है। क्या एंटीबॉडी उसके थायरॉइड के खिलाफ थी? वह उदास व निराश दिखती थी। क्या असाध्य प्रतिरक्षा प्रणाली की समस्या उसके जोड़ों को नुकसान पहुँचा रही थी? ऐसा लगा जैसे उसके कंठ के पीछे एक असाध्य स्राव की समस्या थी। मैंने देखा कि उसके दाँत कसे हुए थे और उसके जबड़े व गरदन की मांसपेशियाँ कसी हुई हैं।
सच्चाई
फेलीसिया ने मुझे बताया कि जीवन भर उसे डिप्रेशन और निराशा की समस्या रही है। डॉक्टरों ने इसे मनस्ताप या लगातार रहनेवाला डिप्रेसिव डिसऑर्डर बताया। वह चाहे कुछ भी कर ले, वह इस फाँस से निकल नहीं पा रही थी। चाहे कोई भी भोजन या पोषाहार या दवा क्यों न ले, फेलीसिया ‘अनडिप्रेस्ड’ नहीं हो पाती थी, न ही अपनी खिन्नता से निकल पाती थी। चाहे वह किसी के साथ भी क्यों न हो या कुछ भी कर ले, उसे ऊर्जा की कमी का ही एहसास होता था। उसे लगा कि वह एक घिसटते लंगर के समान थी। वह अपने आसपास के दूसरे लोगों जितनी खुश क्यों नहीं हो पाती थी?
डॉक्टरों ने फेलीसिया को बताया कि उसे असाध्य थकान हो सकती है। इसलिए उसने सारे इलाज कराए। कोई फायदा नहीं हुआ। दूसरे डॉक्टरों ने कहा कि उसे एड्रिनल फटीग है। उसने कॉर्टिसोल, प्रतिरक्षा की गड़बड़ियों के लिए सारे पोषाहार लिये, फिर भी उसका डिप्रेशन नल से टपकती बूँद की तरह बना रहा। दुःख, दुःख, दुःख।
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समाधान
क्या आप उदासी और हताशा से जूझ रहे हैं? क्या खुशी आपको अपनी पहुँच से दूर लगती है? यदि आप लगातार उदासी और कम ऊर्जा से परेशान हैं तो इससे आपके सामने अनेक प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ खड़ी हो जाएँगी, जैसे प्रतिरक्षा प्रणाली की गड़बड़ियाँ, दर्द तथा एड्रीनल और थायरॉइड के असंतुलन उनमें से कुछ एक हैं। यदि आप फेलीसिया की तरह ही सिर्फ शरीर का इलाज करेंगे, न कि मनोदशा का तो स्वस्थ नहीं हो सकेंगे। यदि आप सिर्फ मनोदशा, डिप्रेशन और चिड़चिड़ेपन का इलाज करेंगे, तब भी आप शरीर के लक्षणों से जूझते रहेंगे। ऐसा क्यों? इसलिए कि मस्तिष्क व शरीर के डिप्रेशन और क्रोध का इलाज करने के लिए आपको संपूर्ण इलाज की जरूरत है। उदासी और क्रोध मस्तिष्क व शरीर में एक साथ उत्पन्न होते हैं। इस प्रकार की भावनाएँ छोटी सी समस्या के रूप में होती हैं, जो बनी रहीं तो आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली में प्रदाह उत्पन्न कर देंगी। डिप्रेशन तथा क्रोध के मस्तिष्क-शरीर प्रदाह से ऊष्मा, दर्द एवं लालिमा पैदा होती है, जो आपके जोड़ों में दर्द का रूप ले सकती है। आपके साथ ध्यान, एकाग्रता और ब्रेन फॉग की समस्या भी हो सकती है।
