रेवोल्यूशन 2020 | Revolution 2020 by Chetan Bhagat Download Free PDF

‘लेजी पैरेंट्स, आज फिर ब्रेड एंड बटर,’ मैं दूसरी कतार में एक नीले प्लास्टिक टिफिन को बंद करते हुए बड़बड़ाया। राघव और मैं दूसरी डेस्क पर चले आए।
‘छोड़ो भी, गोपाल| क्लास किसी भी समय फिर से लग सकती है,’ राघव ने कहा।
‘श्श्श…’
‘मैं पूरी-आलू लाया हूं, हम उसे बांटकर खा सकते हैं। दूसरों का खाना चुराना अच्छी बात नहीं है।’
मैं एक छोटे-से गोल स्टील टिफिन बॉक्स से जूझने लगा। ‘इसे कैसे खोलते हैं?’
बॉक्स के पतले लेकिन जिद्दी ढक्कन को खोलने के लिए नुकीले नाखूनों की जरूरत होती है, लेकिन वे हम दोनों के पास नहीं थे। हमने वीकली टिफिन चोरी के लिए अपनी सुबह की असेंबली छोड़ दी थी। हमारे पास दस मिनट का और समय था, जिसके बाद बाहर राष्ट्रीय गीत शुरू हो जाता। उसके बाद क्लास 5 सी लग सकती थी। हमें इसी दौरान टिफिन को खोजना, उसे चट कर जाना और वापस रखना था।
‘अचार और परांठे हैं,’ राघव ने ढक्कन खोलने के बाद कहा| ‘तुम्हें चाहिए?’
‘रहने दो,’ मैंने स्टूडेंट के बैग में स्टील का डिब्बा फिर से रखते हुए कहा| गेरी आंखें एक बैग से दूसरे बैग तक दौड़ रही थीं। ‘यह वाला,’ मैंने पहली कतार में एक गुलाबी इंपोर्टेड झोले की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘यह बैग दिखने में महंगा लगता है। इसमें जरूर अच्छा खाना होगा।
आओ।’

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