पुस्तक का विवरण (Description of Book of भूतों के देश में: आईसलैंड (यात्रा) / Bhooton ke desh mein: Iceland PDF Download) :-
नाम 📖 | भूतों के देश में: आईसलैंड (यात्रा) / Bhooton ke desh mein: Iceland PDF Download |
लेखक 🖊️ | प्रवीण कुमार झा / Praveen Jha |
आकार | 4 MB |
कुल पृष्ठ | 55 |
भाषा | Hindi |
श्रेणी | यात्रा वृतांत |
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जादू टोना और जादू की रहस्यमय भूमि में, एक अप्रत्याशित भूमि में भूतों और ट्रोल्स के माध्यम से एक मार्ग - आइसलैंड। आइसलैंड के इलाक़ों और इसकी संस्कृति से लेखक का गुजरना एक रोमांचकारी अनुभव है, जिसे जल्दबाज़ी में बताया गया है। पुस्तक अनिवार्य रूप से एक भूत की कहानी नहीं है, लेकिन इस अजीब भूमि के माध्यम से एक यात्रा है। ज्वालामुखी, फूटते परिदृश्य, निरंतर भूकंपीय लहरें और भूकंप, बर्फीले तूफान, और बंजर बर्फ से ढकी भूमि की गहन चुप्पी की भूमि। वाइकिंग्स का एक छुपा निवास जो अभी भी वाइकिंग्स की भाषा बोलता है, किनारों पर रहता है, ज्वालामुखीय झीलों में स्नान करता है, और भूतों पर विश्वास करता है। वह भूमि जहाँ सड़कें बस गायब होने लगती हैं और कहीं से फिर से दिखाई देने लगती हैं, एक को छोड़कर कहीं नहीं। एक यात्रा जो 'गेम ऑफ थ्रोंस' में ले जाती है, यात्री को एक वाइकिंग में बदल देती है।
पुस्तक का कुछ अंश :-
प्रेतों से पहली मुलाकात मेरी गाँव में ही हुई होगी। शहर में प्रेत नहीं मिलते। जैसे भेड़-बकरी कम
नजर आते हैं, रात को तिलचट्टे की आवाज कम सुनाई देती है, जुगनू नहीं दिखते, वैसे ही प्रेत भी
नहीं दिखते। प्रेतों की खासियत है कि उनको शांति पसंद है। जरा भी हलचल हुई, प्रेत बेताल की
तरह फुर्र हो जाएँगे| गर आदमियों के बीच हो-हल्ले में ही रहना होता, तो आखिर प्रेत क्यों बनते?
गाँव में तो यूँ ही छुटपन में प्रेत दिख जाते। कभी डर जाता, कभी ध्यान ही न देता। वो पीपल के
पेड़ पर दिख गए, तो सड़क छोड़ खेतों में उतर जाता। गर वो खेतों में दिख गए, तो हाथ में मिट्टी
का ढेला ले कर तेज कदम चलने लगता। मिट्टी से डरते हैं प्रेता डरते हैं कि जिस मिट्टी से निकले
हैं, उसी में न वापस मिल जाएँ। इसलिए गाहे-बगाहे उड़ते रहते हैं, या पेड़ की शाखा पर जा बैठते
हैं। पीपल पर, बबूल पर, इगली पर, जागुन पर, मौलश्री पर, या किसी पुराने बरगद परा दरअसल
गाँव में प्रेत भी सर्वहारा का ही हिस्सा हैं। पार्ट ऑफ़ फैमिली। उनसे कोई खौफ नहीं| कई प्रेत तो
अपने परिजनों के अंदर ही होते हैं, जो अजीब सी हरकतें करने लगते हैं। उनसे भय नहीं होता, पर
उनकी चिंता होती है। इलाज वगैरा होता है, झाड़-फूंक भी। और प्रेत भी थक-हार कर कहते हैं कि
दूसरा शरीर पकड़ लो, यहाँ तो बड़ी दुर्गति है। यह कितना सुंदर स्वरूप होगा प्रेतों का! कभी इस
शरीर तो कभी उस शरीरा एक हम हैं कि उसी शरीर में अटके पड़े हैं। कभी तोंद निकल जाती है,
कभी खाज-खुजली, तो कभी नाक बहना| प्रेत के जीवन में यह तमाम झंझट हैं ही नहीं।
गाँव के प्रेतों से मुलाकात कुछ खास नहीं रही। वो नेपथ्य में हर जगह ही थे, पर खुल कर मंच पर
नहीं आए।
पहली बार जब प्रेतों से औपचारिक भेंट हुई, तभी उनसे बतिया पाया, उन्हें समझ पाया। बंगाल के
तारापीठ का श्मशान प्रेतों का एक कॉरपोरेट ऑफीस है। वहाँ देश के गणमान्य प्रेत जुटते हैं,
शास्त्रार्थ करते हैं। मैं जब तारापीठ पहुँचा और वहाँ के लंबे-लंबे गुलाबजामुन देखे, तभी समझ
गया कि यह स्थल ही विकृत है। श्मशान के मध्य मंदिर बना रखा है, और परिसर में कंकाल….
डाउनलोड लिंक (भूतों के देश में: आईसलैंड (यात्रा) / Bhooton ke desh mein: Iceland PDF Download) नीचे दिए गए हैं :-
हमने भूतों के देश में: आईसलैंड (यात्रा) / Bhooton ke desh mein: Iceland PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 4 MB है और कुल पेजों की संख्या 55 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक प्रवीण कुमार झा / Praveen Jha हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ भूतों के देश में: आईसलैंड (यात्रा) / Bhooton ke desh mein: Iceland को जरूर शेयर करेंगे। धन्यवाद।।Answer. प्रवीण कुमार झा / Praveen Jha
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