घर-वापसी | Ghar Wapasi Novel PDF Download Free by Ajeet Bharti

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पुस्तक का विवरण (Description of Book घर-वापसी | Ghar Wapasi PDF Download) :-

नाम : घर-वापसी | Ghar Wapasi Book PDF Download
लेखक :
आकार : 1 MB
कुल पृष्ठ : 107
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel
भाषा : हिंदी | Hindi
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[adinserter block=”1″] घर-वापसी’ उन विस्थापित लोगों की कहानी है जो बेहतर भविष्य के लक्ष्य का पीछा करते हुए, अपने समाज से दूर होने के बावजूद, वहाँ से पूरी तरह निकल नहीं पाते। यह कहानी बिहार-उत्तर प्रदेश आदि के गाँवों, छोटे शहरों से शिक्षा और नौकरी की तलाश में निकले युवाओं के आंतरिक और बाह्य संघर्ष की कहानी है। अपने जड़ों की एक चिंता से जूझते हुए कि मगर वो वहीं होते, तो शायद कुछ बदलाव ले आते। एक अंतर्द्वंद्व कि अपने नए परिवार, जिसमें पत्नी-बच्चे और उनका भविष्य है, को ताकूँ, या पुराने परिवार को, जिसमें माँ-बाप से लेकर समाज की भी एक वृहद् भूमिका होती है, लगातार चलता रहता है। समाज भी एक परिवार होता है, वो भी एक माँ-बाप का जोड़ा है जो आप में निवेश करता है। ‘मुझे क्या बनना है’ के उत्तर का पीछा करते हुए मुख्य पात्र आज के समय में एक बेहतर स्थिति में ज़रूर है लेकिन वो परिस्थितिजन्य ‘बेहतरी’ है। रिश्तों की गहराई और संवेदनाओं के एक वेग में ‘घर-वापसी’ के पात्र बहते हैं। [adinserter block=”1″] पिता-पुत्र, पति-पत्नी, अल्पवयस्क प्रेमी-प्रेमिका, दोस्ती जैसे वैयक्तिक रिश्तों से लेकर समाज और व्यक्ति के आपसी रिश्तों की कहानी है ‘घर-वापसी’। कहानी के मुख्य पात्र रवि के अवचेतन में उसी का एक हिस्सा नोचता है, खरोंचता है, चिल्लाता है.. लेकिन उसके चेतन का विस्तार, उसके वर्तमान की चमक उस छटपटाहट को बेआवाज़ बनाकर दबा देते हैं। रवि अपनी अपूर्णताओं को जीते हुए, उनसे लड़ते हुए, बचपन में पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर का पीछा करता रहता है कि उसे क्या बनना है। अपने वर्तमान में सामाजिक दृष्टि से ‘सफल’ रवि का अपने अवचेतन के सामने आने पर, खुद को लंबे रास्ते के दो छोरों को तौलते हुए पाना, और तय करना कि घर लौटूँ, या घर को लौट जाऊँ, ही ‘घर-वापसी’ की आत्मा है। घर-वापसी | Ghar Wapasi PDF Download Free in this Post from Telegram Link and Google Drive Link , अजीत भारती / Ajeet Bharti all Hindi PDF Books Download Free, घर-वापसी | Ghar Wapasi PDF in Hindi, घर-वापसी | Ghar Wapasi Summary, घर-वापसी | Ghar Wapasi book Review [adinserter block=”1″]

पुस्तक का कुछ अंश (घर-वापसी | Ghar Wapasi PDF Download)

