पुस्तक का विवरण (Description of Book of फार्म हाउस / Farm House PDF Download) :-
नाम 📖 | फार्म हाउस / Farm House PDF Download |
लेखक 🖊️ | मंगल सिंह राजपूत / Mangal Singh Rajput |
आकार | 9.8 MB |
कुल पृष्ठ | 267 |
भाषा | Hindi |
श्रेणी | कहानी, फिल्म और फ़ोटोग्राफ़ी |
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यह कहानी एक हाईली क्वालिफाइड ठाकुर प्रेम सिंह के जीवन के बारे मे है। जो हजारों सालों से जग में प्रचलित परंपरा से चली आ रही भूत, प्रेतात्मा और पिशाच नाम के अदृश्य शक्तियों को कभी नहीं मानता है। और ना ही ऐसी मनगढ़ंत कहानियों पर विश्वास रखता है। और ना ही उनके अपने बच्चे ऐसी कहानियों पर विश्वास रखते है शिवाय ठाकुर प्रेम सिंह की पत्नी सुभद्रा कुंवर के।
ठाकुर प्रेम सिंह को भूत प्रेतों की बातों से सख्त नफरत होती है। उसकी एक वजह भी थी। वह यह थी कि उनके स्वर्गीय पिता को ठाकुर प्रेम सिंह के दादाजी रणवीर सिंह ने 500 एकड़ की पुरखों की जमीन जायदाद, रामपुर की हवेली और खेतों में बना हुआ खूबसूरत फार्म हाउस इसलिए उन्हें यह कारण बताते हुए नहीं दिया था के वह पुरखों की जायदाद किसी अदृश्य शक्ति से शापित है, भूतिया और प्रभावित है। जिसकी वजह से उनके दादाजी का पूरा खानदान तबाह हो गया था। बस इसी वजह से ठाकुर प्रेम सिंह के पिता और ठाकुर प्रेम सिंह को पूरी पुरखों की प्रॉपर्टी से वंचित रखते हुए उन्हें उस शापित प्रॉपर्टी से दूर रखा था। पर अंतिम समय में ठाकुर प्रेम सिंह के दादाजी स्वर्गीय रणवीर सिंह पूरी रामपुर की पुरखों की जमीन जायदाद ठाकुर प्रेम सिंह के नाम पर मरने के पहले कर जाते हैं। जब ठाकुर प्रेम सिंह को अचानक पूरी जायदाद का हक मिल जाता है। तो उनका पूरा परिवार खुश हो जाता है। तब इत्तेफाक से उसी समय उनके इकलौते पुत्र धीरज को एमएससी एग्रीकल्चर में गोल्ड मेडल मिलता है। घर में डबल खुशी का माहौल हो जाता है। धीरज अपने पिता के सामने रामपुर गांव जाकर पुरखों की जमीन के साथ-साथ रामपुर गांव वासियों की भी जमीन को सुजलाम सुफलाम करने की इच्छा जताता है।
मेरी इस काल्पनिक कहानी में ठाकुर प्रेम सिंह और उनके परिवार के सदस्य किस तरह अदृश्य शक्तियों का सामना करते हैं। और जिद्दी ठाकुर प्रेम सिंह निडर होकर किस तरह उन अदृश्य शक्तियों से मुकाबला करते हुए उन अदृश्य शक्तियों को पूरी पुरखों की प्रॉपर्टी से बाहर करते हैं। यह इस हल्की-फुल्की खूबसूरत मनोरंजक भूतिया कहानि को मैंने बड़े सुंदर ढंग से पिरोया है। पढ़कर आपको जरूर पसंद आएगी । आप सब के आशीर्वाद की उम्मीद करता हूं।
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पुस्तक का कुछ अंश
थीम (Theme)
यह कहानी ऊँचे कुल के रूढ़िवादी ज़मींदार खानदान की एकलौती और सबसे लाडली, पर अभागन, गर्भवती बाल विधवा के महाभयंकर प्रेत आत्मा की है, जो अपने ही कुल का सर्वनाश करने के कई साल बाद अपने कुल के आखिरी बचे हुए वारिस के परिवार के आगमन से फार्म हाऊस मे जाग्रत हो उठती है।
सारांश (Synopsis)