आखिर हम यह पता कैसे लगाएँ कि मस्तिष्क-शरीर मनोदशा की समस्या है? डिप्रेशन अनेक प्रकार के प्रदाह संबंधी रोगों का कारण होता है। शरीर में प्रदाह के अनेक लक्षण डिप्रेशन में भी दिखते हैं। इसलिए हम सिर्फ आपके मस्तिष्क की देखभाल पर गौर नहीं करते, बल्कि आपके शरीर का भी खयाल रखते हैं। उदासी और हताशा तथा मस्तिष्क और शरीर में प्रदाह को दूर करने के लिए सप्लीमेंट्स, दवाओं एवं अभिकथनों का प्रयोग आपके अंदर जीवन की खुशियों का लुत्फ पूरी तरह से उठाने की क्षमता पैदा करता है। यही नहीं, आपकी मनोदशा का इलाज कर हम आपके शरीर में प्रदाह का इलाज भी करते हैं। वास्तव में, अनेक एंटीडिप्रेसेंट प्रदाह को कम करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए जाने जाते हैं।
थेरैपी कितनी कारगर है, इस स्थिति में थेरैपी का इस्तेमाल कहाँ किया जा सकता है? मनस्ताप या उस लंबे व धीमे डिप्रेशन, चिड़चिड़ेपन तथा क्रोध से पीड़ित व्यक्तियों के लिए संज्ञानात्मक व्यवहारवादी रोगोपचार सबसे सहायक सिद्ध होता है। संज्ञानात्मक व्यवहारवादी रोगोपचार क्या है? कुछ नहीं, बस, संज्ञानात्मक विचारों पर गौर करना और पता लगाना कि उनका व्यवहार पर कैसा असर होता है। संज्ञानात्मक व्यवहारवादी रोगोपचार के एक विश्वस्त काउंसलर के साथ हम विचारों की इन परिपाटियों को नाम देना सीखते हैं, जो ‘पीछे धकेलते’ हैं, जो मनोदशा को बिगाड़ते हैं और हम उन कार्यों की पहचान करते हैं, जो हमारे डिप्रेशन को समान रूप से बदतर बनाते हैं। क्या यह अभिकथनों जैसा लग रहा है? हाँ, आप सही हैं। लुइस हे की रचना में कई अभिकथन किसी नकारात्मक सोच के तरीके की पहचान करते हैं और उस अवसादग्रस्त विचार को अधिक सकारात्मक, प्रिय, प्रसन्नता देनेवाले, विश्वास दिलानेवाले विचार से बदल देते हैं।
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दवाइयाँ
इनके अलावा, कई लोग, जिनकी हम सहायता करते हैं, उनकी मनोदशा को पोषाहार, हर्ब या कुछ मामलों में जीवन-रक्षक दवाओं की भी जरूरत पड़ती है। अपने परामर्शदाता के साथ बैठकर सिर्फ आप तय कर सकते हैं कि आपके लिए सही क्या है। यह अकेले करनेवाली चीज नहीं है। जब आप पर किसी शिशु की जिम्मेदारी होती है, तब आप उसका पालन मिलकर करते हैं। आप जब अपने मन और शरीर को नया जन्म देना चाहते हैं, तब बेहतर होगा कि उसे साझेदारी में करें। इसलिए, किसी अच्छे पेशेवर के साथ यह देखें कि किस तरह के पोषाहार, हर्ब या ऐसे हार्मोन और दवाइयों की जरूरत है, जो आपके मन के ताने-बाने को फिर से ठीक करने का काम कर सकते हैं।
इस समय कोई भी नहीं जानता कि किस प्रकार की दवाइयाँ और सप्लीमेंट्स इस प्रकार के मनस्ताप या निरंतर अवसादग्रस्तता के रोग में फायदेमंद साबित हो सकते हैं। हालाँकि बतौर मरीज आपके और आपका इलाज करनेवाले के बीच एक गहन बातचीत होती है। इसलिए अकेले मत रहिए, मदद माँगिए। आपके और आपके इलाजकर्ता के बीच बातचीत से एक प्रकार की दवा पैदा होती है, जो आपकी मनोदशा को बेहतर बनाएगी। इलाज के इस अणु का ‘स्वस्थ करनेवाला प्रभाव’ सिर्फ आपके मस्तिष्क में नहीं होता; यह आपके शरीर में भी होता है। वह दवा, जो लोगों के बीच समानुभूति के ‘गोंद’ की तरह काम करती है, आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में प्रदाह को भी प्रभावित करती है। इसलिए उठ खड़े हो जाइए और फोन घुमा दीजिए। स्वस्थ होने के लिए पहला संपर्क कर लीजिए।
