हैरी ने जब अपना विजनिस कार्ड उस मोटी औरत को थमाया तो वह बड़े संकोच से मुस्कराई। उस औरत ने सिर पर हैट लगाया हुआ था और हैट के नीचे से उसके बाल बिखरे दिखाई पड़ रहे थे। उसकी आंखें भारी-भारी थीं और उनमें थकान दृष्टिगोचर हो रही थी। उसके चेहरे पर ऐसी चमक थी, जैसे वह अभी-अभी दहकते चूल्हे के सामने से हटी हो। इस सबके बावजूद भी वह प्रसन्न नजर आ रही थी, क्योंकि हैरी ने अभी-अभी उसका एक फोटो खींचा था।
मोटी औरत ने हैरी के कार्ड पर निगाह डाली, फिर अपने बैग में रख लिया।
“मुझे तो पता ही नहीं चला कि आप मेरा फोटो खींच रहे हैं।” वह बोली-“ऐसी हालत में मेरी फोटो बढ़िया नहीं आयेगी।”
“आपकी फोटो बहुत बढ़िया आयेगी मैडम।” हैरी ने उसे आश्वस्त किया-“जब किसी व्यक्ति का उसकी जानकारी में आये बगैर फोटो खींचा जाये तो बहुत स्वभाविक अवस्था में आता है।
आपकी तस्वीर भी बढ़िया आयेगी-कल दोपहर तक यह तैयार हो जायेगी, आप बेशक इसे खरीदें या नहीं, किन्तु इसे देखने जरूर आना।”
“कहां देखने आऊं?”
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“पेरिस थियेटर के बिल्कुल नजदीक लिंकन स्ट्रीट पर मेरे स्टूडियो में।”…..