शहर के मशहूर आर्किटेक ठाकुर प्रेम सिंह का बेटा धीरज जब एम.एस.सी. अग्रिकल्चर में गोल्ड मेडल हासिल कर के घर लौट आता है, तो पूरे परिवार में खुशी छा जाती है। तब उसी दरम्यान ठाकुर प्रेम सिंह को उनके स्वर्गीय दादाजी रणविर सिंह का वकील, जो दादाजी का लिखा हुआ वसीयतनामा और एक निजी खत देता है। वसीयतनामे के मुताबिक ठाकुर प्रेम सिंह को रामपुर गाँव की हवेली, जमीन और खेतों के बीचों - बीच बना हुआ खूबसूरत फार्महाउस का हक मिलता है.। बहुत साल के बाद अपने पुरखों की जमीन - जायदाद का हक मिलते ही, प्रेम सिंह के परिवार में खुशियों की बहार आ जाती है। धीरज खुश होकर अपने पिता के सामने रामपुर जा कर आदर्श खेती बाड़ी के सपने सजाने लगता है। पर दादाजी का निजी खत पढ़कर सब हैरान हो जाते हैं। उस खत में दादाजी प्रेम सिंह को चेतावनी देते हुए रामपुर के शापित भूतिया फार्म हाऊस में कदम न रखने की ताकीद देते हैं, और उस जमीन का त्याग करके उसे बेचने या किसी को दान देने, या अपने खानदानी वफ़ादार बूढ़े नौकर तंट्या भिल को आधे हिस्से की कमाई में देने की सलाह देते हैं।
अंधश्रद्धा और भूत-प्रेतों पर विश्वास न रखने वाला हायली एज्युकॅटेड प्रेम सिंह अपने स्वर्गीय बड़े दादाजी की चेतावनी और सलाह को हँसी-मजाक में उड़ा देता है, और अपने परिवार को और अपने जिगरी दोस्त वर्मा को साथ लेकर अपने गाँव रामपुर आ जाता है। रामपुर वाशी उनका धूमधाम से स्वागत तो करते हैं, पर उन्हे उस भूतिया फार्म हाऊस मे कदम न रखने की सलाह देते हुए वापस शहर लौट जाने की विनती करते हैं। ठाकुर प्रेम सिंह गाँव वालों की विनती को ठुकरा कर पूरे परिवार के साथ फार्म हाऊस में आ जाते हैं। उनके वहां आते ही, कई सालों से अब तक सोई हुई प्रेत आत्मा, जागृत हो जाती है।
इस कहानी में भूत-प्रेत, आत्मा को न मानने वाला ठाकुर प्रेम सिंह का पूरा परिवार एक के बाद एक दिल देहला देने वाले अद्भुत घटनाओं से भयभीत हो उठता है। आखिर किस तरह जिद्दी ठाकुर प्रेम सिंह बहुत कुछ खोने के बाद अपने वफ़ादार नौकर तंट्या भिल की मदत से ऊस फार्महाउस के शापित ज़मीन को शाप से मुक्त करने की कोशिश करता है, यह इस कहानी में बड़ी खूबसूरत ढंग से चित्रित किया गया है।
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Sc. No. 1/ Ext./ बंगले के बाहर का लोन/eve/Party Sc
आज ठाकुर प्रेम सिंह की हवेली रोशनी से जगमगा रही थी । शाम के सात बजे थे, बंगले में आने वाले मेहमानों के गाड़ियों की कतार लगी हुई थी। ठाकुर प्रेम सिंह और उनकी पत्नी सुभद्रा द्वार पर आने वाले मेहमानों का कुछ दोस्तों के साथ खड़े होकर स्वागत कर रहे थे। तब अपने अज़ीज दोस्तों में से एक को अचानक सामने देख कर चौकते हुए….
प्रेम सिंह
(आश्चर्य से अपने दोस्तों को देख कर)
ओय वर्मा तू यहां! तुम तो मुंबई गये थे ना, फिर यहां कैसे?
वर्मा
(मजाक में)
क्यों भाई? तुम्हें इस लिबास में, मेरा भूत नज़र आ रहा है क्या?
प्रेम सिंह
(हस्ते हुए मजाक में)
वैसे भूत तो तुम हो ही, इसमें कोई शक नहीं। भाई मगर भाभी सा ने मुझे फोन पर बताया था कि तुम मुंबई एक जरूरी काम के लिए गए हो, इसलिए इस फंक्शन में आ नहीं सकोगे।
वर्मा
(समझाते हुए)
बात तो उसने सही कही थी। मगर जब उसने मुझे फोन पर बताया कि तुमने सत्यनारायण की महापूजा के साथ-साथ यार दोस्तों के लिए पार्टी का भी आयोजन रखा हुआ है, तो भाई रहा नहीं गया । मैंने तुरंत जरूरी काम निपटा दिए और बाकी काम मैनेजर के पल्ले बांध कर सीधा यहां चला आया। तुम्हारे घर पार्टी हो, और मैं ना रहूं, ऐसा आज तक हुआ है क्या भाई? जहां हनुमान, वहां पर हनुमान की पूंछ। क्यों भाइयों?