यदि आपका डिप्रेशन आपको लकवाग्रस्त कर रहा है, प्राणघातक बन गया है तो अपने मन से दवा को ‘न’ मत कहिए। हाँ, आपको लगेगा कि दवा सही चीज नहीं है। शायद आप प्राकृतिक तरीका अपनाना चाहते हों; लेकिन दवाओं को पूरी तरह से नकार देने से पहले ठहरिए, सोचिए। डायबिटीज में कई लोगों का अग्न्याशय इंसुलिन बनाना बंद कर देता है, जो एक महत्त्वपूर्ण हार्मोन है, या आप कहें तो न्यूरोट्रांसमीटर है, जो मन और शरीर के तालमेल के लिए जरूरी होता है। इसी प्रकार, हमारे ब्रेन स्टेम हमारी मनोदशा के लिए न्यूरोट्रांसमीटर्स बना लेते हैं और कुछ लोगों में उनके मस्तिष्क के स्टेम किसी भी कारण से ऐसे न्यूरोट्रांसमीटर बनाना बंद कर देते हैं। आप नहीं सोच पाएँगे कि किसी डायबिटिक के लिए इंसुलिन लेना गैर-आध्यात्मिक भी हो सकता है। सोच सकते हैं? यह समझना जरूरी है कि हम सभी को एक विकल्प चुनना पड़ता है, चाहे आज चुनें या आगे जाकर। [adinserter block="1"]
इसलिए जब दवा की बात आती है तो आपके विकल्प क्या हैं? उनमें प्रोजैक, जोलॉफ्ट, पेक्सिल, लेक्साप्रो तथा अन्य एंटीडिप्रेसेंट्स भी हैं, जिन्हें ट्राइसाइक्लिक एंटीडिप्रेसेंट्स कहते हैं। दूसरी तरफ, ढेर सारे नए एंटीडिप्रेसेंट्स भी हैं, जो उन ट्रांसमीटर्स पर चोट करते हैं, जिनके बारे में मैंने ब्रेन स्टेम में बात की है। सेरोटोनिन और नोरेपिनेफ्रिन पर इफेक्सर, सिंबाल्टा तथा अन्य प्रभाव डालते हैं। इनमें से कई दवाइयाँ शरीर के डिप्रेशन, शरीर के प्रदाह पर भी कार्य करती हैं। किसी को सिंबाल्टा असाध्य थकान से जूझ रहे लोगों के जोड़ों में सूजन पर कारगर होता है; दूसरी तरफ नई दवाइयाँ हैं, जिनके बारे में आप सुनने वाले हैं, जैसे—एबिल्फी वगैरह, जो डोपामाइन और सेरोटोनिन के क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। वे चिंता और डिप्रेशन के असामान्य मेल के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। आखिरकार, ऐसी विरले ही इस्तेमाल की जानेवाली दवाएँ हैं; लेकिन वे काफी कारगर हैं, जिन्हें एम.ए.ओ. अवरोधक (मोनोमाइन ऑक्सीडेंस अवरोधक, जैसे नारडिल या पारनेट) कहा जाता है। ये लंबे समय के डिप्रेशन का इलाज करने के लिए काफी बेहतर होते हैं, लेकिन उनके साथ स्पेशल डाइट लेनी पड़ती है।
पर शायद आप दवाओं के लिए तैयार नहीं। यह बात आपको अपने डॉक्टर या चिकित्सक या परामर्शदाता अथवा नर्स को बता देनी चाहिए। आपके पास कई विकल्प हैं—
• खाली पेट SAMe, 400 मिलीग्राम प्रतिदिन ले सकते हैं, या 5-HTP या रोडियोला 100 मिलीग्राम दिन में एक से तीन बार; लेकिन आपको यह पता कर लेना होगा कि कहीं आपको बाइपोलर रोग तो नहीं है। यह अपने डॉक्टर से पूछिए।