“मैं तो तुम्हारी पत्नी हूँ, प्रेमिका क्यों कहते हो?” मंजरी ने थोड़ा आश्चर्य जताते हुए पूछा और वह अपने दाहिने हाथ की कोहनी को बिस्तर पर टिकाकर रवि के सामने हो गई। सोमवार की सुबह, जगने और बिस्तर से निकलने के बीच, चल रहे निरंतर संवाद की गति इस प्रश्न के आने से कुछ धीमी और गंभीर हो गई। “पत्नी बनना, बनाना तो सामाजिक प्रक्रिया है। पत्नी होना तो मुहर है। तुम मेरी प्रेमिका ही हो, हमेशा रहोगी। और मैं तुम्हारा प्रेमी। यही रिश्ता है. यही होना चाहिए। बाकी सब नाम हैं, शब्द हैं जिनके मायने परंपराओं में, समयों में, जगहों पर बदल जाएँगे। पत्नी बूढी हो जाती है, पति वृद्ध हो जाता है। प्रेमिका हमेशा ही एक ही अवस्था में होती है। प्रेम उम्र से परे होता है। प्रेम समय के पार होता है। पति-पत्नी अशक्त हो जाते हैं, मर जाते हैं। प्रेम हमेशा जीता है। प्रेम शाश्वत है। इश्क़ ज़िंदा रहता है, शरीर मर जाता है। प्रेम… प्रेम की पराकाष्ठा ईश्वरत्व के सबसे समीप होने की अवस्था है,” रवि ने मुस्कुराते हुए कहा। मंजरी भी लगातार मद्धम मुस्कान के साथ चेहरे बनाती हुई रवि को ताक रही थी। “इंजीनियर के मुँह से कोड और मशीन के पुजों की बात सुनना सटीक लगता है। तुमको दर्शन का कीड़ा बहुत जोर से पकड़े हुए है। वैसे प्रचलन तो यही है कि देश के अधिकतर इंजीनियर या तो शायरी कर रहे हैं, या प्रेम कहानी लिख रहे हैं… आर्ट्स ही पढ़ लेते,” मंजरी ने रवि की फैलती आँखों के सामने अपनी बात रखी। “पहली बात, जब मैं तुमसे प्रेम करता हूँ तो मैं रवि भी नहीं होता, में इंजीनियर नहीं होता, मैं मीठी का पिता नहीं होता, मैं वो नहीं होता जिसने तुम्हारे साथ शादी की। जब मैं तुमसे प्रेम करता हूँ तो मेरे सारे पहचान खो जाते हैं. घुल जाते हैं वो तुमसे इश्क करने के दौरान। मेरा होना तुम्हारी साँसों के उतार-चढ़ाव में खत्म हो जाता है। मैं सिर्फ वो होता हूँ जो तुमसे प्रेम करता है। प्रेम खुद से जुड़े सारे विशेषणों को खोने की प्रक्रिया है। उस क्षण में न तो इस शरीर का एहसास रहता है, न ही अपने चौबीस घंटे चेतन रहते इस मस्तिष्क का ख्याल होता है। ये हर प्रेमी का निजी अनुभव है। दर्शन तो ये बाद में बनता है, जब इसे कोई शब्दों में ढालकर कहीं लिख देता है, सुना देता है, गा देता है, रंगों में लपेट देता है। तुमसे प्रेम करना मेरे होने को कई गुणा बेहतरीन कर देता है…” रवि ने उठते हुए कहा, “और इंजीनियर तो ढकेल कर बना दिए जाते हैं देश में, लगभग वैसे ही जैसे शादियाँ हो जाती हैं। फिर मैकेनिकल का लौंडा भी कोडिंग करने लगता है, और समाज द्वारा चुनी हुई अनजान लड़की से भी प्रेम हो जाता है।” “सच में! प्यार अंधा होता है… वरना मैं तुम्हें कैसे भा गई?” मंजरी ने एक तरफ़ से बिस्तर बनाते हुए पूछा। घर-वापसी | Ghar Wapasi PDF Download Free in this Post from Telegram Link and Google Drive Link , अजीत भारती / Ajeet Bharti all Hindi PDF Books Download Free, घर-वापसी | Ghar Wapasi PDF in Hindi, घर-वापसी | Ghar Wapasi Book Summary, घर-वापसी | Ghar Wapasi book Review [adinserter block=”1″]

हमने घर-वापसी | Ghar Wapasi PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए Google Drive की link नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 1 MB है और कुल पेजों की संख्या 107 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक अजीत भारती / Ajeet Bharti हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ घर-वापसी | Ghar Wapasi की PDF को जरूर शेयर करेंगे।

Q. घर-वापसी | Ghar Wapasi किताब के लेखक कौन है?
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