(सब हंसते हैं)
एक दोस्त
(हंसते हुए मजाक में)
खूब कही, अब यह भी डिसाइड कर लो कि आप दोनों में से हनुमान कौन? और हनुमान की पूंछ कौन है?
(सब जोर से हंसते हैं)
वर्मा
(चल रही पार्टी को ध्यान से देखते हुए)
इनविटेशन कार्ड में तो छोटी पार्टी का जिक्र किया था। लेकिन यह कोई छोटी पार्टी तो दिख नहीं रही। क्या बात है ठाकुर?
दूसरा दोस्त
(जवाब देते हुए)
वर्मा जी ठाकुर लोगों की पार्टियां कभी छोटी होती है क्या?
(सब जोर से हंसते हैं)
प्रेम सिंह
(बड़े प्रेम से)
चल अंदर चलकर पार्टी की शोभा बढ़ाओ।
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वर्मा
(आग्रह करते हुए)
भाई तुम साथ चलोगे तो शोभा बढ़ेगी ना।
प्रेम सिंह
(समझाते हुए)
भाई तुम लोग पहले प्रसाद तो ग्रहण करो । बाकी मेहमानों का स्वागत करके मैं अभी तुम बदमाशों के खिदमत में हाज़िर होता हूँ।
Sc. No. 1 / A
Top angle crane shot covering party crowd, zoom to Subhdra group.
धीमे मनमोहक संगीत की धुन में बंगले के लॉन में पार्टी चल रही थी । सब लोग ग्रुप बनाकर खाते - पीते हुए आपस में बातचीत में व्यस्त थे। वेटर उन्हें खाने की चीजें सर्व कर रहे थे। कुछ छोटे बच्चे लॉन पर खेलते हुए आपस में मस्ती कर रहे थे। ठाकुर साहब की पत्नी सुभद्रा, उनकी दोनों लड़कियां कविता और नैना, कुछ औरतों के साथ मिलकर हंसी-मजाक कर रही थीं। उनका इकलौता लड़का धीरज अपने दोस्तों से घिरा हुआ बातें कर रहा था। औरतों के ग्रुप में एक औरत कविता से..
एक औरत
(चौक कर पूछती है)
क्यों री कविता.... ससुराल से कब आई?
कविता
(मुस्कुरा कर जवाब देते हुए)
आंटी 4 दिन हो गए।
दूसरी औरत
(उसे ध्यान से देखते हुए)
सुभद्रा बहन लगता है, कविता के पैर भारी हैं।
सुभद्रा
(मुस्कुराकर)
हां बहन ।
तीसरी औरत
(खुश होकर)
मुबारक हो, पार्टी तो धूमधाम से होनी चाहिए अब तो।
सुभद्रा
(मुस्कुराकर)
क्यों नहीं? जरूर पहले रिजल्ट तो आने दो ।
Cont…
Sc. No 1A/b /same location
दूसरी तरफ ठाकुर प्रेम सिंह अपने यार-दोस्तों के साथ हंसी-मजाक में व्यस्त थे।
वर्मा
(अपने दोस्तों से)
दोस्तों मैंने अपने जीवन में सत्यनारायण की महा पूजा तो बहुत बार अटेंड की है। लेकिन आज तक किसी पूजा के साथ किसी ने पार्टी नहीं दी। सब जगह सिर्फ प्रसाद लो और थोड़ा जलपान करो और चलते बनो।
एक दोस्त
(समझाते हुए)
भाई साहब यह शहर के महान आर्किटेक्ट ठाकुर प्रेम सिंह के घर की महा पूजा है। ऐसे वैसे थोड़ी ही होगी। क्यों ठाकुर साहब?
प्रेम सिंह
(उनको प्यार से समझाते हुए)
नहीं ऐसी बात नहीं है। बात यह है कि आप तो जानते ही हो कि, मेरे इकलौते बेटे धीरज ने पिछले महीने एम.एस.सी एग्रीकल्चर में गोल्ड मेडल हासिल किया और मेरी धर्मपत्नी की भी इच्छा थी कि घर में सत्यनारायण की महा पूजा हो। मुहूर्त अच्छा था, इसलिए पूजा भी कर डाली और धीरज के गोल्ड मेडल की खुशी में पार्टी का भी प्रबंध कर डाला।
एक दोस्त
मुस्कुराते हुए)
मतलब एक तीर से दो निशाने।
दूसरा दोस्त
(कौतूहल से)
अच्छा एम.एस.सी एग्रीकल्चर के बाद धीरज क्या करना चाहता है?
