बड़ी बेगम / Badi Begum PDF Download Free in Hindi by Acharya Chatursen

पुस्तक का विवरण (Description of Book of बड़ी बेगम / Badi Begum PDF Download) :-

नाम 📖बड़ी बेगम / Badi Begum PDF Download
लेखक 🖊️   आचार्य चतुरसेन शास्त्री /Acharya Chatursen  
आकार 1.5 MB
कुल पृष्ठ128
भाषाHindi
श्रेणी,
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बड़ी बेगम की कई कहानियों में भी मुगलकाल के इतिहास की झलक मिलती है। उनकी पहली कहानी 'सच्चा गहना,' जो इस पुस्तक में भी सम्मिलित है, उस समय की लोकप्रिय मासिक पत्रिका गृहलक्ष्मी में 1917-1918 में प्रकाशित हुई थी। उनकी बहुआयामी प्रतिभा और भाषा पर पकड़ उनके लेखन को विशेष पहचान देती है।

पुस्तक का कुछ अंश :-

दिन ढल गया था और ढलते हुए सूरज की सुनहरी किरणें दिल्ली के बाज़ार में एक नयी रौनक पैदा कर रही थीं। अभी दिल्ली नयी बस रही थी। आगरे की गर्मी से घबराकर बादशाह शाहजहाँ ने जमुना के किनारे अर्द्धचन्द्राकार यह नया नगर बसाया था। लाल किला और जामा मस्जिद बन चुकी थी और उनकी भव्य छवि दर्शकों के मन पर स्थायी प्रभाव डालती थी। फैज़ बाज़ार में सभी अमीर-उमरावों की हवेलियाँ खड़ी हो गयी थीं। इस नये शहर का नाम शाहजहानाबाद रखा गया था, परन्तु पठानों की पुरानी दिल्ली की बस्ती अभी तक बिल्कुल उजड़ नहीं चुकी थी बल्कि कहना चाहिए कि इस शाहजहानाबाद के लिए बहुत सा मलबा और समान पुरानी दिल्ली के महलात के खण्डहरों से लिया गया था, जो पुराने किले से हौज़ खास और कुतुबमीनार तक फैले हुए थे।

नदी की दिशा को छोड़कर बाकी तीनों ओर सुरक्षा के लिए पक्की पत्थर की शहरपनाह बन चुकी थी, जिसमें बारह द्वार और सौ-सौ कदमों पर बुर्ज बने हुए थे। शहरपनाह के बाहर 5-6 फुट ऊँचा कच्चा पुरखा था। सलीमगढ़ का किला बीच जमुना में था जो एक विशाल टापू प्रतीत होता था और जिसे बारह खम्भों वाला पुख्ता पुल लाल किले से जोड़ता था। अभी इस नगर को बने तीस ही बरस हुए थे, फिर भी यह मुगल साम्राज्य की राजधानी के अनुरूप शोभायमान नगरी की सुषमा धारण करता था।

शहरपनाह नगर और किले दोनों को घेरे थी। यदि शहर की उन बाहरी बस्तियों को जो दूर तक लाहौरी दरवाज़े तक चली गयी थीं और उस पुरानी दिल्ली की बस्तियों को, जो चारों ओर दक्षिण-पश्चिम भाग में फैली थीं-मिला लिया जाए तो जो रेखा शहर के बीचों-बीच खींची जाती, वह साढ़े चार या पाँच मील लम्बी होती। बागात का विवरण पृथक् है, जो सब शहज़ादों, अमीरों और शहज़ादियों ने पृथक्-पृथक् लगाये थे।

शाही महलसरा और मकान किले में थे। किला भी लगभग अर्द्धचन्द्राकार था, इसकी तली में जमुना नदी बह रही थी। परन्तु किले की दीवार और जमुना नदी के बीच बड़ा रेतीला मैदान था जिसमें हाथियों की लड़ाई दिखाई जाती। यहीं खड़े होकर सरदार, अमीर और हिन्दू राजाओं की फौजें झरोखे में खड़े बादशाह के दर्शन किया करते थे। किले की चहारदीवारी भी पुराने ढंग के गोल बुज़ों की वैसी ही थी जैसी शहरपनाह की दीवार थी। यह ईंटों और लाल पत्थर की बनी हुई थी इस कारण शहरपनाह की अपेक्षा इसकी शोभा अधिक थी। शहरपनाह की अपेक्षा यह ऊँची और मज़बूत भी थी, उसपर छोटी-छोटी तोपें चढ़ी हुई थीं, जिनका मुँह शहर की ओर था।

हमने बड़ी बेगम / Badi Begum PDF Book Free में डाउनलोड करने के लिए लिंक नीचे दिया है , जहाँ से आप आसानी से PDF अपने मोबाइल और कंप्यूटर में Save कर सकते है। इस क़िताब का साइज 1.5 MB है और कुल पेजों की संख्या 128 है। इस PDF की भाषा हिंदी है। इस पुस्तक के लेखक   आचार्य चतुरसेन शास्त्री /Acharya Chatursen   हैं। यह बिलकुल मुफ्त है और आपको इसे डाउनलोड करने के लिए कोई भी चार्ज नहीं देना होगा। यह किताब PDF में अच्छी quality में है जिससे आपको पढ़ने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। आशा करते है कि आपको हमारी यह कोशिश पसंद आएगी और आप अपने परिवार और दोस्तों के साथ बड़ी बेगम / Badi Begum को जरूर शेयर करेंगे। धन्यवाद।।
Q. बड़ी बेगम / Badi Begum किताब के लेखक कौन है?
Answer.   आचार्य चतुरसेन शास्त्री /Acharya Chatursen  
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