• मल्टीविटामिन्स : B6 और B12 सेरोटोनिन बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। L-मिथाइलफोलेट 60 दिनों तक 15 मिलीग्राम भी डिप्रेशन से ग्रस्त लोगों को राहत देता है।6
• जेनेटिक टेस्टिंग : कुछ दिनों से जेनेटिक टेस्टिंग के प्रति एक अभियान चल रहा है, जिससे यह पता लगाया जाता है कि आपके लिए कौन सी दवा या पोषाहार सर्वोत्तम हो सकता है। चाहे यह आपके एंजाइम प्रोफाइल का पता लगाता है, आपके MAO(A) सबटाइप का या कुछ और का; लेकिन लोग अपने जीन्स का टेस्ट कराने के लिए दौड़ पड़े हैं, खासकर जब शुरुआती इलाज से उनकी मनोदशा की समस्या दूर नहीं हुई। हाँ, हमारा स्वास्थ्य कुछ हद तक जीन से तय हो सकता है, लेकिन अनेक ‘एपिजेनेटिक’ प्रभाव, जीवन के अनुभव हो सकते हैं, जो यह तय कर सकते हैं कि हमारे जीन्स मायने रखते भी हैं या नहीं। चिकित्सा में हम लोगों का इलाज करना सीखते हैं, ‘नंबर’ नहीं सीखते। इसलिए यह मानकर मत बैठ जाइए कि लंबा-चौड़ा ब्लड टेस्ट कराने से आपकी समस्या दूर हो जाएगी। आँकड़ों के लिहाज से, वे जितने टेस्ट करेंगे, उतनी ही आशंका होगी कि उनसे एक गलत नतीजा सामने आए, जो किसी दिक्कत को बताएगा, चाहे वह प्रासंगिक हो या नहीं। [adinserter block="1"]
आपका ब्रेन फॉग है, एकाग्रता की कमी है? मनोदशा के लिए कारगर अनेक सप्लीमेंट्स इसमें भी फायदा पहुँचाते हैं—
• जिंकगो बिलोबा 240 मिलीग्राम हमें ध्यान और एकाग्रता बढ़ाने में मदद देता है। सावधान! अपने डॉक्टर से पता करें कि खून पतला करने के प्रभाव के कारण क्या यह सुरक्षित है या नहीं।
• साइबेरियाई जिनसेंग : कॉर्टिसोल, एड्रीनल तथा थकान के साथ ही ध्यान और एकाग्रता की समस्याओं के लिए।
• चॉकलेट में फिनाइलेथिलालानिन (पी.ई.ए.) होता है। यह प्रेरणा और ऊर्जा को बढ़ाता है, क्योंकि यह डोपामाइन में इजाफा करता है।
डिप्रेशन के अन्य इलाज
मनोदशा को प्रभावित करनेवाले न्यूरोट्रांसमीटर्स में दूरगामी परिवर्तन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी प्रभावित कर सकते हैं। शरीर के उस प्रदाह में एक्यूपंक्चर तथा चीनी हर्ब से भी फायदा मिल सकता है। इसलिए, यदि फेलीसिया की तरह आपको भी शरीर के डिप्रेशन की समस्या है—चाहे असाध्य थकान, दर्द या अन्य लक्षण—तो किसी एक्यूपंक्चरिस्ट या चीनी हर्बलिस्ट के पास जाएँ तथा अपने प्लीहा, पेट और किडनी मेरीडियन का इलाज कराएँ। आप अपने एक्यूपंक्चर विशेषज्ञ से ओएस ड्रेकोनिस जैसा हर्ब देने के लिए भी कह सकते हैं, जिससे डिप्रेशन से राहत के साथ ही शरीर के दर्द और अनिद्रा से राहत मिलती है।
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Q. हील योर माइंड / Heal Your Mind किताब के लेखक कौन है?
Answer.   लुईस हेई / Louise L Hay  
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