प्रेम सिंह
(जवाब देते हुए)
गाँव में जाकर खेतीबाड़ी। भाई उसने डिग्री जो इसकी ली है।
वर्मा
(कौतूहल से)
कहीं खेती बाड़ी खरीदी है क्या तुमने?
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प्रेम सिंह
(सिर पर हाथ मारते हुए मुस्कुरा कर)
लो, उसके लिये खेतीबाड़ी खरीदने की क्या आवश्यकता है? 500 एकड़ की पुरखों की ज़मीन-जायदाद, हवेली जो पड़ी है रामपुर में।
वर्मा
(सिर खुजलाते हुये चौक कर)
अरे उस पर तो तुम्हारे दादाजी के बड़े भाई ठाकुर रणवीर सिंह जी ने कई सालों से कब्जा करके रखा है। जिसे पाने के लिये तुम्हारे पिताजी की पूरी ज़िन्दगी चली गई और आखिरकार उनकी मौत भी बड़े रहस्यमय ढंग से फार्म हाऊस के पास ही हुई। तुम्हारे दादाजी के बड़े भाई ने आखिर तुम लोगों को तुम्हारा हिस्सा दे ही दिया है क्या?
प्रेम सिंह
(समझाते हुए)
अरे देंगे नहीं तो कहा जायेंगे? उनकी अपनी कमाई की जायदाद थोड़ी ही थी। हमारे पुरखों की जायदाद थी। उनका तो कोई भी वारिस बचा हुआ नहीं था। पूरी जायदाद का तो मैं अकेला ही वारिस था। उनके देहांत के बाद पिछले हफ्ते उनके वकील ने उनका वसीयत नामा मुझे ला कर दिया। मजे की बात तो यह है कि उन्होंने हमारे हिस्से के साथ-साथ अपना भी हिस्सा मेरे नाम कर दिया।
वर्मा
(चौक कर)
यह तो कमाल हो गया भाई।
प्रेम सिंह
भाई कमाल तो वसीयत नामा पढ़ने के बाद हमें हुआ।
वर्मा
(चौककर)
वह क्या?
प्रेम सिंह
(मुस्कुरा कर समझाते हुए)
जिस प्रॉपर्टी के लिए मेरे पिताजी ने अपने जीवन मे नैरोबी के बीस चक्कर लगाये थे, वह पूरी प्रॉपर्टी उन्होंने मेरे पिताजी के नाम, पिताजी के बचपन में ही कर दी थी।
तीसरा दोस्त
(चौककर)
कमाल है ! फिर भी तुम्हारे पिताजी को उन्होंने जायदाद से वंचित रखा । इसकी कोई वजह?
प्रेम सिंह
(मुस्कुराते हुए)
वजह बहुत अजीब है भाई ! मुझे तो हंसी आई थी शायद आप भी सुनोगे तो जरूर हंसोगे।
सब
(चमक कर)
वह क्या?
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प्रेम सिंह
(ठाकुर प्रेम सिंह गंभीरता से पूरा वाक्या सुनाते हुए)
उनके वकील ने वसीयतनामा पढ़ने के बाद उनका एक खत मुझे दिया । उन्होंने उसमें लिखा था .…..
Flash back... बेटे मैंने जान-बूझकर तुम्हारे परिवार को जायदाद से वंचित रखा था। उसकी खास वजह थी। मैं नहीं चाहता था कि तुम्हारे हरे-भरे खुशनुमा ज़िन्दगी में संकट के बादल छा जाएं। मैं पूरी जायदाद तुम्हारे पिता के मरने के बाद तुम्हारे नाम कर रहा हूं। मेरी तुमसे विनती है कि यह वसीयतनामा मिलते ही, तुम पूरी जायदाद, एक तो बेच दो अथवा किसी को दान कर दो। भूलकर भी रामपुर में पांव नहीं रखना, क्योंकि वह जगह मनहूस है, शापित है, भूतिया है। मेरा पूरा वंश मेरे सामने मिट चुका है। तुम्हारे पिता की रहस्यमय मौत का कारण भी वहीं था। विक्रम सिंह को इतना समझाने के बाद भी वह समझ ना सका। अब सिर्फ तुम्हारा ही परिवार बचा हुआ है। उसे बचा कर रखो। प्रेत-आत्माओं पर मेरा विश्वास है। अपने वंश का बुजुर्ग .....
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हमने फार्म हाउस / Farm House PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 9.8 MB है और कुल पेजों की संख्या 267 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक मंगल सिंह राजपूत / Mangal Singh Rajput हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ फार्म हाउस / Farm House को जरूर शेयर करेंगे। धन्यवाद।।Answer. मंगल सिंह राजपूत / Mangal Singh Rajput
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